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श्रावक सन्देशिका
👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 12 - तेरापंथ भवन
*तेरापंथ भवन* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....।
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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विशेषसूचना.....
परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा आज 'लोहगाड़ा' (बिहार) में "नए चातुर्मासों की घोषणाएं" की गयी है । जिसका विवरण संलग्न पोस्ट में दिया गया है ।
दिनाक: 20.02.2017
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
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👉 बीदासर समाधि केंद्र में प्रवासित 'शासन श्री' साध्वी श्री शशिप्रभा जी 'बीदासर' का अभी दिनांक 20 फरवरी की रात्रि में 7.00 बजे देवलोक गमन हो गया है । आप पिछले महीने देवलोक पधारी वयोवृद्ध साध्वीश्री मानकुमारी जी की भगिनी साध्वी थी।
प्रेषक: 🙏🏻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🙏🏻
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आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'
📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 220📝
*तेरापंथी श्रावक*
गतांक से आगे...
*बहादुरमलजी भंडारी*
नरेश भंडारीजी की बात सुन कर चिंतित हुए। उन्होंने उलझी हुई स्थिति को सुलझाने के लिए भंडारी जी से परामर्श मांगा। भंडारीजी बोले- 'आप पहला आदेशपत्र निरस्त करते हुए दूसरा आदेशपत्र लिख दें। मैं अपने जेष्ठ पुत्र किशनमल को भेज देता हूं। आप उसके नेतृत्व में कुछ घुड़सवार भेज दीजिए। उन्हें आदेश दीजिए कि वे जल्दी-से-जल्दी जाएं और पहले गए हुए घुड़सवारों को लौटा दें।' नरेश ने भंडारी जी के परामर्श को स्वीकार कर तत्काल उसकी क्रियान्विति कर दी। किशनमलजी वह आदेशपत्र लेकर चले। मार्ग में ही उनकी घुड़सवारों से भेंट हो गई। नरेश का आदेश दिखा कर उन्हें लौटा दिया गया। किशनमलजी ने अपने दल के साथ लाडनूं जाकर जयाचार्य के दर्शन किए और उन्हें पूरी स्थिति से अवगत किया।
कुछ समय बाद बहादुरमलजी ने जयाचार्य के दर्शन किए। जयाचार्य ने उनकी दूरदर्शितापूर्ण सूझबूझ की प्रशंसा की और उस विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें पुरस्कृत करना चाहा। उन्होंने प्रसन्न मुद्रा में कहा-- *'इस सेवा का तुम्हें क्या पारितोषिक दिया जाए? यदि तुम साधु जीवन में होते तो इसके लिए युवाचार्य पद देना भी कम होता।'* भंडारीजी ने विनम्रता के साथ कहा-- 'साधु बनने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है। आप इस साधारण सी सेवा के लिए इतने भारी शब्द फरमा रहे हैं, यह आपकी कृपा है।' इस पर भी जयाचार्य ने उनको कुछ देना चाहा तो उन्होंने आगामी चातुर्मास जोधपुर में करने की प्रार्थना की। जयाचार्य ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर विक्रम संवत 1921 का चातुर्मास्य जोधपुर में किया। इसी प्रकार विक्रम संवत 1924 के लाडनूं चातुर्मास्य में साध्वी भूरांजी की दीक्षा में उपस्थित व्यवधान को दूर करके उन्होंने जयाचार्य की विशेष कृपा प्राप्त की। इस सेवा के प्रतिदान में भी विक्रम संवत 1925 का चातुर्मास जोधपुर को मिला।
*आगे पढ़ेंगे श्रावक दुलीचंदजी की संघनिष्ठा और गुरुभक्ति...* हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः।
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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News in Hindi
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👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 17 किमी का विहार
👉 आज का प्रवास - लोहागाड़ा
👉 आज के विहार के दृश्य..
दिनांक - 20/02/2017
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20 फरवरी का संकल्प
तिथि:- फाल्गुन कृष्णा नवमी
नमस्कार महामंत्र मंगलकारी ।
सर्व दोष - बाधा - विघ्न हारी ।।
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