03.03.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 03.03.2017
Updated: 05.03.2017

Update

Alarming!!

Lizard In McDonald’s French Fries: What India Can Learn From Quality Checks Overseas
We aren’t lovin’ it!

जबसे मैंने गुरु को पाया...

_इन्हें देखने से पहले_
_न कभी किसी को देखा_
_जबसे देखा इन्हें_
_किसी को फिर न देखा_
_देखा सो फिर रहा देखता_
_अतिशय खूब दिखाया_
_जब से मैंने गुरु को पाया_
_इनको करके याद_
_भुलाया मैंने सबको_
_इनको पा कर एकमा्त्र_
_खोया है सबको_
_जागृति की तुम पूछ रहे हो_
_सपने में भी ध्याया_
_जबसे मैंने गुरु को पाया_

रचनाकार मुनिश्री 108 समता सागरजी
प्रस्तुति राजेश जी जैन, भिलाई*

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#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #RishabhaDev #Ahinsa

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#जिज्ञासा_समाधान -मुनि सुधासागर जी #MuniSudhasagar

किसी को भले ही सम्यग्दर्शन भी ना हो, वो भी अगर चंपा बहन के तलवे चाटे, तो बेड़ा पार हो सकता है।* ऐसा कोई कोई निकृष्ट व्यक्ति ही कह सकता है। दुनिया में कोई कितना भी निकृष्ट जोरू का गुलाम हो, फिर भी वह अपनी जोरू के तलवे नहीं चांट सकता। *भगवान की भक्ति करना, जिसे मिथ्या दिख रहा है, और वह ऐसी बात कह रहा है, तो वह स्वयं कितना बड़ा मिथ्यादृष्टि होगा?* जैन दर्शन में तो भगवान के तलवे भी चाटने की बात नहीं कही। ऐसे में कांजी का ये मत महान से भी ज्यादा महान निकृष्ट है।

पद्मावती के संबंध में शंका होती है, कि पद्मावती ने पार्श्वनाथ को उठाया। ये बहुत बड़ी भूल है।* प्राचीन आगम में सिर्फ पद्मावती द्वारा पार्श्वनाथ पर सिर्फ छत्र लगाने का संकेत मिलता है, भगवान को अपने फन पर उठाने का उल्लेख कहीं नही मिलता। जिसकी सबसे प्राचीन प्रतिमा दक्षिण भारत में है। उसी को प्रमाण मानकर हमे यही मानना चाहिए।_
*नोट- शिवपुरी में भी श्री पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र छत्री मंदिर में अति प्राचीन प्रतिमा है, जिसमे पद्मावती ने पार्श्वनाथ भगवान पर छत्र लगाया हुआ है।*

जब तक पूण्य का उदय है, व्यक्ति मंदिर, पूजा प्रवचन सबको फ़ालतू क्रिया मानता है। परन्तु जिस दिन इंसान पर पाप कर्म के उदय में कर्मों की विपत्ति आती है, तो वह गधे के भी पैर पूजता नज़र आता है। अतः पूण्य के उदय में ज्यादा फूलना नही चाहिए।

अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक में हो जाती है, तो इससे होने वाले नैमित्तिक दोष को दूर करने के लिए उसकी शवयात्रा के साथ पांच श्रीफल लेजाना चाहिए। इन श्रीफलों को जहाँ दाहसंस्कार किया जा रहा है, उसी स्थान के निकट, किसी पेड़ आदि के नीचे छोड़ देना चाहिए। और पांच बार णमोकार मन्त्र पड़ना चाहिए। इससे पंचक में हुई मृत्यु के कारण हुआ नैमित्तिक दोष दूर हो जाता है।

नोट*- पूज्य गुरुदेव जिज्ञासाओं को समाधान बहुत डिटेल में देते हैं। हम यहाँ मात्र उसका सार ही देते हैं। *किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।

_*📺पूज्य गुरुदेव का जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम प्रतिदिन लाइव देखिये - जिनवाणी चैनल पर*_
_*👉🏻सायं 6 बजे से, पुनः प्रसारण अगले दिन दोपहर 2 बजे से*_

