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Arihanta - ARI = enemy, HANT = destroyer. One who destroys the inner enemies (attachment and hatred). ⚠️🙂
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जिन धर्म की जीवंत प्रतिकृतियाँ... मुनि समयसागर जी सासंघ की वंदना परिक्रमा करती हुई माता जी सासंघ #MuniSamayasagar #AcharyaVidyasagar 💡⚠️
संसारी जीव में शुभ भाव और अशुभ भाव होते ही रहते हैं । जैसे कीसी को क्रोध परिणम हुआ, तो वह चाह कर भी क्रोधभाव को अन्तर्मूहूर्त से ज्यादा रख नहीं सकता, वैसे ही जीव शांत भाव में भी अन्तर्मूहूर्त से ज्यादा रह नहीं सकता, नियम से ही वह अशुभभाव में चला ही जाता है । यदि ऐसा ना होता तो, जीव तिर्यन्च से मनुष्य कैसे बनता? यह सब जीव में अनादि से ही सहज हो रहा है । लेकिन यह दोनों शुभ तथा अशुभ भाव से रहित जो शुद्ध भाव है वह ही धर्म है, जिससे जीव संसार से पार हो जाता है । जीव ने यह भाव कभी नहीं कीया है । यदि यह शुद्ध भाव एक भी बार हो जावे तो जीव दो चार भव में ही संसार तीर जाता है । अर्थात् उपयोग तीन प्रकार का है, एक शुभोपयोग दो अशुभोपयोग जो जीव अनादि से ही करता ही आ रहा है । तीसरा है शुद्धोपयोग यह ही सार सार है । इसका प्रारंभ चौथे गुणस्थान से ही होता है । जीसे हम सम्यग्दर्शन कहते है । यह ही धर्म का मूल है । इसके होने पर ही चारित्र हो सकता है । इसके पहले नहीं, इसलिये जीव को प्रथम ही सम्यक्त्व की प्राप्ति में सूक्ष्म।
विचार करना चाहिये ।
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News in Hindi
सांगानेर के आदिनाथ भगवान की प्रतिमा महान अतिशयकारी है। और उन्हीं की बदौलत है कि, आज मैं 25 सालों से जयपुर क्षेत्र में भ्रमण कर रहा हू -मुनि श्री सुधासागर जी महाराज #MuniSudhasagar #AcharyaVidyasagar
सांगानेर में जो त्रिकाल चौबीसी के चौबीस मंदिर बनाने की योजना बनी है, वह महान पुण्य का कार्य होने वाला है। *सांगानेर में किसी अन्य जिनालय की कोई आवश्यकता थी ही नहीं, परंतु कोई 24 पुण्य आत्माओं के ऐसे महान शातिशय पुण्य का उदय आया है जिसके कारण वहां 24 त्रिकाल चौबीसी जिनालय बनाने की रूपरेखा बनाई गई है। सांगानेर एक ऐसा स्थान है,जिससे आज 700-800 विद्वान् निकल कर सारे भारत में जैन धर्म का परचम लहरा रहे हैं। *पंचम काल में कोई पंडित नित्य नियम पूजन करें तो समझ लेना चाहिए वह चतुर्थ काल के पंडित हैं,* और सांगानेर में तो नित्य इतने सारे पंडित उन जिनालयों की नित्य पूजन करेंगे। अतः समझ लीजिए वहां जिनालय निर्माण में कितना अधिक पुण्य का बन्ध होने वाला है। *उन जिनालयों को बनाने में उसी का धन लगेगा जिसके धन में महान शातिशय पुण्य होगा। सारे भारत से 24 लोग ऐसे छंट के आएंगे जिनके कारण महान कार्य सम्पन्न होने वाला है। -दिलीप जैन शिवपुरी
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