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सिटी के साथ स्मार्ट विलेज भी बनाए जाएं: #आचार्यश्रीविद्यासागर -प्रस्तावित पंचकल्याणक के लिए आमंत्रित करने पहुंचे मध्यप्रदेश सरकार के गृहमंत्री टडा... #AcharyaVidyasagar
स्मार्ट सिटी के साथ स्मार्ट विलेज बनाए जाएं एक दिन पूर्व गणतंत्र दिवस पर टड़ा स्कूल में जाने का मौका मिला। जिसको देखकर लगा कि टड़ा गांव, नगर और शहर से कम नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में गांव-गांव को शहरों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री सड़क योजना शुरू की गई थी। जो कि हिन्दुस्तान के गांव में रहने वाली 70 प्रतिशत से अधिक जनता के लिए वरदान साबित हुई है। सड़कों पर मूंगफली के बराबर कंकड़ भी नहीं लगते हैं। यह बात आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने शुक्रवार को देवरी विधानसभा क्षेत्र के टड़ा में धर्मसभा में कही। आचार्य श्री ने कहा कि विद्यालय में जब लोगों ने मांग की तो हमने सोचा कि यह तो कर्तव्य है और आने वाले चुनाव के समय तो मांगे पूरी हो जाएंगी। उन्होंनें कहा कि आजकल देखने में कर्तव्यनिष्ठा की कमी आ रही है। हम तो सभी से कहेंगे कि कर्तव्य की ओर सभी की दृष्टि बढ़े और कदम भी बढ़ते जाएं संचालन मुकेश जैन ढाना ने किया..
आचार्य श्री ने कहा हओ फिर इसका मतलब सुनना भी होता है: खुरई विधानसभा क्षेत्र के बांदरी में संभावित पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव को लेकर गृह व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में सकल दिगंबर जैन समाज ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद लिया। आचार्यश्री ने बातों ही बातों में कहा कि आपके कहे अनुसार हमने हओ तो कह दिया। पर हओ का मतलब भी सुनना होता है। आचार्यश्री ने गौधन संवर्धन को लेकर भी अपनी बात रखी। गृहमंत्री सिंह और भाजपा जिला अध्यक्ष राजा दुबे का गजरथ कमेटी ने सम्मान किया। आचार्यश्री की आहारचर्या विकास मोदी परिवार के चौके में हुई।
प्रदेश सरकार आचार्यश्री के नाम पर गौ संवर्धन
केंद्र शुरू कर रही है: गृहमंत्री
पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव को लेकर गृहमंत्री ने प्रशासनिक बैठक ली। इसके पहले क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए कमेटी की ओर से आए टड़ा चौकी को थाने में तब्दील करने की मांग पर सहमति दी। साथ ही महिला आरक्षकों को भी क्षेत्र में तैनात करने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार साधु संतों के बताए मार्ग पर चलने का प्रयास कर रही है। प्रदेश सरकार द्वारा आचार्य विद्यासागर महाराज के नाम पर गौ संवर्धन केंद्र शुरू किए जा रहे हैं। अब पशुपालकों को दो के स्थान पर पांच पशु दिए जाएंगे!