संकलन
*🏵दिलीप जैन, शिवपुरी 🏵*
*9425488836*

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News in Hindi

मुनि क्षमासागर जी महाराज #MuniKshamaSagar

जन्म -20 सितम्बर 1957
जन्म नाम -〰 *श्री वीरेन्द्र जी सिंघई
जन्म स्थान -सागर,म.प्र.
माता का नाम - श्रीमती आशादेवी जी
पिता का नाम - श्री जीवनकुमार सिंघई
शिक्षा -M.Tech.(भूगर्भशास्त्र)
मातृभाषा-हिन्दी
भाषा ज्ञान-〰 *हिंदी,अंग्रेजी,संस्कृत अनेक भाषाएँ*〰
ब्रह्मचर्य व्रत -10 जनवरी 1980,नैनागिरि
क्षुल्लक दीक्षा -10 जनवरी 1980,सिद्धक्षेत्र नैनागिरि जी
क्षुल्लक दीक्षा स्थान - सिद्धक्षेत्र सोनागिरीजी
ऐलक दीक्षा -07 नवंबर 1980,दीपावली
ऐलक दीक्षा स्थान - सिद्धक्षेत्र मुक्तागिरी जी
मुनि दीक्षा -20 अगस्त 1982,भाद्रपद शुक्ला २
मुनि दीक्षा स्थान -सिद्धक्षेत्र नैनागिरि जी
दीक्षा गुरु - *〰आत्मान्वेषी आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज〰*
संघस्थ-संघ संचालक

समाधि-13 मार्च 2015,मोराजी सागर
विशेष - *मुनि क्षमा सागरजी महाराज वीतराग मुनि थे ।युवा अवस्था में सागर विश्वविद्यालय से भूगर्भ विज्ञान में एम. टेक. की उपाधि ग्रहण की।मात्र २३ वर्ष की आयु में आपने आचार्य विद्या सागर जी के दर्शन के बाद वैराग्य पथ पर कदम रख दिया। आप १ समृद्ध परिवार के लाडले थे।जीवन में न कोई निराशा थी और न कोई हताशा,न कोई असफलता और न कोई विरक्ति प्रेरक घटना।स्वेक्षा और स्व प्रेरणा से आप आत्म कल्याण के लिए प्रेरित हुए।मुनि क्षमा सागर जी जहाँ एक संवेदन शील कवि थे,वही दूसरी और एक श्रेष्ठ विचारक भी।*

आप आचार्य श्री संघ के कोहिनूर थे,◆आपको जिस दिन व्रत मिला था उसी दिन आपकी दीक्षा हुई।◆आपके प्रवचन अंतस् को झकझोर देने वाले होते थे।हृदयस्पर्शी प्रवचनकार,प्रकृतिवादी कवि,उत्कृष्ट लेखक,सरल स्वभावी,कर्म सिद्धांत के प्रकाण्ड विद्वान।आपकी प्रेरणा से मैत्री समूह की स्थापना हुई।
★प्रसिद्ध कृतियाँ-क्षमासागर की कविताएँ, अपना घर, आदि कई कविता संग्रह
*आत्मान्वेषी,अमूर्त शिल्पी(संस्मरण)गुरुवाणी,कर्म कैसे करे?*,जैन पारिभाषिक शब्दकोश आदि कई महत्वपूर्ण कृतियों का लेखन★
*लम्बी बीमारी के पश्चात् आपका समाधिमरण सागर में हुआ।*
ऐसे भावलिंगी संत धरती के देवता भावी सिद्ध के चरणों मे कोटिशः नमन!!
मुनि श्री 108 पदम् सागर जी महाराज भक्त परिवार
गौरव जैन शुद्धात्म
नयन जैन

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हार-जीत के हो परे, हो अपने में आप #AjitNathBhagwan
विहार करते अजित हो, यथा नाम गुण छाप

पुण्य पुंज हो पर नहीं, पुण्य फलों में लीन
पर पर पामर भ्रमित हो, पल-पल पर आधीन

जित इन्द्रिय जित मद बने, जित भव विजित कषाय
अजितनाथ को नित नमूं, अर्जित दुरित पलाय

कोंपल पल-पल को पाले, वन में ऋतु पति आय
पुलकित मम जीवन लता, मन में जिन पद पाय ||

ओम् ह्रीं अर्हं श्री अजितनाथ जिनेंद्राय नमो नम: |

स्वयंभू स्तोत्र स्तुति आचार्य श्री विद्यासागर द्वारा रचित #AcharyaVidyasagar

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