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🌎 आज की प्रेरणा 🌍
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
आलेखन - संस्कार चैनल के श्रवण से:-
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - एक विचारधारा आत्मवाद की है | आत्मनाम का एक तत्व है, जो पहले भी रहा है, आह भी है और आगे भी रहेगा | वह अमूर्त है इसलिए आँखों से दिखा ई नहीं देती | शरीर और आत्मा दोनों भिन्न है | आत्मा अवि नाशी है और शरीर विनाशी, आत्मा शाश्वत है और शरीर अ- शाश्वत, आत्मा स्थाई है और शरीर राही | आत्मा और शरीर साथ रहकर भी अलग अलग है, जैसे मिट्टी अलग और सोना अलग | आध्यात्म का एक मूल सिद्धांत है - आत्मा भिन्न और शरीर भिन्न | हम आत्मवाद की बात बतलाने वाले भग- वान महावीर की भूमि बिहार में भ्रमण कर रहे हैं | उनका कथन था - यह स्थूल शरीर तो साथ में जाने वाला है नहीं, सिर्फ आत्मा साथ में जायेगी, अतः हम इस पर ध्यान दें | जब आदमी आत्मस्थ बनता है तो बाहरी चकाचौंध का आकर्षण सहज ही मिट जाता है | हमें चाहिए कि उस ओर प्रस्थान कर हम मानव जीवन का लाभ
उठाएं |
दिनांक - ७ मई, २०१७ रविवार
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★संथारे में देवलोक गमन★
🔘 कोलकाता
07.05.2017
प्रस्तुति > #तेरापंथ मीडिया सेंटर
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आचार्य श्री महाश्रमण जी के जन्म दिवस पर बाल मुनि प्रिंस कुमार जी का विशेष काव्य पाठ सुनने के लिए लिंक पर क्लिक करें ।
https://youtu.be/AzPZ-AAk_fw
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News in Hindi
🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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