Update
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*श्रावक सन्देशिका*
👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 33 - *डायरेक्ट्री प्रकाशन*
*क्षेत्रीय समाचार एवं सूचना विज्ञप्ति* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....
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🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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🔷चार्तुमास घोषणा🔷
👉 पूज्य प्रवर ने महत्ती कृपा करके मुनि श्री जम्बू कुमार जी (सरदारशहर) का चार्तुमास *रतनगढ़* फरमाया है ।
प्रस्तुति:🌻 तेरापंथ संघ संवाद🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 8* 📝
*आगम युग के आचार्य*
*श्रमण-सहस्रांशु आचार्य सुधर्मा*
*तीर्थंकर और गणधर*
जैन शासन में तीर्थंकर परंपरा का क्रमबद्ध इतिहास है। गणधर परंपरा तीर्थंकर परंपरा के इतिहास की अविच्छिन्न कड़ी है। प्रत्येक तीर्थंकर के शासनकाल में गणधरों का अभ्युदय होता है। तीर्थंकर तीर्थ की स्थापना करते हैं। तीर्थ स्थापना के समय सबसे पहले भावी गणधरों को मुनि दीक्षा प्रदान की जाती है। गणधर विभिन्न गणों के रूप में तीर्थंकर देव की श्रमण संपदा के सम्यक् संवाहक होते हैं। तीर्थंकर प्रवचन देते हैं। उनके मंगलकारक वचनसुमनों को गणधर प्रज्ञा-पटल पर ग्रहण कर उनसे आगम माला की रचना करते हैं।
सर्वज्ञ सर्वदर्शी भगवान् महावीर के शासन में ग्यारह गणधर थे। उनमें जेष्ठ इंद्रभूति गौतम थे। सर्वाधिक दीर्घजीवी गणधर सुधर्मा थे। तीर्थंकर महावीर के निर्वाण के समय इंद्रभूति और सुधर्मा दो ही गणधर थे। अवशिष्ट नौ गणधरों का तीर्थंकर महावीर के निर्वाण से पूर्व निर्वाण हो गया। निर्वाण होने से पूर्व उन गणधरों ने तीर्थंकर महावीर के निर्देश से अपने गण दीर्घजीवी गणधर सुधर्मा को सौंप दिए। वीर निर्वाण के समय सुधर्मा का गणित सर्वाधिक विशाल था। उन्हें अपने गण के अतिरिक्त नौ गणधरों की शिष्य संपदा प्राप्त थी।
*आचार्य परंपरा की प्रथम कड़ी*
श्रमण सहस्रांशु आचार्य सुधर्मा का स्थान प्रभावक आचार्यों की परंपरा में सर्वोच्च है। श्वेतांबर परंपरा के अभिमत से वीर निर्वाण के बाद आचार्य परंपरा का प्रारंभ उन्हीं से होता है। गणधरों में उनका पांचवां स्थान था। आचार्यों की श्रृंखला में वह प्रथम आचार्य बने। तीर्थंकर देव की साक्षात् सन्निधि का सौभाग्य आचार्यों में अकेले सुधर्मा को प्राप्त हुआ। दिगंबर परंपरा के अनुसार गणधर इंद्रभूति गौतम तीर्थंकर महावीर के प्रथम उत्तराधिकारी थे।
*गुरु-परंपरा*
आचार्य सुधर्मा के गुरु सर्वज्ञ सर्वदर्शी तीर्थंकर महावीर थे। वितराग प्रभु महावीर के द्वारा उनका दीक्षा संस्कार हुआ। तीर्थंकर देव के चरणारविंदों में बैठकर उन्होंने विविध अनुभवों को संजोया। ज्ञान का अर्जन किया एवं अध्यात्म-साधना के मधुर मरकंद का आस्वादन किया। तीर्थंकर महावीर स्वयं तीर्थ के प्रवर्तक थे एवं स्वयं संबुद्ध थे। उन्होंने अपने से पूर्व किसी गुरु परंपरा का आधार नहीं लिया, अतः आचार्य सुधर्मा की गुरु परंपरा तीर्थंकर महावीर से प्रारंभ होती है।
*आचार्य सुधर्मा का जीवन-वृत्त* पढ़ेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 8📝
*आचार-बोध*
*श्रमणधर्म*
*(दोहा)*
*25.*
क्षांति मुक्ति आर्जव सुखद मार्दव लाघव सत्य।
संयम तप दस धर्म हैं, त्याग ब्रह्मयुत तथ्य।।
*5. श्रमण धर्म के दस प्रकार--*
*1. क्षांति-* क्रोध-निग्रह, सहनशीलता।
*2. मुक्ति-* लोभ-निग्रह, अनासक्ति।
*3. आर्जव-* माया-निग्रह, सरलता।
*4. मार्दव-* मान-निग्रह, विनम्रता।
*5. लाघव-* उपकरणों की अल्पता, ऋद्धि, रस और सात-- इन तीन गौरवों का त्याग।
*6. सत्य-* यथार्थ भाषण, कथनी-करनी की समानता।
*7. संयम-* हिंसा आदि की निवृत्ति।
*8. तप-* बारह प्रकार की तपस्या।
*9. त्याग-* विसर्जन।
*10. ब्रह्मचर्य-* कामभोग-विरति।
*शीलरक्षा* के बारे में जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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दिनांक 20 - 03- 2017 के विहार और पूज्य प्रवर के प्रवचन का विडियो
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇
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👉 कोलकत्ता: श्रीमती मोहिनी देवी गिडिया का "चोविहार संथारा" सानन्द गतिमान
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
👉 आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 प्रवचन स्थल: इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल स्कूल, "बोचाहा" में..
दिनांक - 20/03/2017
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👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 11 किमी का विहार..
👉 आज का प्रवास - इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल स्कूल, "बोचाहा"
👉 आज के विहार के दृश्य..
दिनांक - 20/03/2017
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20 मार्च का संकल्प
तिथि:- चैत्र कृष्णा सप्तमी
हर इक चित्त में बहे शांति का दरिया।
सुखमय सहवास का यही है जरिया।।
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