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आतंकवादियों से भी समझाइश कर उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास करना चाहिए: #मुनि_प्रमाणसागर जी
आतंकवाद एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है, इसके निदान के लिए समाज को आत्मवाद अपना कर आतंकवादियों से भी अंतिम समय तक समझाइश का प्रयास कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। जैन सिद्धांत आतंकवाद से निपटने का सरल एवं अहिंसक समाधान है। यह विचार मुनि प्रमाण सागर जी महाराज ने गुरुवार शाम को दुर्ग स्थित कीर्तिस्तम्भ भगवान मल्लिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पर आयोजित शंका समाधान कार्यक्रम में श्रावकों के प्रश्न के जवाब में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद की जड़ को पहचान कर उनको उकसाने वालों की मंशा को निष्फल करने के लिए जैन धर्म में और भी कई अहिंसक समाधान हैं। अजमेर में मुनिश्री से शाहाकार अपनाने का संकल्प लेने वाली मुंबई के युनिवर्सल बिजनेस स्कूल करजत में अध्ययन करने वाली चित्तौड़गढ़ निवासी दिशा अग्रवाल का उदाहरण पेश किया। छात्रा की अहिंसात्मक जिद के आगे स्कूल प्रशासन को झुकना पड़ा। मुनिश्री ने कहा कि इसी प्रकार सम्पूर्ण देश में भी इस तरह की पालना एवं अनुसरण होना चाहिए।
कीर्ति स्तंभ का संरक्षण एवं संवर्द्धन समय की दरकार
मुनिश्री ने शुक्रवार सुबह कीर्ति स्तंभ के भीतर एवं बाहरी शिल्पकला को देखा और बताया कि जैन धर्म की यह स्थापत्य कला कहीं देखने को नहीं मिलती है। इसका संरक्षण एवं संवर्द्धन समय की दरकार है। इसके पश्चात् मुनिश्री ने विजयस्तम्भ, मीरा मंदिर एवं जौहर कुंड तथा मार्ग में गोराजी, कल्लाजी की छतरियों के इतिहास की जानकारी ली। मुनिश्री का विहार अहिंसा नगर ओछड़ी स्थित मुनि समीर पावनधाम पर हुआ।
नगर में पूर्व सांसद सीपी जोशी, भाजपा के रघु शर्मा ने मुनि प्रमाण सागरजी एवं विराट सागर जी को श्रीफल भेंट किया। मुनिश्री का विहार अहिंसा नगर से शनिवार को सुबह सवा पांच बजे निम्बाहेड़ा मार्ग की ओर होगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
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दर्शनं देवदेवस्य, दर्शनं पापनाशनम्|
दर्शनं स्वर्गसोपानं, दर्शनं मोक्षसाधनम्|1|
दर्शनेन जिनेन्द्राणां, साधूनां वंदनेन च|
न चिरं तिष्ठते पापं, छिद्रहस्ते यथोदकम्|2|
वीतरागमुखं द्रष्ट्वा, पद्मरागसमप्रभं|
जन्म-जन्मकृतं पापं दर्शनेन विनश्यति|3|
देव दर्शन पाप का नाशकरनेवाला है ।
देवदर्शन स्वर्ग का सोपान है,स्वर्ग का वैभव देवदर्शन से मिलता है ।।
देव दर्शन के निमित्त में होनेवाला शुभभाव, उस शुभभाव के निमित्त से बंधाहुआ पुण्यकर्म, शुद्ध भाव से होनेवाली मोक्षकी प्राप्ती!
सब सुख धर्म से ही मिलते है ।
अच्छा फल चाहिये तोधर्म बढ़ाना चाहिये।धर्म सुख को कारण है ।
शुभ दिवस की शुरुआत जिनेन्द्र देव के दर्शन के साथ।
दर्शन कर नमोस्तु भगवान् जरूर लिखे।।।
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