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🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 22📝
*आचार-बोध*
*असमाधिस्थान*
*59.*
दवदव करता चले बिना पूंजे
या पूंजे चले कहीं।
सीमातीत रखें शयनासन
रत्नाधिक सम्मान नहीं।।
*60.*
स्थविरों जीवों का उपघाती
क्षण-क्षण में में आक्रोश भरे।
रहे सदा अत्यंत कुपित हो
चुगली करने से ना डरे।।
*61.*
पुनि-पुनि निश्चयकारी बोले
नव-नव विग्रह खड़े करे।
उदीरणा उपशांत कलह की
हाथ-पांव सरजस्क धरे।।
*62.*
हो अकाल-स्वाध्यायी कलहकार
बकवासविलासी हो।
गण में भेद डाल दे
ऐसे शब्दों का अभ्यासी हो।।
*63.*
दिनभर खाए, ध्यान एषणा का
जो समुचित नहीं धरे।
ये असमाधी स्थान बीस
सचमुच ही संयम-स्वास्थ्य हरे।।
*असमाधिस्थान का अर्थ है मानसिक अशांति। उसके अनेक कारण हो सकते हैं* उन कारणों के बारे में विस्तार से जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 22* 📝
*आगम युग के आचार्य*
*ज्योतिपुञ्ज आचार्य जम्बू*
गतांक से आगे...
जम्बू जानता था पाणिग्रहण के बाद दीक्षा के लिए उन आठों पत्नियों की आज्ञा आवश्यक होगी। यह विघ्न निश्चित दिखाई दे रहा था पर वह माता-पिता के युक्ति-संगत इस कथन को नहीं टाल सका। मेरे साथ अभिभावक भी दीक्षित होंगे यह बात उसको अधिक प्रभावित कर गई। जम्बू कुछ झुका। उसने विवाह के लिए स्वीकृति दे दी। यह स्वीकृति रीति-निर्वहण मात्र थी। ब्रह्मचर्य व्रत की प्रतिज्ञा में वह अब भी मंदराचल की तरह अचल था।
जम्बू के संकल्प की बात कन्याओं के अभिभावकों को भी बता दी गई। वे इससे चिंतित हुए। उनमें परस्पर विचार-विमर्श हुआ। मोह के कारण वे किसी एक निर्णय पर नहीं पहुंच रहे थे। यह चर्चा कन्याओं के कानों में भी पहुंची। उन्होंने दृढ़ स्वर से अपने अभिभावकों से कहा "आपके द्वारा जम्बू के साथ हमारा संबंध कर दिया गया है। हमने भी जम्बू को वर रूप में स्वीकार कर लिया है। अब हमारा वर दूसरा नहीं हो सकता। राजा और संत पुरुषों द्वारा वचन दान एक बार ही किया जाता है और कन्याओं का दान भी एक ही बार होता है। हम सब श्रेष्ठी कुमार जम्बू के साथ में है।"
कन्याओं का निश्चय सुनकर अभिभावकों के विचार स्थिर हुए। सबने यही सोचा, माता-पिता के स्नेहिल आग्रह ने पुत्र को विवाह हेतु तैयार कर दिया, तो ललनाओं का आग्रह भरा अनुनय भी जम्बू के संयमार्थ बढ़ते चरणों को अवश्य रोक लेगा। नैमित्तिक को पूछकर उस दिन से सातवें दिन विवाह लग्न निश्चित हुआ। ऋषभदत्त के मानस में हर्ष की लहर दौड़ गई। धारिणी के पैरों में घुंघरू बंध गए। स्वजन, स्नेही कुटुम्बजन उत्सव की तैयारी में लगे। सारा वातावरण उल्लास से भर गया। आनंदप्रदायिनी मंगल-बेला में धूम-धाम से जम्बू का विवाह हुआ संपन्न हुआ। यथा नाम तथा गुण वाली आठों रूपवती कन्याओं के साथ जम्बू ने घर में प्रवेश किया। किसलयसी सुकुमार, भूषणालंकृत पुत्रवधूओं और पुत्र जम्बू को देखकर धारिणी आनंद विभोर हो गई। महिलाओं ने मंगल गीत गाए और रीति-रस्म के साथ वर-वधुओं का वर्धापन किया गया। ऋषभदत्त का आंगन जम्बू के दहेज से प्राप्त निन्यानवे करोड़ की राशि से शीशमहल की तरह चमक उठा।
*क्या आठों रूपवती कन्याएं संयमार्थ उद्धृत जम्बू के कदमों को रोक पाईं...?* जानने के लिए पढ़ें... हमारी अगली पोस्ट... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*श्रावक सन्देशिका*
👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 47 - *गुरुकुलवास आयोजन*
*गुरुकुलवास आयोजन* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....
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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*
अनुक्रम - *भीतर की ओर*
*तैजस केन्द्र*
यह नाभि और उसके परिपार्श्व में
स्थित है ।हठयोग की भाषा में इसे मणिपुर चक्र कहते हैं ।
शक्ति केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र और तैजस केन्द्र ये तीनों चैतन्य केन्द्र स्वतः सक्रिय हैं ।स्वास्थ्य केन्द्र कामग्रन्थि (गोनाड्स) का प्रभाव
क्षेत्र है । तैजस केन्द्र एड्रीनल ग्लैण्ड का प्रभाव क्षेत्र है । साधक के लिए नीचे के तीनों केन्द्रों का परिष्कार करना जरुरी है ।
5 अप्रैल 2000
प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉 कालू - मंगल भावना समारोह आयोजित
👉 सिलीगुड़ी - अभिनन्दन व मंगल भावना कार्यक्रम
👉 सूरत - स्वच्छ भारत ड्राइंग प्रतियोगिता
👉 पट्टालम (चेन्नई) - महावीर जंयती उत्सव का आयोजन
प्रस्तुति:🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
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