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👉 टिटलागढ़ - ज्ञानशाला रजत जयंती समारोह
👉 उत्तर हावड़ा - आचार्य श्री महाश्रमण 56 वां जन्मदिवस समारोह
👉 सिलीगुड़ी - त्रिदिवसीय ज्ञानशाला प्रशिक्षिका प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न
👉 बोरीवली (मुम्बई) - विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन
👉 जयपुर - महिला मण्डल द्वारा सेमिनार का आयोजन
👉 हिसार - आचार्य श्री महाश्रमण 56 वां जन्मदिवस समारोह
👉 जयपुर - आचार्य श्री महाश्रमण 56 वां जन्मदिवस समारोह
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*
अनुक्रम - *भीतर की ओर*
*लेश्या ध्यान ---[ 5 ]*
विशुद्धि केन्द्र पर हरे रंग का ध्यान करने से विजातीय तत्व दूर होते हैं । इससे अनासक्ति का विकास होता है और मानसिक शांति बढती है ।
बैगनी रंग के ध्यान से आध्यात्मिक का विकास होता है । तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ल लेश्या के रंग आध्यात्मिक रंग है । इन तीनों लेश्याओं का क्रमशः दर्शनकेन्द्र, ज्योतिकेन्द्र और ज्ञानकेन्द्र पर ध्यान करने से अध्यात्म का विकास होता है ।
04 मई 2000
प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 46* 📝
*आगम युग के आचार्य*
*संयमसूर्य आचार्य सम्भूतविजय*
गतांक से आगे...
कामासक्त व्यक्ति हिताहित का सम्यक् समालोचन नहीं कर सकता। मर्यादातिक्रांत सिंह-गुफावासी मुनि के विवेक चक्षु बंद हो गए। अपने नियम-उपनियमों को विस्मृत कर पावस काल में मुनि के वेश में ही वे वहां से चल पड़े। सैंकड़ों कोस धरती पारकर अनेक कष्ट सहते हुए मुनि नेपाल पहुंचे और अत्यंत कठिनाई से रत्न कंबल को प्राप्त कर वे लौटे। वापिस लौटते समय उन्हें रास्ते में भीषण आपत्तियों का सामना करना पड़ा। कभी तीव्र ताप से तप्त धरती की तपन पैरों को झुलसाती, कभी सर्दी की ठिठुरन शरीर को कंपकंपा देती। भूख-प्यास से आकुल मुनि के लड़खड़ाते चरण विशालकाय पहाड़ों की भयावह दरारों, बरसाती हवाओं से सर्पिणी की भांति फुफकारती बिफरी नदियों एवं बीहड़ वनों को लांघते आगे बढ़ते रहे। मार्ग में चोरों का आवास स्थल था। उसके पास पहुंचते ही शकुन-सूचक पक्षी बोला "आयाति लक्षम्" "लक्ष मुद्राएं आ रही हैं।" पक्षी की भाषा को समझकर स्तेनाधिपति ने द्रुमारूढ़ चोर से पूछा "क्या मार्ग पर कोई आता हुआ दिखाई दे रहा है?"
"आगच्छन् भिक्षुरेकोऽस्ति न कश्चित्तादृशोऽपरः।" चोर ने कहा "एक भिक्षु के अतिरिक्त कोई दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है।"
चोरों के सरदार ने आदेश दिया "निकट आने पर आगंतुक को लूट लिया जाए।"
चोरों ने वैसा ही किया पर भिक्षु से कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ। स्तेन दल से मुक्ति पाकर ज्यों ही मुनि के चरण आगे बढ़े, पक्षी पुनः बोला "एतल्लक्षं प्रयाति" "लक्ष मुद्राएं जा रही हैं।" पक्षी से संकेत पाकर स्तेन सम्राट के आदेश से चोरों ने उसे घेर लिया और कहा "सत्यं ब्रूहि किमस्ति ते" "भिक्षुक! सत्य कहो, तुम्हारे पास क्या है?"
मुनि का हृदय कांप गया। वे बोले "मेरी इस प्रलंबमान बांस की यष्टि में रत्न कंबल है। मगध गणिका को प्रसन्न करने के लिए इसे नेपाल सम्राट से याचना कर के लाया हूं।" चोरों ने मुनि की क्लीवता पर अट्टाहास किया और दयापात्र समझकर रत्न कंबल का अपहरण किए बिना ही उन्हें छोड़ दिया। सिंह-गुफावासी मुनि अत्यंत आह्लाद के साथ अवशिष्ट मार्ग को पार कर चित्रशाला के निकट पहुंचे। उनका मन प्रसन्नता से नाच रहा था।
*क्या गणिका कोशा रत्न कंबल पाकर मुनि पर प्रसन्न हुई...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*श्रावक सन्देशिका*
👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 71 - *विगय*
*तपस्या* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....
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🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 46📝
*संस्कार-बोध*
*प्रेरक व्यक्तित्व*
(लावणी)
*44.*
थे कृपापात्र मुनि हेम भिक्षु स्वामी के,
इतिहास सुरक्षा का क्रम उनसे सीखें।
गण-वृद्धि - सहायक हुई हेम की दीक्षा,
विद्यागुरु जय के, पाई गहरी शिक्षा।।
*45.*
गण गणपति के प्रति आस्था जिनकी गहरी,
चर्चा - निष्णात 'स्वरूप' संघ के प्रहरी।
जय-अग्रज हेम-पदाम्बुज-दास बना है,
अग्रणी बने इसका इतिहास बना है।।
*46.*
श्रम सेवा और समर्पण विस्मयकारी,
मुनि कालूजी का संघ सदा आभारी।
'जय' 'मघवा' ने जिनका सम्मान बढ़ाया,
थलवट में तेरापंथ का ठाट जमाया।।
*47.*
रिछेड़ी नथ मुनि शासन में विश्वासी,
थे हेम दूसरे हेम आतमा-वासी।
सेवाभावीजी की सेवा श्रम समता,
कैसे भूलें उनकी सबके प्रति ममता।।
*प्रेरक व्यक्तित्व...* हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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