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Authentic Info मेरी गिरनार यात्रा 21 से 26 जनवरी 2017 -गिरनार से लौटकर ग्राउंड रिपोर्ट Latest Situation @ #Girnar #NeminathBhagwan
21 को शाम 5 बजे सपरिवार गिरनार तलेटी स्थित श्री बंडिलाल दिगंबर जैन धर्मशाला पहुचे,पूर्व आरक्षित कमरे सहायक मैनेजर ने आबंटित कर दिए।सामान आदि रखकर सुबह वंदना कैसे, कितनी बजे प्रारम्भ हो चर्चा चल रही थी।प्रबंधक ने अवगत कराया कि श्री निर्मल जी बंडी भी वही है और जूनागढ़ गए हुवे है।विश्राम हेतु पुनः कमरे में पहुचे।प्रातः 3 बजे उठकर बॉयलर से खोलता हुआ गर्म पानी ले स्नान आदि से निवृत हो पहाड़ की वंदना हेतु प्रस्थान किया।डोली वालो का व्यवहार वैसा ही था जैसा हर बड़े पहाड़ पर होता है,खुद की 15000/-पत्नी की 9100/-बड़े भाभी की 9600/-में डोली कुर्सी वाली ले कर,शेष युवा सदस्यो ने पैदल, वन्दना प्रारम्भ की। युवा रस्ते में आगे होते गए। 8 बजे तक रुकते रुकाते कुछ पैदल चलते, कही बैठते पहली टोंक पर पहुचा।देखकर संतोष हुआ की विकास प्रगति पर है और पहली टोंक स्थित श्री बंडीलाल दिगंबर जैन मंदिरजी की दशा पहले से बहुत बेहतर है।पहली टोंक पर 17 कमरे की आधुनिक धर्मशाला 62 लाख की लागत का निर्माण अंतिम चरण में है,इसके लिए भी श्री निर्मल जी बंडी और उनकी टीम की जितनी प्रशंसा की जाय काम है
वहां अभिषेक देखने-पूजन करने उपरांत में वही रुक गया।(जैसा दामाद ने बताया)तब तक दामाद- भतीजे-पुत्र आदि 5 वी टोंक पहुच चुके थे उन्होंने शांतिपूर्वक 2-3-5 वीं टोंक की वन्दना,फूलों-शाल से ढंके चरणों के दर्शन किये-जैसा नीचे मैनेजर ने समझाया था किसी ने भी नेमिनाथ की जयघोष अथवा अक्षत प्रेक्षण आदी नहीं किया।मन पूर्वक अर्चन शांति से किया। 5 वी टोक पर उस समय केवल मेरे परिवार के 12 सदस्य ही दिगंबर जैन उपस्थित थे, पर जैनेतर सेकड़ो की संख्या में थे।पण्डे बोले कुछ नहीं पर उनकी आँखों के भाव डराने वाले ही थे।पुलिस भी उपस्थित थी।निचे उतरना प्रारम्भ किया।पैदल वन्दना वाले आराम से तथा डोली वाले तेजी से उतरे।अंतिम यात्री मेरी पुत्र वधु 2 बजे नीचे पहुची। निर्विघ्न वन्दना पर सबने सकून की सांस ली।
2001-2010 को की गयी मेरी वन्दना से इस वन्दना की तुलना करू तो पूरा पहाड़ खाने-पीने की वस्तुओं का बाजार याने चौपाटी के रूप में परिवर्तित हो गया है। पहली टोंक पर मंदिर विकास की और अग्रसर, और स्वच्छ दिखा। 2-3 टोक पर कब्ज़ा गोरक्षनाथ प्रतिमा स्थापित। 5 वीं टोंक पर चरणों के सिरहाने गुरुदत्त की प्रतिमा स्थापित । चरणों वाला परिसर रेलिंग से घेर दिया गया। याने केवल पहली टोंक का मंदिर ही दिगंबर जैन आम्नाय प्रदर्शित कर रहा था।
पहाड़ पर जाने वाले दिगंबर जैन वर्ष भर में 60-65000 होते है उसमें से आधे ही 5 वि टोंक तक जाते है। तलेटी में कुर्ता-पाजामा पहन माथे पर तिलक लगा कर मेने कुछ पंडेनुमा महानुभावो से चर्चा की- कोई पंडा समझौते की बात नहीं करता। जैन अस्तित्व घुमाफीरा कर स्वीकार तो करते है पर मानने को तैयार नहीं।बंडी धर्मशाला के प्रबंधकों के सतत संपर्क से वे प्रभावित और नर्म जरूर दिखे। किसी तरह की मारपीट आदी की घटना से पण्डे इंकार करते है। यह ज्ञात होने से भी संतोष हुआ कि पिछले 9-10महीनो में (सूरत वाली घटना को छोड़ कर)कोई विवाद 5 वी टोक पर नहीं हुआ-इसका श्रेय बंडी धर्मशाला के प्रबंधकों को दिया जाना चाहिए क्योंकि वे वंदना पूर्व यात्रियों को इस हेतु मौखिक प्रशिक्षण देते है।
