08.05.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 08.05.2017
Updated: 09.05.2017

Update

👉 उदयपुर - आचार्य श्री महाश्रमण जन्मदिवस, पदाभिषेक व दीक्षा दिवस समारोह
👉 राजगांगपुर - ज्ञानशाला का नव गठन
👉 सादुलपुर - अणुव्रत कार्यशाला का आयोजन
👉 रतलाम - साध्वी श्री का मंगल आगमन
👉 जयपुर - महिला मंडल सी स्किम द्वारा निःशुल्क चिकित्सा शिविर
👉 कटक - आचार्य श्री महाश्रमण जन्मदिवस, पदाभिषेक व दीक्षा दिवस समारोह
👉 जयपुर - राजस्थान सरकार के गृह मंत्री श्री कटारिया मुनि श्री के दर्शनार्थ

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

*पूज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 आचार्यश्री महाश्रमण अपनी अहिंसा यात्रा के साथ पहुंचे गजम्बा
👉 खसिया से लगभग दस किलोमीटर का विहार कर अहिंसा यात्रा पहुंची उत्क्रमित मध्य विद्यालय
👉 आचार्यश्री लोगों को बताया आत्मा के उन्नयन का मार्ग
👉 लोगों ने स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प, सहायक शिक्षक ने भी भावाभिव्यक्ति

दिनांक 07-05-2017

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Update

💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी

📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 49📝

*संस्कार-बोध*

*प्रेरक व्यक्तित्व*

*लावणी के पद्यों में प्रयुक्त तेरापंथ धर्मसंघ के प्रेरक व्यक्तित्व*

*16. श्रम, सेवा और समर्पण...*

मुनि कालूजी (रेलमगरा) सरावगी परिवार से दीक्षित हुए। उनकी दीक्षा छोटी अवस्था में हो गई थी। दीक्षा के बाद उन्होंने मुनि स्वरूपचंदजी की अच्छी सेवा की। उनकी सेवा भावना, समर्पण भावना और श्रमशीलता अनूठी थी। उन्हें कठिन-से-कठिन काम सौंपने पर भी वे उसे कभी अस्वीकार नहीं करते थे। भयंकर गर्मी के मौसम में मेवाड़ जाने के प्रसंग में सामान्यतः किसी भी साधु-साध्वी की तैयारी नहीं होती। उस समय मुनि कालूजी विहार करने के लिए तैयार हो जाते।

जयाचार्य के युग में संघ में आंतरिक संघर्ष की स्थिति आई। मुनि छोगजी और चतुर्भुजजी आदि संघ से अलग हो गए। उनका थली क्षेत्र में प्रवास हुआ। उन्होंने तेरापंथी लोगों को भ्रांत करने का प्रयास किया। कई लोग प्रवाह में बह गए। सरदारशहर में उनका अच्छा प्रभाव जमने लगा। साधु-साध्वियों ने परिश्रमपूर्वक स्थिति को संभालने का प्रयत्न किया, पर यथेष्ट परिणाम नहीं आया। उस समय जयाचार्य ने मुनि कालूजी को थली में काम करने का आदेश दिया। वे सरदारशहर गए। उन्होंने अनुभव किया कि वहां की स्थिति जोगी की जटा की तरह उलझी हुई है। उनकी सूझबूझ और पुरुषार्थ से स्थिति सुलझ गई। जयाचार्य ने उनका मूल्यांकन किया।

आचार्यश्री मघवागणी भी मुनि कालूजी को बहुत सम्मान देते थे। वे जब कभी बहिर्विहार से गुरुकुलवास में आते, मघवागणी उनकी अगवानी में जाते थे। विहार करते तो पहुंचाने जाते। यहां तक कहा जाता है कि मघवागणी आहार कर रहे होते और मुनि कालूजी के आने की सूचना मिल जाती तो मुखवस्त्रिका के धागे का एक छोर कान में और दूसरा छोर हाथ में पकड़े हुए उनके सामने जाते। मुनि कालूजी ऐसा मौका आने ही नहीं देते थे, पर आकस्मिक रुप में कभी ऐसा प्रसंग बन जाता तो मघवागणी उन्हें इतना अधिमान देते थे।

मुनि कालूजी आचार्यों के पूर्णतः विश्वासी संत थे। जयाचार्य और मघवागणी द्वारा उन्हें अनेक प्रकार की बक्सीसें प्राप्त थीं। अग्रगण्य साधुओं पर गाथाएं लिखने का जो कर होता है, उसकी भी उन्हें छूट थी।

*आचारनिष्ठ और मर्यादाओं के प्रति अत्यंत जागरूक साधु रीछेड़ के मुनि नथमल जी* के बारे में पढ़ेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢

♻❇♻❇♻❇♻❇♻❇♻

*श्रावक सन्देशिका*

👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 74 - *जमीकंद*

*सामायिक व पौषध क्रमशः...* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 49* 📝

*आगम युग के आचार्य*

*संयमसूर्य आचार्य सम्भूतविजय*

*आचार्य संभूतविजय का शिष्य परिवार*

गतांक से आगे...

