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खुशी के पल:) #हतकरधा #Hatkardha #Handloom बहुत कृपालु है मेरे गुरु आचार्य विध्यासागर जी महाराज.. #आचार्यविद्यासागर #AcharyaVidyaSagar
-मेरे साथ लगभग 2 माह पहले कुछ गाव के लडको ने निशुल्क हथकरघा प्रशिक्षण लेना प्रारंभ करा था | आज 2 माह बाद वो लड़के प्रशिक्षण के साथ साथ 7500-9000 रूपए भी कमाने लग गए है | उनमे से कुछ तो भविष्य में अपना खुद का हथकरघा केंद्र शुरू करके दूसरों को रोजगार देने का सोच रहे है | सोचने वाली बात यह है के जहा एक भीड़ में बच्चे, 4-5 साल पढ़ कर तथा लाखो रूपए खर्च कर भी रोजगार के लिए भटक रहे है| दूसरों के यहाँ नौकरी करके मुश्किल से 7000-10000 माह कमा रहे है वही हथकरघा में सिर्फ 2 माह के निशुल्क प्रशिक्षण में कई लोग इतना कपडा बुन लेते है के वह 7500-9000 शुरू में ही प्राप्त करने लगे है | हाथकरघा द्वारा कोई परिवार अगर मिल कर घर में ही काम चालू करे तो आसानी से 20000 से 25000 माह तक आसानी से कमाया जा सकता है| हमारे देश में बेरोजगारी को कम करने साथ में देश की आर्थिक स्तिथि को मजबूत करने में हथकरघा बहुत अधिक योगदान दे रहा है ओर देगा -Vaibhav Jain, Bhopal
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Page is About Jainism/Jain Dharma & Its de facto follower Ascetic Acarya Sri VidyaSagara G. Jainism has strong message that anyone who posses trio of Rational Perception, Rational Knowledge and Rational Conduct [Gem-trio - United constitute] gets liberation and breaks all karmic bondage.:)) Page has already 58,000+ LIkes.
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Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt
दिगंबर सरोवर के राजहंस आचार्य श्री विद्यासागर जी -De facto follower of Jainism who believe in Rational Perception, Rational Knowledge and Rational Conduct
इस फोटो को बस केवल एक मिनट गाैर से देखना आप सारे जीवन पतंग नहीं उडाने का नियम ले लेगें ऐसा मुझे विशवास है।आप इस फोटो को और मेसेज को हर जगह शेयर करें!! #NoKiteFlying #StopFlyingKite #KitetheatKillsBirds
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📚जिज्ञासा समाधान📚मुनिपुंगव सुधासागर जी महामुनिराज् #AcharyaVidyaSagar #MuniSudhaSagar
1⃣ कष्टों के आने पर हर व्यक्ति धर्मात्मा हो जाता है। व्यक्ति ठोकर खाने के बाद ही चेतता है। *कष्टों में किये हुये धर्म को उत्कृष्ट धर्म की संज्ञा नहीं दी जा सकती। बस्तुतः सुख के दिनों में किया गया धर्म ही स्वाभिक लगता है।
2⃣ उपकारी ही प्रथम वंदनीय होता है। *हमेशा व्यक्ति को उस गुरु के प्रति विशेष अनुराग रखना चाहिए, जिसके कारण धर्म उसके जीवन में आया है।* इसका सबसे बड़ा उदाहरण णमोकार मन्त्र है, जिसमे प्रथम नमस्कार उस अरिहंत को किया जिसने सिद्धों का स्वरूप बताया है।
*गुरु के पास रहने वाला ज्यादा पुण्यात्मा नही, बल्कि जो शिष्य गुरु की भावनाओं और उसकी आज्ञा को पूरी करता है। वही शिष्य पुण्यात्मा है।*
