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👉 दिल्ली - *लाल किले से गूंजा अणुव्रत का शंखनाद*
👉 सिलीगुड़ी - मर्यादा महोत्सव के अवसर पर सिलीगुड़ी में अणुव्रत का जोर शोर से प्रचार प्रसार
👉 हैदराबाद - मिशन सुरक्षित राहें 2 का आयोजन
👉 वापी - आध्यात्मिक मिलन समारोह आयोजित
प्रस्तुति -🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉 पूज्य प्रवर का प्रेरणा पाथेय
👉 गुरुदेव ने दी सेवा धर्म करने की प्रेरणा
👉 आदमी को तब तक सेवा धर्म करने का प्रयास करना चाहिए, जब तक शरीर का पराक्रम करने योग्य हो।- आचार्य श्री महाश्रमण
👉 फाटापुकुर से पूज्यवर के आज के प्रवचन के अंश
दिनांक - 28 जनवरी 2017
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प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
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आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'
📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 203📝
लय... वन्दना आनन्द
*48.*
परस्पर व्यवहार शिष्टाचार पत्राचार में,
जैन-गौरव *'जय जिनेंद्र'* कहें लिखें हर बार में।
शब्द श्रद्धासिक्त संस्कृतिपरक और यथार्थ हों,
'पाय लागूं पांडिया' क्यों कहानी चरितार्थ हो?
*अर्थ--* पारस्परिक मिलन, शिष्टाचार, पत्राचार आदि व्यवहार में बोलने और लिखने का प्रसंग आता ही रहता है। ऐसे प्रसंग में हर बार जैनत्व के गौरव *'जय जिनेंद्र'* शब्द का प्रयोग होना चाहिए। अन्य शब्दों के प्रयोग का प्रसंग आने पर चिन्तनपूर्वक उन्हीं शब्दों को काम में लिया जाए, जिनके साथ श्रद्धा जुड़ी हो, जो संस्कृति के प्रतीक हों और सार्थक हों, जिस किसी संस्कृति को मानने वाले व्यक्तियों से वास्ता पड़ने पर वैसा ही व्यवहार करने वाला कहता है--
पाय लागूं पांडिया! सिलाम मियांजी!
राम-राम चौधरां! डंडोत बाबाजी!
उक्त दोहे से संबंधित कहानी को चरितार्थ क्यों किया जाए?
*भाष्य--* आस्था अमूर्त होती है। उसे रूपायित करने का माध्यम होता है व्यक्ति का व्यवहार। व्यवहार का सम्बन्ध समूह के साथ रहता है। व्यक्ति क्या करता है? क्या कहता है? और कैसे करता है? ये प्रश्न सामूहिक जीवनशैली से जुड़े हुए हैं। जहां व्यक्ति अकेला हो, वहां ये प्रश्न पैदा ही नहीं होते। कोई व्यक्ति किसी परिचित व्यक्ति से मिलता है, नए व्यक्ति के साथ परिचय करता है, संगोष्ठी में संभागी बनता है या किसी उत्सव में सम्मिलित होता है तो प्रारम्भिक शिष्टाचार के कुछ नियम होते हैं। इसी प्रकार पत्र व्यवहार आदि में भी कुछ निर्धारित क्रम होते हैं। उनके माध्यम से यह पहचान की जा सकती है कि व्यक्ति के आस्थाकेन्द्र कौन हैं?
जैन श्रावक वीतराग को अपने आराध्य या आदर्श मानते हैं। वीतराग बनना उनका लक्ष्य है। लक्ष्य की सतत स्मृति के लिए यह आवश्यक है कि उनके मुंह पर बार-बार वीतराग का नाम आता रहे। वीतराग के लिए *जिन* या *जिनेंद्र* शब्द का भी प्रयोग होता है। लक्ष्य को सामने रखने की दृष्टि से एक प्रतिकात्मक शब्द है *'जय जिनेंद्र'*। जिनेंद्र अर्थात् वीतराग का जयकार करके व्यक्ति अपनी आस्था को पुष्ट करता है और यह सूचना भी देता है कि वह जैन संस्कृति में विश्वास रखता है। इसलिए पत्राचार एवं शिष्टाचार में *'जय जिनेंद्र'* इस वाक्य-प्रयोग का महत्त्व है।
जो लोग अवसरवादी होते हैं, वे अवसर देखकर बात करते हैं। उनके सामने जैसे व्यक्ति होते हैं, वे उसी परम्परा एवं संस्कृति के शब्दों का प्रयोग कर लेते हैं। इस प्रसंग में आचार्य श्री तुलसी एक कहानी सुनाया करते थे--
एक युवक अपने गांव से दूसरे गांव जा रहा था। मार्ग में एक पंडित से उसकी मुलाकात हुई। पंडित को देखते ही वह बोला--'पंडित जी! नमस्कार'। युवक कुछ आगे बढ़ा तो सामने से एक मुसलमान आ रहा था। उसने आगंतुक को संबोधित करके कहा-- 'मियांजी! सलाम'। चलते-चलते युवक थक गया। विश्राम करने के लिए वह एक छायादार वृक्ष देखकर ठहर गया। सामने खेत में एक जाट काम कर रहा था। उसके अभिमुख होकर वह बोला--'चौधरी!राम-राम'। अपनी मंजिल की ओर अग्रसर युवक को गांव के बाहर एक सन्यासी मिला। अष्टांग प्रणाम की मुद्रा में धरती पर लेटकर वह बोला-- 'बाबाजी! डण्डोत'।
सामान्यतः व्यक्ति जिस संस्कृति में विश्वास करता है या जिन संस्कारों में पलता है, अभिवादन के प्रसंग में उसी प्रकार के शब्दों का प्रयोग करता है। किंतु जिसे अपनी संस्कृति का गौरव नहीं होता, वह मुंह देखकर तिलक करता रहता है। कुछ लोगों की दृष्टि में यह समन्वयवादी दृष्टिकोण हो सकता है, पर सांस्कृतिक गरिमा का भी अपना मूल्य होता है। उसे गौण नहीं करना चाहिए।
*जैन शासन के महत्त्वपूर्ण पर्व पर्युषण* के बारे में विस्तार से जानने-समझने के लिए पढ़ें... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः।
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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👉 मर्यादा महोत्सव हेतु सिलीगुड़ी में तैयारियां जोर शोर से
🔺पुलिस कमिश्नर ने किया प्रवास स्थल का निरीक्षण
👉कोलकाता - ज्योत्सना स्वच्छता प्रशिक्षण सेमिनार का आयोजन
👉कोलकाता - टॉक शो DEMONETISATION ताजा टीवी पर आयोजित
👉कोलकाता - SELF DEFENCE कार्यशाला का आयोजन
👉 गुडियातम - प्रेक्षा ध्यान कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति -🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
👉 मर्यादा महोत्सव हेतु सिलीगुड़ी में तैयारियां जोर शोर से
🔺पुलिस कमिश्नर ने किया प्रवास स्थल का निरीक्षण
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👉 पूज्य प्रवर का आज का प्रवास स्थल - फाटापुकर
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 आज के "मुख्य प्रवचन" के कुछ विशेष दृश्य..
दिनांक - 28/01/2017
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प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
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👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 11 किमी का विहार
👉 आज का प्रवास - फाटापुकर
👉 आज के विहार के दृश्य
दिनांक - 28/01/2017
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