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🌏 आज की प्रेरणा 🌎
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
आलेखन - संस्कार चैनल के श्रवण से:-
आर्हत वाड्मय में जैन शास्त्रों में भगवान महावीर और उनके शिष्य गौतम गणधर के बीच पश्नोत्तर का विस्तृत विवेचन मिलता है | उन्होंने गौतम के माध्यम से एक बहुत महत्त्व पूर्ण संदेश दिया - हे गौतम! कुश के अग्र भाग पर लटक रहा ओस बिंदु थोड़े समय तक ही ठहरता है| ठीक उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी अशास्वत है | इसलिए तुम जरा भी प्रमाद मर करो | मृत्यु का होना तो सबके लिए निश्चित है लेकिन कब किसकी मृत्यु होगी यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं जानता | मनुष्य जीवन बड़ा महत्व पूर्ण है | पाप करे तो सातवीं नरकी तक और धर्म करे तो मोक्ष तक पहुंचा सकता है | गर्भस्थ शिशु युद्ध विक्रिय शरीर बनाकर युद्ध भी कर सकता है तथा गर्भ ही में मरकर नरक या स्वर्ग में जा सकता है | मनुष्य जीवन को एक ऐसा वृक्ष बताया है जिसके ६ फल लगने चाहिए - जिनेंन्द्र पूजा, गुरु पर्युपासना, स्वत्वानुक्म्पा, सुपात्र दान, गुणानुराग व आगम श्रवण | हम मानव जीवन को सार्थक बनाने में हम इन गुणों का अनुशरण करें, यह काम्य है |
दिनांक - ३० दिसम्बर २०१६ शुक्रवार
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🔯 गुरुवचनों को अपनाये - जीवन सफल बनायें 🔯
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🙏 जय जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 30-12-2016
तिथि: - पोष सुदी एकम (01)
शुक्रवार का *त्याग/पचखाण*
1> आज सूजी का हलवा खाने का त्याग करें।
जय जिनेन्द्र
प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं सभी से निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग आवश्य करे। छोटे छोटे त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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