Update
👉 नालासोपारा, मुम्बई - नशा मुक्ति अभियान
👉 जयपुर - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राजस्थान सरकार द्वारा तेयुप, जयपुर सम्मानित
👉 दिल्ली - होली के रंग "खुल के जिओ के संग"
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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*श्रावक सन्देशिका*
👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 31 - *साहित्य लेखन*
*प्रतियोगिता व साहित्य विक्रय* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....
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दिनांक 17 - 03- 2017 के विहार और पूज्य प्रवर के प्रवचन का विडियो
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇
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Update
अणुव्रत पुरस्कार कार्यक्रम आमंत्रण पत्र
*अणुव्रत पुरस्कार 2016*
दिनांक 28 मार्च 2017 को पूज्यवर के सान्निध्य में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार को प्रदान किया जायेगा।
प्रस्तुति - *अणुव्रत सोशल मीडिया*
प्रसारक - *तेरापंथ संघ संवाद*
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👉 जयपुर - स्वच्छता अभियान
👉 ब्यावर - होली स्नेह मिलन का आयोजन
👉 ईरोड - महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की संगठन यात्रा
👉 उमरगाम (गुजरात) - मंगलप्रवेश
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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 6📝
*आचार-बोध*
*चारित्राचार के आठ प्रकार*
*1. ईर्या समिति--* युग प्रमित-- गाड़ी का जुआ जितनी भूमि को देखते हुए चलना। शरीर प्रमाण भूमि को देखते हुए अथवा नासाग्र पर दृष्टि टिकाकर चलना।
*2. भाषा समिति--* विचारपूर्वक निरवद्य, मधुर और सीमित भाषा का प्रयोग करना।
*3. एषणा समिति--* भिक्षा के दोषों से रहित आहार-पानी आदि का ग्रहण करना।
*4. आदान-निक्षेप समिति--* वस्त्र, पात्र आदि उपकरणों को देखकर एवं प्रमार्जन कर उपयोगपूर्वक लेना और रखना।
*5. उत्सर्ग समिति--* मल-मूत्र तथा प्रतिष्ठान के योग्य वस्त्र, पात्र आदि को विधिवत् उपयोगपूर्वक परिस्ठापित करना।
*6. मनोगुप्ति--* मन को संकल्प-विकल्पों के जाल से मुक्त कर समत्व में प्रतिष्ठित करना।
*7. वाक् गुप्ति--* वाणी का संयम कर मौन का अभ्यास करना।
*8. काय गुप्ति--* कायोत्सर्ग करना, शरीर की चेष्टाओं का परिहार करना।
*पणिधाणजोगजुत्तो,*
*पंचहिं समितीहिं तिहि य गुत्तीहि।*
*एस चरित्तायारो,*
*अट्ठविहो होय नायव्वो।।*
पांच आचार के विवेचन में चारित्राचार के भी आठ ही प्रकार विवेचित हैं-- पांच समिति और तीन गुप्ति। जैन शासन में पांच महाव्रतों को चारित्र माना जाता है। चरित्राचार के उक्त आठ प्रकारों के साथ पांच महाव्रतों का योग करने से तेरह हो जाते हैं। विशेष रूप से तेरापंथ के संदर्भ में इस संख्या का विशेष महत्त्व है। तेरापंथ की तीन व्याख्याओं में एक व्याख्या यह है-- जिस धर्मसंघ में साधु-साध्वियां पांच समिति, तीन गुप्ति और पांच महाव्रत रूप तेरह नियमों का पालन करते हैं, वह धर्मसंघ तेरापंथ है। इस आधार पर प्रस्तुत संदर्भ में चारित्राचार के तेरह प्रकार मान्य किए गए हैं।
*चारित्राचार के भेद प्रभेद* जानेंगे-समझेंगे हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 6* 📝
*आचार्यों के काल का संक्षिप्त सिंहावलोकन*
*तीर्थंकर अरिष्टनेमि*
