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❗️❗️कर्मों की होली❗️❗️#Kundalpur
1 मुनिराज पेड के नीचे बेठे थे! ध्यानमग्न! कर्मो की होली जला रहे थे! दो श्रावक वहाँ से निकले! तीर्थंकर प्रभु के समवशरण मे जा रहे थे! वो समवशरण मे जाते ही भगवान से पूछते हैं! भगवन! हमारे नगर के राजा ने मुनि दीक्षा ग्रहण की है और वे पेड के नीचे बेठे ध्यान कर रहे है! उनके संसार मे कितने भव शेष हैं?
तीर्थंकर प्रभु की वाणी मे आया - उनके संसार मे इतने भव शेष हैं जितने उस पेड मे पत्ते!
श्रावक -प्रभु! वो तो इमली के पेड के नीचे बैठे हैं! इमली के पेड के पत्ते गिने जा सकते हैं क्या?
भगवन ने कहा -हाँ उतने ही भव शेष हैं
श्रावको ने पूछा -और भगवन हमारे?
भगवन -तुम्हारे केवल सात व आठ भव शेष हैं!
वे श्रावक क्या थे कि बस अहंकार मे फूल गए कि मुनि के इतने भव शेष हैं जितने इमली के पेड मे पत्ते व हमारे केवल सात व आठ!
सम्यक्दर्शन का अभाव था! मुनि के पास आये और आते ही कहा! अरे पाखंडी घर बार छोड़ कर किसलिए तपस्या मे लगे हो,तुम्हे अभी संसार मे इतना भटकना है,इतने भव धारण करने हैं जितने इस इमली के पेड मे पत्ते!
मुनिराज मुस्कुराए -सोचते हैं तीर्थंकर प्रभु की वाणी मिथ्या तो हो नही सकती! कम से कम इतना प्रमाण तो मिल ही गया कि मुझे केवलज्ञान होगा! मोक्ष सुख की प्राप्ति होगी! मुनिराज ने समाधिमरण किया व पहले का निगोद आयु का बंध किया हुआ था सो निगोद मे चले गए! और निगोद मे एक भव कितने समय का? एक श्वांस मे अठरह भव होते हैं,निगोद मे इमली के पत्तों के बराबर भव काटने हैं! एक सप्ताह के अंदर निगोद मे गए भी और वापस भी आ गए! निगोद से निकलकर उसी नगर मे मनुष्य भव धारण किया अर्थात आठ वर्ष अंतरमुहूर्त के बाद फिर मुनि गए और बैठ गए ध्यान मग्न उसी इमली के पेड के नीचे! एक अंतर मुहूर्त अगले मनुष्य भव का,आठ दिन निगोद आयु के व आठ वर्ष बालक अवस्था के! वही श्रावक फिर उसी रास्ते से तीर्थंकर प्रभु के दर्शन को गुजरे! समवशरण मे पहुँच कर प्रभु से वही सवाल!
भगवन कहते हैं -आठ वर्ष पहले जो मुनिराज वहाँ तप कर रहे थे,ये मुनिराज उसी मुनि का जीव है जो निगोद मे अपनी बंध की हुई आयु पूरी करके फिर से मनुष्य भव मे आकर तप कर रहे हैं और जब तक तुम वहाँ वापस पहुंचोगे उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी होगी!
ओह धिक्कार है हमारे इस जीवन को अभी हमें सात आठ भव मे न जाने कितना काल इस पृथ्वी पर बिताना है और धन्य है उन मुनिराज का जीवन जो हमारे जीते जी ही केवल ज्ञान को प्राप्त हो गए!
हम अहंकार मे रहते हैं कि मै मनुष्य हूँ और चींटी को रोंद देते हो पैरों से! ध्यान रखना चींटी हमसे व तुमसे पहले मोक्ष जा सकती है अगर मरकर विदेह क्षेत्र का मनुष्य योनि का पहले बंध किया हुआ होगा
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#हाथकरघा से तैयार बेग, थैला @ कुँथलगिरी!! #AcharyaVidyaSagar #Hatkardha
-pic shared by mr. Deepak Jain..
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धन्य हैं ध्यान में डुबकी लगाते ध्यान ओर ज्ञान के सागर।
अपरमपार हैं महिमा गुरु विद्यासागर आगम के आगर!!
ध्यान व मनन से जिनवानी के मोती चुन चुन कर हमें बताते!
ये निर्ग्रंथ आदर्श हमें सिद्ध हो जाने का उपाए करके दिखलाते!
-Composition writtten by -Nipun Jain
(www.jinvaani.org @ e-Storehouse of Jainism source)
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:) #आचार्यवर्धमानसागर #AcharayaVardhmansagar
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उनकी चर्या का क्या कहना,उनकी क्रिया का क्या कहना* दुनिया में संत हजारों है,विद्यासागर जी का क्या कहना:) exclusive photograph!
सच में! जब पूज्यपाद आचार्य श्री की क्रिया,चर्या को देखते है,तो अंतस् मे यह अनुभूति अवश्य ही होती है कि आचार्य भद्रबाहु,कुन्दकुन्द,समन्तभद्र आदि ऐसे ही रहे होंगे जैसे आज आचार्य श्री है और कई बार तो यूँ भी लगता है कि प्रथमेश ऋषभदेव व अन्तिम जिनेश वर्द्धमान भी ऐसे ही रहे होंगे।
☄किसी स्थान से किञ्चित भी मोह नहीं, और तो और जिन शिष्यों को माँ बनकर पुत्र की तरह पाला उनके प्रति भी निर्मोही..!!☄ आज जहाँ साधु भगवन्तों के आगामी चातुर्मास,वाचनाएँ,दस-दस पंचकल्याणक पहले ही निश्चित हो जाते है..अब निश्चित करने का कारण क्या हो यह नहीं पता..!* *वही आचार्य श्री विद्यासागर जी के विहार का तो एक पल का भी भरोसा नहीं सैकड़ो शिष्य,हजारों त्यागी व्रती,लाखों भक्त होने के उपरांत भी किसी की चिंता नहीं..।* *ये भी नहीं देखते कि जिस तरफ गमन हो रहा है उधर संघ की व्यवस्था होगी या नहीं,बल्कि चक्रवर्ती की तरह धर्मसंघ को लेकर निर्द्वन्द विचरण करते है।*
आज मध्याह्न में विदिशा से विहार की सूचना प्राप्त हुई,जहाँ से सैकड़ो दिशाएँ थी##गुना वाले महीनों से पंचकल्याणक हेतू गुरु चरणों में निवेदित थे..!तो इन्दौर की श्रद्धा भी कम नहीं थी इन्दौर ही नहीं अपितू पूरा निमाड़,मालवा श्रीचरणों में श्रद्धानवत् था,विदिशा वाले तो जैसे निश्चिंत ही हो गए थे कि अब शीतकालीन वाचना का सौभाग्य हमें ही मिलेगा। पर कहते है ना राम की लीला राम ही जाने...!और राम वहाँ से भी विहार कर गए👣
धन्य है हम जो इस घोर कलिकाल में भी सतयुग का आभास कराने वाले साक्षात् श्रीराम के दर्शन पा रहे है
🙌🏻विद्यासागर मम् गुरु🙌🏻
🙌🏻उज्जवल करो भविष्य🙌🏻
--- www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---
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