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देखे हमारे जैन धर्म का इस 21वी सदी में सभी मतों के गुरुओ का आपसी विनय अनुपम नजारा #AcharyaSunilSagar #United_Jain
-आचार्य भगवन्त श्री सुनील सागर जी के संघ पर हुए मधुमक्खियों के उपसर्ग पर कुशलक्षेम पूछने और नमन करने श्वेताम्बर साध्वि माताजीओ का संघ पहुचा और पूज्य आचार्य श्री को इस उपसर्ग के बारे में पूछा तो गुरदेव ने अपने आशीष उद्बोधन में ये कहा कि भगवान महावीर के पथ पर चलने वाले सन्त को तपस्या और ध्यान के बल पर अपने अंदर इतना अमृत पैदा करना चाहिए की बाहर का भयानक जहर भी अप्रभावी हो जाए, शरीर और आत्मा के भेद विज्ञान,तप साधना का ज्ञान प्राप्त कर समस्त साध्वी माताजी गुरूओ के महान तप को नमन कर अत्यन्तं आंनन्दीत हुई ।
💐💐-शाह मधोक जैन चितरी
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News in Hindi
श्री रामकथा के अनमोल बिंदु -first day
इस जगत में चार तरह के रोगी है एक तो तन के रोगी हैं जिनके लिए बहुत से अस्पताल है, एक मन के रोगी जिनके भी बहुत से अस्पताल है कुछ भावनाओ के रोगी हैं जिनके लिए सत्संगति अस्पताल है और कुछ आत्मा के रोगी है जिनके 1लिए गुरु की शरण अस्पताल है सारे रोगी कर्म रोग से पीड़ित है।
महाराज श्री के धर्म गुरु जिनेन्द्र वर्णी जी ने कहा है...किसी दोषी को दोषी मत देखो द्वेष होगा, उसको कर्म रोग से पीड़ित रोगी देखो सहानुभूति और करुणा होगी।
तो जब सब रोगी है तो कौन किससे शिकायत करें?
अपने जीवन में शिकायत करने की जो आदत है उससे मुक्त होना उद्धार के लिए आवश्यक है।
एक दूसरी आदत और है तुलना करने की
कौन बेहतर है कौन बदतर है इससे भी अगर हम मुक्त हो जाए तो हर इंसान एक अनमोल रत्न नज़र आएगा
नज़र क्यू नहीं आता क्योंकी
नजरिया बिगड़ा हुआ है
नज़रिया बदलने से नज़ारा बदल जाता है
एक तीसरी आदत और है सफाई देने की
यदि साफ है तो सफाई की ज़रूरत नहीं है और यदि साफ नहीं है तो सफाई धोखा धड़ी है
सब के भीतर परस्पर सद्भावना हो और सद्भावना होने से मन मुटाव दूर हो जाता है,मन मुटाव दूर होने पर तनाव दूर हो जाते हैं तनाव दूर होने पर शरीर का रासायनिक संतुलन बन जाता है और स्वास्थ्य और आचार विचार सुधर जाते हैं
आहार विहार आचार विचार सुधारने से हृदय रोग से छुटकारा मिल जाता है
आचार व्यसन मुक्त हो,
विचार सद्भवना युक्त हो!
आहार सात्विक
विहार योग आदि क्रियाएँ
"भावना दिन रात में सब सुखी संसार हो
सत्य संयम शील का व्यवहार हर घर बार हो...गीत से शांति प्रेम का सन्देश दिया
अलग अलग रामायणों से संदेशात्मक,शिक्षाप्रद रोचक प्रसंग का संकलन हो जाए
अपनी वस्तु का आग्रह करने से कभी कभी सत्य से हम वंचित रह जाते है, क्योंकी सत्य जगत के कोने कोने में बिखरा हुआ है
आग्रह अभिमान की उपज है और
और अभिमान सत्य प्राप्ति में सब से बड़ा रोड़ा है
स्वामी शिवानंद जी ने लिखा है
भारत में साधको का वेश रहा है
और साधना का प्रारम्भ वैराग्य से होता है।
ज्ञान के द्वार खुल रखने पर नई बातें जानने मिलती है। जिसने अपने ज्ञान को परिपूर्ण मान लिया वो कभी परिपूर्ण नहीं बन सकता।
वो मानी बन सकता है लेकिन ज्ञानी नहीं बन सकता।
जो अभिमानी होता है वो ज्ञानी नहीं होता।
जो ज्ञानी होता है वो अभिमानी नहीं हो सकता।
वैराग्य एक ऐसी वस्तु है ऐसा भाव है जो कोई नहीं जानता की कब प्रगट हो जाए
आज जो सांसारिक सुखों में डूबा हुआ है कल
वैराग्य उसको कहीं का कहीं पहुँचा सकता है।
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भोपाल (म. प्र.) से 10 किलोमीटर दूर समसगढ़ ग्राम (अंतर्गत रतिबाद पुलिस स्टेशन) में 11 वीं सदी के प्राचीन जैन मंदिर व प्रतिमाओं को अतिशीघ्र संरक्षण व संवर्धन की आवशयकता... विश्व जैन संगठन
वर्ष 2012 में म. प्र. पुरातत्व विभाग द्वारा घोषित राज्य संरक्षित पुरातत्व! समसगढ़ से प्राप्त दो प्राचीन जैन प्रतिमाएं भोपाल के राज्य संग्रहालय में संरक्षित!
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Urban Toxin For Ancient Jain Temple in Bhopal - Times of India
Ruins of Jain temple, dating back to Parmar era near the state capital are facing an irretrievable damage from mindless construction activity. Locals are livid over feeble attempts at conservation of the excavated ruins of temple complex, which they insist, is historically no less than Bhojpur or ot...