तीर्थंकरों के क्रम में बाईसवें तीर्थंकर अरिष्टनेमि थे। अरिष्टनेमि श्रीकृष्ण के चचेरे भाई थे। जैन इतिहास के अनुसार समुद्रविजय और वसुदेव सहोदर थे। समुद्रविजय के पुत्र अरिष्टनेमि और वसुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण थे। श्रीकृष्ण के लघु भ्राता गजसुकुमाल आदि कई प्रिय पारिवारिक जनों की दिक्षा तीर्थंकर अरिष्टनेमि द्वारा हुई। अरिष्टनेमि श्रीकृष्ण के आध्यात्मिक गुरु थे। उपनिषदों के अनुसार श्रीकृष्ण के आध्यात्मिक गुरु का नाम घोर अङ्गिरस था। श्रीकृष्ण को घोर अङ्गिरस ऋषि द्वारा प्रदत शिक्षाएं छांदोग्योपनिषद में है। वे जैन मान्यताओं के निकट हैं। कई आधुनिक शोध विद्वानों के मत से तीर्थंकर अरिष्टनेमि और घोर अङ्गिरस ऋषि अभिन्न पुरुष थे। जैन दर्शन के गंभीर विद्वान आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने घोर अङ्गिरस को अरिष्टनेमि का शिष्य या उनके विचारों से प्रभावित किसी सन्यासी के होने की संभावना की है। अरिष्टनेमि का काल महाभारत काल था।
*तीर्थंकर पार्श्वनाथ*
तीर्थंकरों के क्रम में तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ आधुनिक इतिहासविदों द्वारा ऐतिहासिक पुरुष प्रमाणित हुए हैं। उनका समय तीर्थंकर महावीर के लगभग 250 वर्ष पूर्व था। चौबीसवें तीर्थंकर महावीर के अभिभावक पार्श्वनाथ की परंपरा के अनुयाई थे। उनको धर्म संस्कार पार्श्वनाथ की परंपरा से प्राप्त हुए थे। पार्श्वनाथ की परंपरा के बहुश्रुत आचार्य केशीकुमार और तीर्थंकर महावीर के प्रथम गणधर इंद्रभूति गौतम का पारस्परिक मिलन तथा मधुर संवाद उत्तराध्ययन में विस्तार से उपलब्ध है। तीर्थंकर पार्श्व की परंपरा के कई मुनि तीर्थंकर महावीर के संघ में सम्मिलित हुए। पार्श्व प्रभु की आयु 100 वर्ष की थी। उनका तीर्थ विशाल था। उनके तीर्थ में मुनियों की संख्या 16 हजार साध्वियों की संख्या 38 हजार श्रावकों की संख्या 1 लाख 64 हजार एवं श्राविकाओं की संख्या 3 लाख 28 हजार थी। तीर्थंकर पार्श्व के बाद तीर्थंकर महावीर हुए। तीर्थंकर पार्श्व ने चतुर्याम धर्म का और तीर्थंकर महावीर ने पंच महाव्रत धर्म का प्रतिपादन किया। पार्श्वनाथ के शिष्य रंगीन वस्त्र पहनते थे। महावीर की परंपरा में ऐसा क्रम नहीं था।
*वर्तमान जैन परंपरा और तीर्थंकर महावीर* के बारे में संक्षिप्त रूप में जानेंगे... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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👉 आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 प्रवचन स्थल: रा. उ. आदर्श मध्य विधालय,"कुमार पट्टी" में..
दिनांक - 17/03/2017
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प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*
अनुक्रम - *भीतर की ओर*
*श्वास और एकाग्रता*
योग में श्वास के विविध प्रयोग काम में लिए जाते है। श्वास मंद होता है। शरीर की क्रिया मंद हो जाती है। मन की गति या चंचलता कम हो जाती है।
मंद श्वास के साथ किए जाने वाले कायोत्सर्ग और एकाग्रता के प्रयोग बहुत सफल होते है।
श्वास आता है---यह स्वाभाविक क्रिया है। श्वास के प्रति हम जागरूक होते है तब श्वास एकाग्रता की साधना का प्रयोग बन जाता है।
दीर्घश्वास प्रेक्षा प्रेक्षाध्यान का महत्वपूर्ण प्रयोग है।
17 मार्च 2000
प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 13 किमी का विहार..
👉 आज का प्रवास - रा. उ. आदर्श मध्य विधालय, कुमार पट्टी
👉 आज के विहार के दृश्य..
दिनांक - 17/03/2017
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17 मार्च का संकल्प
तिथि:- चैत्र कृष्णा पंचमी
स्वच्छ और शुद्ध हो जब खानपान ।
तो सुख-शांति की बजती मधुर तान ।।
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