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श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ जी
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वर्ष 1916 में पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकाशित "इंस्क्रिप्शन्स इन सेंट्रल प्रोविन्सेस एंड बरार" के पेज न. 135 पर अकोला जिले के शिरपुर से प्राप्त शिलालेख के अनुसार...
"अकोला से 37 मील दूर शिरपुर है! दिगम्बर जैन समाज से सम्बंधित अंतरिक्ष पार्श्वनाथ के मंदिर में संवत 1334 (1406 AD) का शिलालेख है! इस शिलालेख में अंतरिक्ष पार्श्वनाथ का नाम मंदिर के निर्माता जगसिंहा से सम्बंधित है!”
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वर्ष 1916 में पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकाशित "इंस्क्रिप्शन्स इन सेंट्रल प्रोविन्सेस एंड बरार"
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वर्ष 1908 में भारत सरकार द्वारा प्रकाशित “इम्पीरियल गजट” के भाग XXIII के पेज न. 40 पर वर्णित है कि...
"शिरपुर के दिगम्बर जैन समाज के अंतरिक्ष पार्श्वनाथ मंदिर में 1406 AD का शिलालेख है! एलिचपुर के राजा एल्लुक को नदी किनारे प्रतिमा प्राप्त हुई! राजा द्वारा प्राथना करने पर उसे यह प्रतिमा उस स्थान से ले जाने की अनुमति मिली लेकिन पीछे मुडकर देखने हेतु मना किया गया लेकिन शिरपुर आकर उसने पीछे मुड़कर देखा जिस कारण प्रतिमा उसी स्थान पर हवा में बहुत से वर्षो रही!"
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वर्ष 1908 में भारत सरकार द्वारा प्रकाशित “इम्पीरियल गजट” का भाग XXIII
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वर्ष 1907-8 में भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकाशित "एपिग्राफिया इंडो - मोसलेमिका" के पेज न. 21 पर..
“दिगम्बर जैन समाज से सम्बंधित मंदिर में संवत 1334 (1406 AD) में संस्कृत के शिलालेख में अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ लिखा है!”
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वर्ष 1907-8 में भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकाशित "एपिग्राफिया इंडो - मोसलेमिका"
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वर्ष 1910 में प्रकाशित “सेंट्रल प्रोविंसस एंड बरार जिला गज़ेटियर में अकोला जिला” गजट
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श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ मंदिर जी में स्तिथ पिलर पर जैन तीर्थंकर
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मंदिर जी के गेट के ऊपर लिंटल पर जैन तीर्थंकर