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👉 देवलगाव माहि (महा) - जैन धर्म की दो परम्पराओं का आध्यात्मिक मिलन
👉 बारडोली - फ़ूड फेस्टिवल का आयोजन
👉 विजयनगरम - सेल्फ डिफेंस कार्यशाला का आयोजन
👉 जोधपुर - स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत वाकेथान का आयोजन
👉 हिन्दमोटर - स्वच्छता प्रशिक्षण सेमिनार का आयोजन
👉 वाशी, नवी मुंबई - स्वच्छ भारत एवं वृक्षारोपण अभियान संपन्न
👉 बोरावड़ - ज्ञानशाला का विशेष कार्यक्रम आयोजित
👉 शाहीबाग (अहमदाबाद) - आंठवा वार - परिवार विषय पर टुटते परिवार बिखरते रिश्ते कैसे बचाएं? ट्रेनिग प्रोग्राम का कार्यक्रम का आयोजन
प्रस्तुति -🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'
📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 225📝
*तेरापंथी श्रावक*
*67.*
*'सेठिया संतोक'* रीड़ी
को चतुरता से चुनें,
ध्यान से संवाद
*'बोरदिया जवाहर'* का सुनें।
लाजवाबी विमुख-सम्मुख
*'लाजपत की मां'* कही,
लाल-पत्नी लालजी से
क्या कमाल जबां कही।।
*अर्थ--* धर्मसंघ के प्रति समर्पण का बोधपाठ सीखने के लिए रीड़ी के संतोकचंदजी सेठिया की घटना को चतुरता से चुना जाए। आचार्य के निर्देश की क्रियान्विति की कला का प्रशिक्षण पाने के लिए देवरिया (मेवाड़) के जवाहरलालजी बोरदिया का साधुओं के साथ हुआ संवाद ध्यान से सुना जाए। संघीय आस्था का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए लाला लाजपत की माता भूरी देवी को सामने रखा जाए। उसने संघविमुख साधुओं से जो बात कही, उनके पास उसका कोई जवाब नहीं था। लालचंद जी कोठारी (छापर) की धर्मपत्नी झमकूदेवी ने अपने पति से जो कुछ कहा, वह भी बहुत विलक्षण था।
*भाष्य*
*संतोकचंदजी सेठिया*
बिदासर और श्रीडूंगरगढ़ के बीच में एक गांव है रीड़ी। किसी समय वहां ओसवालों की अच्छी बस्ती थी। वे लोग तेरापंथी थे। उनमें संतोकचंदजी सेठिया बहुत प्रभावशाली व्यक्ति थे। उन्होंने श्रीमज्जयाचार्य के पास गुरुधारणा की थी। वे शासनभक्त, श्रद्धाशील और धर्मसंघ की रीति-नीति के जानकार थे। अपने करणीय के प्रति उनकी पूरी जागरूकता थी। प्रसंग विक्रम संवत 1937 का है। उस समय मुनि छोगजी आदि कुछ साधु संघ से अलग हो गए थे। हरखूजी आदि कुछ साध्वियां भी उनके साथ थीं। एक बार वे लोग रीड़ी आए। मुनि छोगजी से पहले वहां साध्वी हरखूजी पहुंचीं। वे श्रावक संतोकचंदजी के घर जाकर बोलीं-- 'श्रावकजी! आज आपके गांव में पूजी महाराज पधार रहे हैं।' यह बात सुन सेठियाजी चौंके। उन्होंने साश्चर्य कहा-- 'पूजी महाराज तो इस समय जयपुर में विराज रहे हैं। उनके इधर आने का तो कोई संवाद ही नहीं है। आप क्या कह रही हैं?' साध्वीजी बोलीं-- 'वे नहीं, छोगजी पूजी महाराज पधार रहे हैं।'
संतोकचंदजी को यह जानकारी थी कि मुनि छोगजी आदि संघ से अलग हैं। फिर भी उन्होंने अनजान बनते हुए पूछा-- 'साध्वीजी! तेरापंथ में आचार्य एक ही होते हैं। फिर ये पूजी महाराज कैसे हुए?' इस प्रश्न ने साध्वीजी को सहमा दिया। दो क्षण संभलकर वे बोलीं-- 'आपको पता नहीं है क्या, उन्होंने अपना अलग संघ बना लिया है।' सेठियाजी ने कहा-- 'साध्वीजी! आप तो जानती हैं कि मर्यादा-पत्र का वाचन करते समय वे हर बार यह त्याग करते थे कि जब तक खोली (शरीर) में सांस रहेगा तब तक मर्यादाओं को भंग करने का त्याग है। मैं आपसे जानना चाहता हूं कि वे उसी खोली में आए हैं या उसे बदल कर आए हैं?' साध्वी हरखूजी इस बार सहमी ही नहीं, घबरा भी गईं। प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाईं। उनकी आशा धूमिल हो गई। वे मौन होकर वहां से लौट गईं।
उक्त घटना प्रमाणित करती हैं कि श्रावक संतोकचंदजी संघ की मर्यादाओं को जानते थे और समय पर गहरी सूझबूझ से काम करते थे।
*आचार्य के निर्देश की क्रियान्विति की कला का प्रशिक्षण पाने के लिए श्रावक जवाहरलालजी बोरदिया का साधुओं के साथ हुआ संवाद* पढ़ेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः।
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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Update
👉 पूज्य प्रवर का प्रवास स्थल - माणिकपुर में
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..
दिनांक - 27/02/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
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News in Hindi
👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 14.9 किमी का विहार..
👉 आज का प्रवास - 'माणिकपुर'
👉 साध्वी प्रमुखा श्री जी विहार करते हुए..
👉 आज के विहार के दृश्य..
दिनांक - 27/02/2017
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👉 अररिया कोर्ट (बिहार) से....
👉 पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण की आज प्रातः की मोहनीय मुद्रा..
दिनांक - 27/02/2017
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प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
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27 फरवरी का संकल्प
तिथि:- फाल्गुन शुक्ला एकम्
जीवनशैली का हिस्सा हो जब ध्यान-योग ।
दूर रहते सब शारीरिक व मानसिक रोग ।।
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