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जिज्ञाषा समाधान- पूज्य गुरुदेव मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महामुनिराज #MuniSudhasagar
☄ *ईशान कोण में भगवान की फोटो, कलश, स्वास्तिक आदि रखने में कोई बाधा नहीं है। भगवान् की प्रतिमा को ईशान कोण में स्थापित नहीं करना चाहिए।*
👉 घर में प्रतिमाएं आदि नहीं रखना चाहिए, क्योंकि हम इनकी यथायोग्य विनय नहीं कर पाते हैं। घर में चैत्यालय बनाने में कोई बाधा तो नहीं है, परन्तु यह घर की दीवारों से कम से कम 3 हाथ दूर होना चाहिए।
☄ *जो स्त्री अशुद्धि का पालन नहीं करती वो नियम से नीच गोत्र का ही बन्ध कर रही है। ऐसी स्त्री को हमेशा सूतक लगा रहता है।*
☄ *दूकान की देहरी- तराजू,आदि को छूना ठीक नहीं है। लक्ष्मी को भगवान से बढ़कर नही मानना चाहिए। जितना लक्ष्मी के पीछे भागोगे, लक्ष्मी उतनी ही दूर भागेगी।*
☄ *क्षेत्रपाल- पद्मावती आदि सरागी होते हैं। जो वीतरागता के उपासक हैं,उन्हें सरागियों की आराधना, पूजन आदि नही करना चाहिए।*
☄ *धोती दुपट्टे एक बार उपयोग में लाने के बाद अशुद्ध हो जाते हैं, अतः इन्हें धोने के बाद ही पुनः उपयोग में लाना चाहिए*
☄ *मुनिराज का महिलाओं को स्पर्श करने का निशेष होता है। जो मुनि महाराज महिलाओं को तिलक आदि लगाते हैं, वो नियम से भ्रष्टता की कोटि में ही आएंगे।*
☄ घर में मंगल के निमित्त दीपक आदि लगाने में कोई बाधा नहीं, परन्तु घर में भगवान की आरती आदि नही करना चाहिए।
*नोट- पूज्य गुरुदेव जिज्ञासाओं को समाधान बहुत डिटेल में देते हैं। हम यहाँ मात्र उसका सार ही देते हैं। किसी को किसी सम्बंध में कोई शंका हो तो कृपया सुधाकलश app या youtube पर आज का वीडियो देख कर अपना समाधान कर सकते हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।*
*पूज्य गुरुदेव का जिज्ञाषा समाधान कार्यक्रम प्रतिदिन लाइव देखिये- जिनवाणी चैनल पर* सायं 6 बजे से, पुनः प्रसारण अगले दिन दोपहर 2 बजे से* संकलन- दिलीप जैन शिवपुरी।*
*अग्रेषित-अनिल बड़कुल,जैन न्यूज़ सेवा*
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Source: © Facebook
Update
सिलवानी नगर में हल्ला.. आ रहे श्री मति की लल्ला.. --होगी ऐतिहासिक आगवानी आज शाम को!!