3⃣ बेटा अपने माँ-बाप की सेवा करे तो वह मोह नही वो उसका कर्तव्य है। परंतु यदि बेटे के मन में यह भाव जाग जाए कि माँ-बाप के बाद मेरा क्या होगा? यदि यह भाव आ जाये तो मोह कहा जायेगा।*
4⃣ मंदिर की प्रतिष्ठा में कई बातें देखी जाती हैं। *मूर्ति का पाषाण कैसा है, उसकी स्थापना करने वाला श्रावक कैसा है, और सूरी मन्त्र देने वाला कौन है। यह तीनों जब उत्कृष्ट मिल जाते हैं तो वह मूर्ति अपने आप चमत्कारिक हो जाती है।*
5⃣आज् भारत का दुर्भाग्य है की हमारी सभी अच्छी प्रतिभाएं पैसा कमाने विदेश चली जाती हैं । सारे भारतवासी यदि धन का लोभ छोड़कर अपना दिमाग यदि भारत देश के विकास में लगाएं तो भारत पुनः सोने की चिड़िया बन जाएगा।
6⃣भरत बाहुबली की लड़ाई से हमें बहुत बड़ी शिक्षा लेनी चाहिए। भरत बड़ा भाई होकर भी बाहुबली के चरणों में झुक गया। अगर दोनों न लड़ते तो, दीक्षा लेकर अपना कल्याण कैसे करते। बड़े आदमियों की भूल में भी धर्म छुपा रहता है। इसे समझने की आवश्यकता है।
7⃣क्षेत्रपाल-पद्मावती आदि शासन देवी देवता भगवान के मंदिर जे चौकीदार हैं। इन्हें नमस्कार नहीं करना चाहिए। जो क्षेत्रपाल-पद्मावती को देवता मानकर पूजता है, वह कभी सुखी नही रह सकता। इनको पूजना मित्यात्व है। जिनेन्द्र देव की पूजा करो, ये देवी देवता तो अपने आप तुम्हारी रक्षा करेंगे ही।
8⃣अकृतिम चैत्यालयों में लगातार अखंड ज्योति और धूपड़े आदि जलते रहते हैं। जिनेन्द्र भगवान का धर्म निरन्तर अवाध रूप से चलता रहे, हमेशा अखंड बना रहे, इसी भावना से मंदिरों में अखंड ज्योति की स्थापना की जाती है।
9⃣मंदिरों में निर्माण कार्य के दौरान यदि प्रतिमाओं को पॉलीथिन आदि से ढक देते हैं, तो इसमें कोई दोष नहीं। क्योंकि इसके पीछे हमारा भाव मूर्ति को अशुद्धि से बचाने का होता है।
1⃣0⃣मूलनायक का अभिषेक प्रतिदिन नही करना चाहिए। और साथ ही एक तीर्थंकर का गंधोदक दूसरे पर नही लगना चाहिए। यह बहुत बड़ा अविनय है। पूज्यवर माघनंदी जी महाराज ने स्पष्ठ उल्लेख किया है कि भगवान की मूल गादी पर अभिषेक नही करना चाहिए, बल्कि किसी प्रतिमा को उठाकर पांडुकशिला आदि पर स्थापित करके ही अभिषेक करना चाहिए।
*नोट- पूज्य गुरुदेव जिज्ञासाओं को समाधान बहुत डिटेल में देते हैं। हम यहाँ मात्र उसका सार ही देते हैं। किसी को किसी सम्बंध में कोई शंका हो तो कृपया सुधाकलश app या youtube पर आज का वीडियो देख कर अपना समाधान कर सकते हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।*
*पूज्य गुरुदेव का जिज्ञसा समाधान कार्यक्रम प्रतिदिन लाइव देखिये- जिनवाणी चैनल पर*
*सायं 6 बजे से, पुनः प्रसारण अगले दिन दोपहर 2 बजे से*
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News in Hindi
आचार्यश्री विद्यासागर जी ससंघ(38 मुनिराज) सिलवानी में विराजित है। ससंघ सानिध्य में दिनांक 13 जनवरी 2017 से 18 जनवरी 2017 तक भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव व गजरथ होंगे, कल सिलवानी नगर में मुनि श्री सुखसागर जी क्षुल्लक श्री संयमसागर जी का भव्य मंगल प्रवेश हुआ। #AcharyaVidyaSagar #आचार्यविद्यासागर
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