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Exclusive Photograph:) एक बार रास्ते में आचार्य श्री सासंघ विहार करते हुए आ रहे थे। एक गाँव से गुजरना हुआ वहाँ दुकान पर एक भजन चल रहा था।..... दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी, तूने काहे को दुनिया बनायी...
इस पंक्ति को सुनकर आचार्य श्री के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी तो साथ में चलने वाले सभी हँसने लगे। आचार्य महाराज ने कहा -- ऐसा कहना ठीक नही बल्कि ऐसा कहो _*"दुनिया बसाने वाले क्या तेरे मन में समायी, तूने काहे को दुनिया बसायी।"*_ संसार में तुम ही फंसे हो, गृहस्थी तुमने ही बसायी है खुद को दोषी कहो, भगवान को दोषी मत कहो।
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प्रातः स्मरणीय संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री 108 विद्यासागर जी महाराज ससंघ ३८ पिच्छि सिलवानी जिला रायसेन मैं विराजमान है
*सुबह 06:30 बजे गुरु भक्ति*
*07:00 बजे शोंच*
*09:30 बजे पुजन*
*10:00 बजे आहारचर्या*
*12:00 बजे ईर्यापद भक्ति*
*02:30 बजे से 05:00 बजे तक दर्शन*
*05:00 गुरु भक्ति*
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Source: © Facebook
बालाघाट जिले (म. प्र.) के कटगी ग्राम मे भगवान पार्श्वनाथ जी की अतिप्राचीन प्रतिमा भूगर्भ से प्राप्त होने पर जैन समाज में हर्ष...प्रतिमा जी को समर्पण तीर्थ, झिलमिली, जिला छिंदवाड़ा (म. प्र.) मे विराजमान किया गया... #Parasnath #Parshvanath
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News in Hindi
जिज्ञाषा समाधान -मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महामुनिराज #MuniSudhasagar
गर्भवती महिलाओं को आदिपुराण पढ़ना चाहिए। क्योंकि इसमें मनुष्य जीवन में कल्याण कैसे कर सकते हैं, इसका पूर्ण वर्णन मिलता है।
☄ *मन्त्र तन्त्र, झाड़ा- फूंकी आदि के चक्करों में नही पड़ना चाहिए। बल्कि अपना पूण्य बढ़ाना चाहिए। पूण्य के उदय में आपका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। और पाप के उदय में कोई मन्त्र- तन्त्र काम आ नहीं सकता।* आपको जो परेशानी है, उसे दूर करने के लिए तन्त्र मन्त्र का नही, बल्कि धर्म का सहारा लेना चाहिये।
👉 *संसार के प्रत्येक धर्म का अंतिम लक्ष्य शान्ति प्राप्त करना ही है। सभी के रास्ते अलग अलग हैं। परन्तु मंजिल एक ही है। कोई इसे मोक्ष, कोई बैकुण्ड, कोई ईश्वर की प्राप्ति मानता है।*
☄ *दिगम्बर मुनि पंचकल्याणक के दौरान स्वयं भगवान की प्रतिमा को लेजाकर आहार आदि की क्रिया नही करा सकते। यह क्रिया श्रावकों की है, उन्हें ही कराना चाहिए।*
☄ *भक्तामर की इतनी महिमा है, कि भक्तामर पड़ने से ही नहीं, बल्कि मात्र सुनने से भी लोगों की परेशानियां दूर हो जाती हैं। बस शर्त इतनी है कि, भक्तामर की पूरी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भक्तामर पाठ को पूरी उत्साह के साथ करना चाहिए।*
👉 कठिन परिस्थितियां कभी स्वयं नही आतीं। यह हमारे स्वयं के द्वारा बुलाई जाती हैं। जैसे पूर्व में हमनें कर्मों का संचय किया है, वही हमें वर्तमान में प्राप्त हो रहा है। हमें स्वयं सोचना चाहिए ये परिस्थितयां कैसे आईं? इस सम्बंध में गुरुओं से मार्गदर्शन लेना चाहिए।
*नोट- पूज्य गुरुदेव जिज्ञासाओं को समाधान बहुत डिटेल में देते हैं। हम यहाँ मात्र उसका सार ही देते हैं। किसी को किसी सम्बंध में कोई शंका हो तो कृपया सुधाकलश app या youtube पर आज का वीडियो देख कर अपना समाधान कर सकते हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।*
*पूज्य गुरुदेव का जिज्ञाषा समाधान कार्यक्रम प्रतिदिन लाइव देखिये- जिनवाणी चैनल पर* *सायं 6 बजे से, पुनः प्रसारण अगले दिन दोपहर 2 बजे से* संकलन- दिलीप जैन शिवपुरी।*
प्रस्तुति- अनिल बड़कुल, गुना मप्र
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