भव्य आगवानी के साथ होगा सिलवानी के खड़े बाबा पार्श्वनाथ भगवान से छोटे बाबा आचार्य देव श्री 108 विद्यासागर जी का मंगल मिलन, श्रीमद् पूज्यपाद विशेषणों के विशेषण आचार्य देव १०८ श्री विद्यासागर जी महामुनिराज की ऐतिहासिक मंगल आगवानी कल शाम को पहाड़ो की नगरी सिलवानी में होने जा रही है यह पूरे बुंदेलखंड में अब तक हुई आगवानियों में सबसे अलग व ऐतिहासिक होगी। गुरुदेव की आगवानी के लिए पूरे सिलवानी नगर को दुल्हन की भाँति सजाया गया है हर घर के बाहर रंगोलियाँ बनी है दीपक जलाए जा रहे है।
🌱 *_आगवानी के मुख्य आकर्षण_*🌱
🌹पुष्पोत्तर विमान से गुरुदेव की मंगल आगवानी पर पुष्पवर्षा करेंगें इन्द्र(मंगल आगवानी पर हेलिकॉप्टरद्वारा पुष्पवर्षा)🌹
🐘 *ऐरावत हाथी सहित सवार होकर सौधर्म इन्द्र करेंगे जन-जन के आराध्य की आगवानी*🐘
🐎👑शाही घोड़े,बग्गी में सवार होकर अन्य इन्द्रगण करके वर्तमान के वर्द्धमान की मंगल आगवानी👑🐎
👬 *सिलवानी नगर के सभी विद्यालयों के छात्र-छात्राएँ 🇮🇳इण्डिया नहीं भारत कहो🇮🇳 की तख्तियाँ हाथ में लिए करेंगे राष्ट्रहितचिंतक की महाआगवानी*👬
🔴नरसिंहगढ़ के बारे लाल बैंड होंगे मुख्य आकर्षण🔴
🐎 *नृत्य करने वाले घोड़े*🐎
🐚⌛कई स्थानों के प्रसिद्ध दिव्यघोष
🎺🎷 *शहनाई व विभिन्न वाद्ययंत्र*
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जिज्ञाषा समाधान- पूज्य गुरुदेव मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महामुनिराज
मंदिरों में अनुशासन बनाने के लिए कठोर नियम बनाना ही चाहिए। अभिषेक- शांतिधारा का समय निश्चित होना चाहिए। अगर कोई ददागर्दी से अपने अनुसार कार्य करने की कोशिश करे तो उसे बाहर का रास्ता दिखाने में कोई दोष नहीं है।
👉 *वर्तमान में जो भट्टारक आदि हैं वह पूज्नीय नहीं है।* छुल्लक महाराज भी इन से बहुत ऊपर होते हैं, क्योँकि छूल्लक जी की प्रतिमाएं होती हैं। जबकि भट्टारकों प्रतिमाधारी नही होते हैं।
👉 *अपने उपकारी के उपकार को कभी नहीं भुलाना चाहिए। गुरु महाराज जो उपदेश देते हैं। यथाशक्ति उन बातों को मानकर उनका पालन करना चाहिए।*
👉 मात्र दान देने से ही पूण्य का बंध नही होता, बल्कि दान की अनुमोदना करने से भी बहुत पूण्य का बन्ध होता है। अतः *हम दान न दे सकें कोई बात नही, दान की अनुमोदना में पीछे नही रहना चाहिए।*
👉 दीपक जलाना ज्ञान का प्रतिक है। और दीपक से आरती करना केवलज्ञान का प्रतीक है। आरती करने के बाद आरती लेंने का अर्थ है, मैं भी ऐसे गुणों को प्राप्त करना चाहता हूँ।
👉 *लोक व्यवहार में भी चौथ, नवमी, चतुर्दशी को अगर शनिवार पड़े, तो प्रायःकर अच्छा माना जाता है।* परंतु कभी कभी ज्योतिष में कोई और नक्षत्र आ जाने से हानिकारक भी हो जाता है। अतः कोई भी कार्य करने से पूर्व ये सभी देख लेना चाहिए।
👉 *अनैतिक कार्यों में देव, शास्त्र, गुरु का नाम नहीं रखना चाहिए।* प्राभावना की दॄष्टि से फेसबुक-व्हाट्सअप्प पर गुरुओं के नाम से कोई ग्रुप बनाने में कोई बाधा नहीं, परन्तु इसमें महाराजों की अनुमोदना नहीं होना चाहिए।
👉 *मुकुट एक मांगलिक का प्रतीक होता है। यह कार्य के शुभ करने के लक्षण हैं।* कोई भी मांगलिक कार्य बिना सर ढके नही किये जाते हैं।
*नोट- पूज्य गुरुदेव जिज्ञासाओं को समाधान बहुत डिटेल में देते हैं। हम यहाँ मात्र उसका सार ही देते हैं। किसी को किसी सम्बंध में कोई शंका हो तो कृपया सुधाकलश app या youtube पर आज का वीडियो देख कर अपना समाधान कर सकते हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।*
*पूज्य गुरुदेव का जिज्ञाषा समाधान कार्यक्रम प्रतिदिन लाइव देखिये- जिनवाणी चैनल पर*
*सायं 6 बजे से, पुनः प्रसारण अगले दिन दोपहर 2 बजे से*
*संकलन- दिलीप जैन शिवपुरी।*
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लीलायें:- आदिनाथ स्वामी.. @ बालक की:))
सर्वप्रथम उन षट्कुमारी देवियों ने पवित्र पदार्थ से गर्भ का शोधन किया । गर्भस्थ शिशु के होने पर जो लक्षण जननी में प्रकट होते हैं, वे मरुदेवी में उत्पन्न हुए नहीं थे । षट्देवियों की सेवा सुश्रुषा से वे मन वचन काय से प्रशस्त थी । चैत्र कृष्ण नवमी के दिन जब सूर्योदय के समय उत्तराषाढ़ नक्षत्र था और ब्रह्म नामक महायोग था तब कलिकाल का अग्रणी प्रणेता, सन्त्रस्त अनंत प्राणियों को माया मोह के जंजाल से मुक्त कराने का अचूक संकल्प लिए विश्व के सदा उपगम्य, सोलह महा भावनाओं की प्रभावना का एकमात्र स्त्रोत, देवों के वचनों से प्रशंसित रवि के समान तेजस्वी और प्रभावी रविवार को इस धराखंड पर प्रसूत हुआ कि तत्क्षण...