भ्राता के स्वर्गवास की बात सुनकर साध्वी यक्षा को तीव्र आघात लगा। भाई की इस आकस्मिक मृत्यु का निमित्त स्वयं को मानती हुई वह उदास रहने लगी। ऋषिघात जैसे भयंकर पाप का प्रायश्चित के लिए उसने अपने को संघ के सामने प्रस्तुत किया। संघ ने साध्वी यक्षा को निर्दोष बताया पर इससे यक्षा के मन को संतोष नहीं था। उसने अन्न ग्रहण करना छोड़ दिया। संघ की सामूहिक साधना से शासन-देवी प्रकट हुई। वह साध्वी यक्षा के मनस्ताप को शांत करने के लिए उसे महाविदेह क्षेत्र में श्री सीमंधर स्वामी के पास ले गई। श्री सीमंधर स्वामी ने बताया "मुनि श्रीयक की मृत्यु के लिए तुम दोषी नहीं हो।" वीतराग प्रभु के अमृतोपम वचन सुनकर साध्वी यक्षा को तोष मिला। उद्वेलित मन को समाधान मिला। साध्वी यक्षा को जैन शासन में अत्यधिक प्रसिद्ध चार चूलिकाओं की उपलब्धि श्री सीमंधर स्वामी के पास हुई। इन चार चूलिकाओं में से दो चूलिकाएं दशवैकालिक सूत्र के साथ एवं दो चूलिकाएं आचारांग सूत्र के साथ संयुक्त हैं। ये चूलिकाएं आज आगम का अभिन्न अंग बनी हुई हैं। साधुचर्या की महत्ता इन चूलिकाओं के अध्ययन से समझी जा सकती है।

मुनि श्रीयक के स्वर्गवास संबंधी संवत् का कोई उल्लेख उपलब्ध नहीं है। संभूतविजय के शासनकाल में ही संभवतः मुनि श्रीयक की जीवन-यात्रा सुखपूर्वक संपन्न हो गई थी। पाटलिपुत्र की गिरी कंदराओं में एक बार आर्य स्थूलभद्र एकांत में ध्यान साधना कर रहे थे। उस समय पाटलिपुत्र में विराजमान आचार्य भद्रबाहु का आदेश प्राप्त कर यक्षा आदि बहनें बंधु स्थूलभद्र के दर्शन करने गईं, तब लघुभ्राता मुनि श्रीयक के जीवन का यह हृदयद्रावक घटना प्रसंग उन्हें बताया।

आचार्य संभूतविजय द्वारा स्थूलभद्र की दीक्षा वी. नि. 146 (वि. पू. 324) में हुई।

परमयशस्वी आचार्य यशोभद्र का स्वर्गवास वी. नि. 148 (वि. पू. 322) में हुआ। इन संदर्भों के अनुसार स्थूलभद्र के दीक्षा ग्रहण के समय आचार्य यशोभद्र विद्यमान थे। अतः आचार्य यशोभद्र के रहते हुए अमात्य पुत्र स्थूलभद्र का दीक्षा संस्कार आचार्य संभूतविजय द्वारा किया जाना तात्कालीन धर्मसंघ की व्यवस्था का संकेत है।

संभूतविजय और भद्रबाहु दोनों आचार्य यशोभद्र के चतुर्दश पूर्वधर शिष्य थे। स्थूलभद्र को आचार्य पद पर नियुक्त करने का कार्य श्रुतधर भद्रबाहु ने किया।

संभूतविजय के गुणानुवाद में पट्टावली समुच्चय का श्लोक है
*संभूतपूर्वो विजयो गुरुस्तत्पट्टं श्रिया पल्लवयांचकार।*
*कदम्ब जम्बू कुट*
*जावनीजकुंज नभोम्भोद इवाम्बुदृष्टया।।26।।*
*(पट्टावली-समुच्चयः श्री महावीर पट्टपरंपरा,पृ.123)*

*समकालीन राजवंश, संयम साधना के प्रेरणास्रोत, समय-संकेत व आचार्य-काल* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠

*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*

अनुक्रम - *भीतर की ओर*

*आभामण्डल -- [1 ]*

वर्तमान युग में आभामण्डल शब्द बहुत प्रसिद्ध हो चुका है । जैन साधना पद्धति में आभामण्डल का प्रतिनिधि शब्द है लेश्या ।
हमारी सूक्ष्म चेतना, सूक्ष्म शरीर के स्तर से निकलने वाली भाव रश्मियों और भाव तरंगों का नाम है लेश्या ।
ध्यान साधना का प्रारम्भ करने वाले व्यक्ति को आभामण्डल के बारे में अवश्य जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ।


08 मई 2000

प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠

News in Hindi

👉 श्री गौतम चोरडिया की छतीसगढ़ उच्च न्यायालय में रजिस्ट्रार (ज्यूडिशियल) पद पर नियुक्ति
👉 अहमदाबाद - आचार्य श्री महाश्रमण जन्मदिवस, पदाभिषेक व दीक्षा दिवस समारोह
👉 जयपुर - किशोर मण्डल द्वारा सेवा कार्य
👉 अंधेरी (मुम्बई) - आचार्य श्री महाश्रमण दीक्षा दिवस
👉 वापी - आचार्य श्री महाश्रमण जन्मदिवस, पदाभिषेक व दीक्षा दिवस समारोह
👉 श्री कन्हैयालाल पटावरी ने दी अणुव्रत महासमिति के संपोषक सदस्य के रूप में स्वीकृति
👉 श्री तेजकरण सुराणा ने दी अणुव्रत महासमिति के संपोषक सदस्य के रूप में स्वीकृति
👉 अणुव्रत महासमिति को विशिष्ठ सहयोगियों द्वारा अनुदान
👉 बैंगलोर - आचार्य श्री महाश्रमण जन्मदिवस व पदाभिषेक समारोह

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Video

Source: © Facebook

दिनांक 07- 05- 2017 के विहार और पूज्य प्रवर के प्रवचन का विडियो
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

👉 *पूज्य प्रवर का आज का लगभग 13 किमी का विहार..*
👉 *आज का प्रवास - "लकड़ा पहाड़ी" (झारखंड)*
👉 *आज के विहार के दृश्य..*

दिनांक - 08/05/2017

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
*प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. अमृतवाणी
  2. आचार्य
  3. दर्शन
  4. दस
  5. भाव
  6. महावीर
  7. राजस्थान
Page statistics
This page has been viewed 527 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: