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सभी महाराज आचार्य श्री विद्यासागर जी की वैयावृत्ति कर रहे थे।आचार्य श्री जी ने सहजता से पूछ लिया- सुकुमार देह को ठंड का अनुभव ज्यादा हो रहा होगा सो चिटाई के साथ प्याँर ले लो तो अच्छा रहेगा! दो आँसू आचार्य श्री के पैर पर गिरे तो हल्के से अपना प्यार भरा आशीष अपने हाथ से सिर पर उढेल दिया!वो दो आँसू कह रहे थे कि जो आचार्य अपने लिये सिर्फ पाटे का उपयोग करते हैं और अपने शिष्यों के लिये इतना कर रहे/कह रहे है!वो चिटाई भी बोझ लगने लगी अब तो! ऐसे जीता जाता है इंद्रियों की कामनाओं को! #AcharyaVidyaSagar
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