स्वर्ग लोक, भूलोक और अधोलोक में खलबली मच गयी । सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पित हो गया । शची डर गयी । उधर ज्योतिर्लोक में भयंकर सिंहनाद हुआ । व्यन्तर आवासों में और शिविरों में भेरी गरज उठी । भवनवासी देवों के निलय भी शंख ध्वनि से क्षुभित हो गये और कल्पवासी विमानों में झनझन घंटियाँ झनझनाने लगीं । विश्व में इस क्षोभ का कारण अवधिज्ञान से जानकर महाइन्द्र सपरिवार चतुर्निकाय के देवों के साथ हाथी, घोड़े, रथ, गंधर्व, नृत्यांगना, पियादे और बैल से सज्जित सात बड़ीबड़ी सेनाओं को लिए प्रस्थान किया ।
जम्बूद्वीप के समान विस्तार से युक्त महावैभवशाली ऐरावत हाथी से सौधर्म इन्द्र उतरकर राजा नाभिराज के प्रांगण में पहुँचा । पश्चात् इन्द्राणि ने बड़े ही उत्सव के साथ प्रसूतिगृह में प्रवेश किया । जिनबालक को प्रणाम किया और माँ श्री की भूरिभूरि स्तुतियों से स्तुति की । पश्चात् माँ को मायामयी निद्रा में सुलाकर और मायामयी बालक को निकट रखकर शची उस तेज पुञ्ज को अपनी गोद में लिए इतनी विभोर हो गयी मानो आज उसने तीन लोक को अपने आँचल में समेट लिया हो और स्त्रीत्व की उत्कृष्टता को प्राप्त कर लिया हो । यह सुख इन्द्राणि का समस्त ऐन्द्रिक सुख से विलक्षण था । इन्द्र के कर कमलों में सौपते हुए बालक ऐसा लगा मानो इन्द्र ने तप्त सूर्य को अपने हाथों में कैद कर लिया हो ।
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News in Hindi
सिध्दभूमी कुंथलगीरी सल्लेखना संलेखनारट प.पू.मुनिश्री माणिकसागरजी महाराज, निर्देशन निर्यापकाचार्य- प.पू. मुनिश्री नियमसागरजी महाराज --कल पू. मुनिश्री माणिकसागर महाराजजी ने केवल दाे अंजुली पाणी ले लिया है । महाराजजी का स्वास्थ्य आच्छा है । महाराजजी का स्मृति और चेतना बहुतही आच्छी है । #मुनिनियमसागर #MuniNiyamsagar #
पू.मुनिश्री नियमसागरजी, पू.मुनिश्री प्रबाेधसागरजी, पू.मुनिश्री वृषभसागरजी, पू. मुनिश्री अभिनंदनसागरजी, पू. मुनिश्री सुपार्श्वसागरजी ये पांचाे महाराजजी पूरे विनय के साथ वात्सल्ययुक्त 24 घंटे निरंतर सेवा में रत है । पू. आर्यिका श्रुतमती माताजी का 6 माताजी का संघ भी क्षेत्रपर विराजमान है । क्षु. समताभूषणजी भी सेवा मे लगे है ।
Info Source: बा ब्र. तात्या भैय्या ★
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