Update
विदिशा -रेल मार्ग से पहुचे जैन मंदिर..
संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर #विद्यासागर जी महाराज संसंघ का मंगल प्रवेश आज नगर विदिशा में हुआ । मंगल आगवानी में पूरा विदिशा नगर पलक विछाये आचार्य श्री की राह देख रहा था । जगह जगह मंगल द्वार रंगोली पूरा नगर में जगह जगह वेनर एबम स्वागत द्वार बने हुए थे ।
पूरा नगर मानो #गुरुवर को निहार रहा था । आज विदिशा नगर में आचार्य श्री का संघ छठवी वार मंगल प्रवेश हो रहा है । लेकिन गुरुवर विदिशा के पूर्व रंगई पुल पर होकर रेल पटरी पड़कर रेल लाइन से सीधे हरिपुरा
जैन मंदिर #शीतलधाम पहुचे । आचार्य श्री कोन सा मार्ग अपना ले यह किसी को मालूम नहीं । गुरुवर की महिमा अपरंपार ।
--- www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---
#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #Rishabhdev #AcharyaVidyasagar #Ahinsa #Nonviolence #AcharyaShri
Source: © Facebook
जैन मुनि सुधा सागर महाराज की बच्चों की पाठशाला में सामूहिक रूप से बोन चाइना की बच्चों ने तोड़ा और आजीवन त्याग की शपथ ली #MuniSudhasagar #Bonechina
Source: © Facebook
Update
This photo shows a cow transported from Tamil Nadu to Kerala, India. Hot burning chili was put inside the eyes of the cows on this transport to prevent them from sitting on the truck and taking 'too much space'. #AnimalCrulty #GoVegan #Vegetarian #BeVegan #BoycottDairy #SaveCow:((
All around the world animals are being terrorized in the name of meat, dairy and eggs. Please think of the animals and what they are being put through before you buy these products.
Source: © Facebook
News in Hindi
प्रश्न: क्या देवी-देवता किसी की मन्नत पूरी कर सकते है? #MuniAbhaysagar
उत्तर: जैन-दर्शन की स्पष्ट मान्यता है कि देवी-देवता किसी को कुछ नहीं देते । जो कुछ मिलता है, वह अपने पुण्य से ही मिलता है । कोई भी शक्ति केवल निमित्त बन जाती है । उसे मुफ्त में ही श्रेय मिल जाता है ।
व्यक्ति का पूण्य ही बलवान है । कोई किसी को कुछ दे नहीं सकता । न कोई किसीकी सुखना पूरी करता है और न मनौती । जिसका पूण्य होगा उसकी सुखना भी पूरी हो जाती है और मनौती भी । उसमें संयोग या निमित्त के रूप में देवी-देवता या फिर अन्य कोई भी हो सकता है ।
इसिहास में बहुत से प्रसंग मिलते है जहां पुण्यशाली आत्माओं को भी घोर कष्टों का सामना करना पड़ा, किन्तु कोई देवी-देवता उनकी रक्षा के लिए नहीं आया ।
सीता सती को जब रावण ले जा रहा था तो किसी भी देव ने उनकी रक्षा नहीं की, अंततः अपने ही पूण्य का उदय हुआ तो लंका विजय करके राम ने सीता को प्राप्त किया ।
द्वारिका नगरी जली तो कोई देवता उसे बचा नहीं सका, जबकि द्वारिका तो देवताओं ने ही बसाई थी ।
सनत्कुमार चक्रवर्ती की सेवा में १६००० देव हाजिर रहते थे, फिर भी उनके शरीर में जब रोग आये तो कोई भी देव उन रोगों से उनकी रक्षा न कर सका ।
ऐसे ही चंदना, सुभद्रा आदि सतियों के उदहारण मिलते है ।
अंततः व्यक्ति का अपना ही पूण्य और पुरुषार्थ काम आता है ।
--- www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---
#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #Rishabhdev #AcharyaVidyasagar #Ahinsa #Nonviolence #AcharyaShri
Source: © Facebook