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*शंका समाधान - 15 Nov.' 2016*
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१. सरकारी निर्णय से किसी को परेशान नहीं होना चाहिए । जैसे कुए के पानी का श्रोत जब तक खुला हुआ है वो कुआ पूरा खाली भी कर दो तो फिर से भर जायेगा, उसी प्रकार अपने श्रोत को पहचान लीजिये । देश हित में लिए गए निर्णयों का हमको समर्थन करना चाहिए । पैसा अपने साथ साथ देश के लिए भी समर्पित करना चाहिए ।
२. *किसी भी जगह के उद्घाटन के लिए फीता काटने के प्रथा अच्छी नहीं है, हमारे यहाँ गाँठ को खोलने की परंपरा है जो निर्विघ्नता का प्रतीक है ।*
३. आवेश मनुष्य की बहुत बड़ी निर्बलता है । इससे बचने के लिए आवेश के बाद जब मन शांत होता है तब आत्मचिंतन करे और निर्णय करे कि इनकी पुनरावृत्ति ना हो, अपनी सोच सकारात्मक रखे, और तुरंत प्रतिक्रिया कभी ना करें ।
४. *जब तीर्थंकर भगवान् की पहली दिव्य देशना खिरती है तब एक अन्तर्मुहूर्त में ही गणधर महाराज के द्वारा, द्वादशांग की रचना हो जाती है । चतुर्विघ संघ यानि कि मुनि महाराज, आर्यिका जी, श्रावक और श्राविका को शास्त्रीय भाषा में " तीर्थ " कहते हैं और इनकी स्थापना करने वाले अरिहंत भगवान् को " तीर्थंकर भगवान् " कहते हैं ।*
५. सार्वजानिक बड़े कार्यक्रमों में दूसरों को प्रेरणा के लिए सार्वजानिक रूप से दिया हुआ दान भी उत्तम ही है ।
६. जो जितना सहता है वह उतना ही समर्थ बनता है ।
७. *मोक्ष मार्ग की लम्बी यात्रा में बीच बीच में थकान दूर करने के लिए स्वर्ग एक विश्रामालय की तरह है* जिधर refresh होकर नयी energy के साथ दोबारा धरती लोक पर आकर तेजी से दौड़ लगाते हुए मोक्ष पा लिया जाता है ।
८. तीर्थ क्षेत्र की मिटटी को मंदिर निर्माण में लगाना चाहिए लेकिन उस महान मिटटी को घरों के लिए निर्माण के लिए नींव आदि में डालना मेरी राय में उचित नहीं है ।
९. आजकल ज्योतिष के नाम पर ढकोसला हो रहा है । *ज्योतिष के किसी भी शास्त्र में काल - सर्प नाम का कोई योग ही नहीं होता ।* आजकल हर बात के लिए काल - सर्प योग का नाम लेकर ज्योतिष को धंधा बना दिया गया है । कोई भी इस भ्रम में ना रहें और भगवान् की खूब भक्ति कीजिये, कल्याण हो जायेगा ।
*- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज*
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धर्म पथ देता हैं पंथ नहीं.. हठवाद समस्या पैदा करता हैं (Dharma is the way to live, it is beyond bias, stubbornness causes of problems/ego hence it disturbs inner peace first. #MangiTungi #Gyanmati
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News in Hindi
*शंका समाधान - 14 Nov.' 2016*
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१. *पंचम काल में मोक्ष नहीं है लेकिन मोक्ष मार्ग तो है । जो मोक्ष मार्ग पर चलना प्रारम्भ करते हैं वही आगे जाकर मोक्ष पाते हैं ।*
२. सम्मेद शिखर या कोई भी तीर्थ की वंदना जब तक शक्ति हो अपने पैरों पर ही करना चाहिए ।
३. श्रावक की पहली प्रतिमा के लिए देव दर्शन और रात्रि में चारों प्रकार के आहार का त्याग होता है । और इसको बड़े बच्चे भी ले सकते हैं ।
४. *संसार से बचना है तो पूज्य अपूज्य का विवेक का होना चाहिए । वीतरागता की ही पूजा की जाती है ।*
५. *धर्म शांति, प्रसन्नता, आनंद पाने के लिए किया जाता है नाकि विषय भोग की वस्तुएं पाने के लिए ।*
६. इष्ट वियोग और अनिष्ट योग में समता रखने के लिए तत्व का चिंतन का अभ्यास करिये ।
७. *गांवों और छोटे शहरों से हो रहे बड़े शहरों की तरफ लोगो के पलायन से आने वाले समय में बहुत ही गंभीर समस्या पैदा होगीं ।* देश का संतुलन बिगड़ जायेगा, मूलभूत सुविधायों से लोग वंचित होंगे । लोग जमा जमाया व्यापर छोड़ कर ५-१० लाख की नोकरी पाने के लिए बड़े शहरों की तरफ जा रहे हैं, यहाँ तक की लोग छोटे शहरों में शादी करने को तैयार ही नहीं हैं । इसके लिए सरकार और समाज दोनों को प्रयासरत होना चाहिए ।
८. समाज में कुरीतियां तो आती रहती हैं जैसे खेतों में खर पतवार अपने आप उग आती है लेकिन उन कुरीतियों को पनपने ना देना समाज का काम है, उन कुरीतियों को खर पतवार की तरह उखाड़ देना चाहिए ।
*- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज*
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