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*शंका समाधान - 28 Nov.' 2016*
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१. *मोक्ष मार्ग की शुरुवात व्रतों से होती है । सर्वप्रथम पापों पर अंकुश लगाना चहिये ।*
२. मंदिर जी में यंत्र जी स्थापित करने से नकारात्मक ऊर्जा रूकती है और positive energy का प्रवाह होता है ।
३. माँ जन्म देती है और गुरु जीवन, दोनों का अगल अलग स्थान है ।
४. हर घर में एक room अलग से होना चाहिए जिसमे ध्यान / स्वाध्याय आदि शुद्धता के साथ किया जा सके ।
५. *चारित्र मोहनीय कर्म के क्षय के लिए चारित्र वान मुनिराजों के संसर्ग में रहना चहिये ।*
६. श्रद्धा को महसूस किया जा सकता है सिद्ध नहीं । श्रद्धा से जीवन में अगर कुछ चमत्कार हो रहे हों तो कोई कुछ कहता रहे आप बस अपनी श्रद्धा का आनंद लेते रहिये ।
७. *पति - पत्नी में एक अगर धर्म के क्षेत्र में आगे बढ़ जाये तो दूसरे को यह सोचना चाहिए कि " मेरा साथी सही मार्ग पर आगे जा रहा है गलत पर नहीं; ऐसे में मुझे उसका पूरक बनना चाहिए और दोहरी जिम्मेदारी उठानी पड़े तो उठा लेना चाहिए । "*
८. भीड़ में रहने के बावजूद जो एकत्व भावना को महसूस करता है वही सच्चा एकत्व है ।
९. *मोह से छूटने का एक ही उपाय है वो है तत्व ज्ञान का अभ्यास, गुरु चरणों का सानिध्य ।*
*- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज*
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क्या धार्मिक क्रियाएँ करके आपके व्यवहार और परिणामों में परिवर्तन आया है?? अगर नहीं तो आपकी क्रियाएँ केवल कोरी क्रियाएँ ही है। धार्मिक क्रियाओं के आयोजन के साथ साथ उनके प्रयोजन को भो समझना अति आवश्यक है। #Religion #Dharma
जो भी करें समझने का प्रयास करें, पूजा करते समय पूजा की पंक्तियों के अर्थ और भावों की ओर भी ध्यान दें।
सोचा करता था भोगों से भुझ जायेगी इक्छा ज्वाला,
परिणाम निकलता है जैसे मानो जैसे पावक में घी डाला।
तेरे चरणों की पूजा से इन्द्रिय सुख की ही अभिलाषा,
अब तक ना समझ ही पाया प्रभुवर सच्चे सुख की परिभाषा।
इन पंक्तियों को ध्यान से पढ़ें!!
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