श्री निर्मल जी बंडी की इस उम्र में भी सक्रियता काबिले तारीफ़ है,वे लगातार गिरनार-मुम्बई-इंदौर दौरे करते है। sp जूनागढ़ से बंडी जी के साथ मुलाकात और चर्चा उपरान्त यह भी संतोष है कि पुलिस भी अब एक तरफ़ा नहीं है,पुलिस हमको भी सुनती है,कार्यवाही करती है। परमपूज्य आचार्य 108 श्री निर्मलसागर जी एवम निर्मल ध्यान केंद्र की कार्यविधि पूर्ववत ही है। श्री बंडीलाल दिगंबर जैन धर्मशाला में नवीन खंडों में संपन्न निर्माण, अत्याधुनिक कमरे,भोजनशाला स्वच्छता कर्मचारीयो का व्यवहार काबिले तारीफ़ है।इन सब व्यवस्थाओं के लिए श्री निर्मल जी बंडी और उनकी टीम धन्यवाद की पात्र है। श्री अशोक जी पाटनी,आर के मार्बल के अर्थ सहयोग से निर्मित होने वाले आरके मार्बल संकुल के नवनिर्माण की नींव श्री निर्मल जी बंडी रख रहे है,जिसकी लागत एक करोड़ से ज्यादा है,उन्हें इस हेतु भी धन्यवाद दिया जाना चाहिए।आने वाले समय में गिरनार में सितारा सुविधाए प्राप्त होगी,जो रिसोर्ट का अहसास कराएगी। पहाड़ पर अनेको जगह मोबाइल नेटवर्क मिल जाता है।
"चूंकि में गिरनार आंदोलन से वर्षो से जुड़ा हु,सभी तथ्यों से भली भांति परिचित हु"।अतः निम्नानुसार मेरा निजी मत इस प्रकार है:- जैनेतर बहुलता के कारण 2-3-5 वी टोक पर अब जैन आधिपत्य असंभव है। मुझे परम पूज्य मुनि 108 श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज का एक सुझाव स्मरण हो रहा है उन्होंने कहा था कि सम्पूर्ण गिरनार पर्वत ही भगवान् नेमिनाथ की मोक्ष स्थली है पहाड़ अनेको चोटियों वाला है।पहाड़ का कोई ऐसा क्षेत्र चिन्हित किया जाए जो रिक्त हो-अविवादित हो उसे विधिवत शासन से आबंटित करा कर -भगवान् नेमिनाथ की मोक्षस्थली के रूप में विकसित किया जाय। समय स्वयं उसे मान्यता दे देगा।जितना श्रम और अर्थ हम न्यायलय में व्यय कर रहे है उतने में तो पूरा पहाड़ विकसित हो जाएगा। यह सुझाव मुझे मौजू लगता है।
भवदीय,
सुरेन्द्र जैन बाकलीवाल
राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष
दिगंबर जैन महासमिति।
चैयरमेन
नवनिर्माण समिति
भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी,मध्यांचल।
9425064525
श्रीमती सरिता जी जैन
राष्ट्रीयअध्यक्ष,bdjtc
श्री संतोष पेण्डारी
महामंत्री,bdjtc
श्री अशोक बड़जात्या
राष्ट्रिय अध्यक्ष
दिगंबर जैन महासमिति।
श्री निर्मल जी बंडी
अध्यक्ष
श्री बंडीलाल दिगंबर जैन मंदिर-धर्मशाला
गिरनार,जूनागढ़।
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News in Hindi
यदि सौ काम छोड़कर भोजन जरूरी है ।
तो हजार काम छोड़कर *स्वाध्याय* जरूरी है।
*आप हजार काम छोड़कर स्वाध्याय* कीजिए।
भोजन से बना आपका शरीर तो यहीं रह जाएगा पर
*स्वाध्याय* से प्राप्त ज्ञान आपके साथ जायेगा और दूसरे जन्म में भी आपको लाभ पहुँचाएगा।
वहाँ बिना परिश्रम किये आपके ज्ञान की खिड़कियाँ खुलती जायेगी।
विचार कीजिए,
भोजन इसी लोक में काम आता है, पर *स्वाध्याय* से लोक परलोक दोनों बनते है
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