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*शंका समाधान - 22 Jan.' 2017*
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*१. भगवान् के चरणों में जाकर पहले उनकी खूब भक्ति कीजिये फिर वैराग्य भावना और बारह भावना पढ़िए ।*
२. रात में दीपक जलाने में विवेक रखिये कि कही जीवों कि हिंसा तो नहीं हो रही ।
३. घर - परिवार में भावनाओं से और व्यापार में बुद्धि का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए ।
४. ईक्क्षावु, कुरु, यदु आदि ये सारे वंश क्षत्रिय थे । इतिहास के पन्ने पलट के देखिये जैनों की ८४ जातीय थीं और इनमे से ज्यादातर क्षत्रिय थीं । उदारणतः मध्य प्रदेश के परिवार जैन, विक्रमादित्य के वंशज हैं और खंडेलवाल जैन चौहान वंशज हैं । हर जाती के लोग पहले भारी संख्या में जैन ही थे ।
५. आदि पुराण में ऐरावत हाथी का बहुत विस्तृत वर्णन दिया गया है, जिनको जिज्ञासा है वो वहाँ पड़ सकते हैं ।
६. गृहस्थ के लिए राग - द्वेष से बचने का सरलतम उपाय है कि अपने को ज्यादा से ज्यादा धर्म ध्यान में लगा दीजिये ।
७. धर्म में कही जटिलता नहीं हैं बस अपनी प्राथमिकताओं को बदलने की जरुरत है ।
*८. साधू के लिए सप्तम गुण स्थान अगर केवल निवृत्ति (ध्यानस्थ अवस्था) में ही मानेंगे तो आगम में बहुत दोष आने लगेंगे, जोकि संभव नहीं है । जैसे कि जब गणधर भगवान् उपदेश दे रहे हों जोकि २ घंटे से अधिक होता है, साधू के आहार के समय, साधू के विहार के समय, यानि कि ये सारी प्रवत्तियाँ ४८ मिनट से ज्यादा हो सकती हैं और साधू नियम से ४८ मिनट में एक बार जरूर ७ वें गुण स्थान में आता ही है । अतः प्रवत्ति में भी साधु छटवें और सातवें गुण स्थान में झूलता है । हमारे गुरुदेव महाराज कहते हैं कि साधु की किसी भी प्रवत्ति की इच्छा उसकी प्रमत्त (६ वां गुण स्थान) और उस प्रवत्ति में आगम अनुरूप सावधानियां ही अप्रमत्त (७ वां गुण स्थान) अवस्था है ।*
*९. ज्ञान, मनुष्य का कल्याण तभी कर पाता है जब उसका ह्रदय करुणावान हो ।*
१०. मनुष्य के कर्म नहीं चरित्र ही दिखता है । मोक्ष जाने के लिए चौथे गुण स्थान में जाना कोई जरुरी नहीं है, पहले गुण स्थान से चारित्र अंगीकार करके सीधे छटवें और सातवें गुण स्थान में आकर, फिर शुक्प ध्यान ध्याकर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं ।
*११. पुण्य पटरी है और पुरुषार्थ ट्रेन । पुण्य की पटरी पर पुरुषार्थ की गाड़ी चलाकर मोक्ष के स्टेशन पर पहुँच जाइये । पुण्य और पुरुषार्थ दोनों को महत्वपूर्ण मानिये ।*
*- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज*
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साधना स्पर्धा नहीं है । -क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी #AcharyaVidyaSagar #KshullakDhyanSagar
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The principles of Jainism if properly understood in their right perspective and faithfully adhered to, have great relevance for modern times. They establish universal friendship and peace through nonviolence and true social equity based on non-acquisitiveness.
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प्रवेश प्रारंभ @ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के पावन आशीर्वाद से संचालित कन्या आवासीय विद्यालय प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में संस्कारित हो रही है बेटियां!! #SaveGirl #AcharyaVidyaSagar #PratibhaSthali
प्रतिभास्थली जबलपुर (8 वर्ष), डोंगरगढ़ (4 वर्ष), रामटेक (3 वर्ष) पूर्ण करने जा रही है यहॉ 1200 के लगभग छात्राएं संस्कारित हो रही है, इस वर्ष भी 1 फरवरी 2017 से प्रवेश प्रारम्भ होने जा रहे है।
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