Update
23 मई का संकल्प
*तिथि:- ज्येष्ठ कृष्णा द्वादशी*
अरहंत-सिद्ध-साधु-धर्म ये चार शुभ मंगल।
शरण ले जो इनकी जीत जाता हर दंगल।।
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
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👉 *पूज्य प्रवर का प्रवास स्थल - "बोलपुर" (पश्चिम बंगाल) में*
👉 *गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..*
👉 *आज के "मुख्य प्रवचन" के कुछ विशेष दृश्य..*
दिनांक - 22/05/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
*प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
News in Hindi
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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*
अनुक्रम - *भीतर की ओर*
*कापोतवर्ण प्रधान आभामण्डल*
जो व्यक्ति कापोतलेश्या प्रधान होता है उसके आभामण्डल में कापोतवर्ण की प्रधानता होती है ।
कापोतलेश्या वाले व्यक्ति की भावधारा को समझने के लिए कुछ भावों का उल्लेख आवश्यक है -----
1) वक्र आचारवाला
2) मायावी
3) मात्सर्ययुक्त स्वभाववाला
4) कुटिल व्यवहारवाला
5) दोषपूर्ण वचन बोलनेवाले
इन भावों के आधार पर निर्णय किया जा सकता है कि इस व्यक्ति के आभामण्डल मे कापोत रंग की प्रधानता है ।
22 मई 2000
प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 61📝
*संस्कार-बोध*
*प्रेरक व्यक्तित्व*
(दोहा)
*55.*
क्यों लेखन - गति मंद है?,
समझा गुरु-संकेत।
विगय-त्याग मुनि चौथ के,
वाह-वाह विनय निकेत।।
*28. क्यों लेखन गति...*
मुनि कुंदनमलजी के संसारपक्षीय अनुज मुनि चौथमलजी पूज्य कालूगणी की विशेष सेवा में नियुक्त थे। उनका स्वर्गवास होने के बाद वे मेरी (ग्रंथकार आचार्य श्री तुलसी) सेवा में रहे। वे आंतरिक निष्ठा से सेवा करते थे।
कालूगणी के युग में तेरापंथ संघ में संस्कृत विद्या का अच्छा विकास हुआ। उस समय सामान्यतः 'सारस्वत चंद्रिका' का अध्ययन किया जाता था। विशेष प्रतिभासंपन्न साधुओं को 'सिद्धांत चंद्रिका' पढ़ाई जाती थी। ये दोनों ही व्याकरण अधूरे प्रतीत हो रहे थे। दूसरे व्याकरणों की खोज हुई। 'हेमशब्दानुशासन' उपलब्ध हुआ। पूज्य कालूगणी को वह भी पसंद नहीं आया। वे कहते— 'यह व्याकरण ठंठ है। इसकी संरचना में मधुरता या कोमलता नहीं है। इसलिए एक नए व्याकरण का निर्माण होना चाहिए।'
पूज्य कालूगणी की प्रेरणा से मुनि चौथमलजी और आशुकविरत्न पंडित रघुनंदनजी ने एक सर्वांग संपन्न व्याकरण तैयार किया। अष्टाध्यायी, वृहदवृत्ति, धातुपाठ, गणपाठ, उणादि, लिंगानुशासन, न्यायदर्पण आदि का समग्रता से निर्माण करने में समय और श्रम दोनों ही लगे। ऐसा प्रतीत होता है कि उनके जीवन का अधिक समय व्याकरण के निर्माण और लेखन में लग गया। व्याकरण निर्माण के बाद उन्होंने एक प्रति लिख ली थी। उसकी दूसरी प्रतिलिपि करते समय पूज्य कालूगणी ने उनके लेखन प्रगति के बारे में तीन-चार बार पूछ लिया। लेखन में विशेष गति न होने के कारण आपने कहा— 'अभी तक इतना ही कैसे लिखा?'
पूज्य कालूगणी की यह बात मुनि चौथमलजी को लग गई। उन्होंने संकल्प कर लिया— जब तक 'भिक्षुशब्दानुशासनम्' की प्रति नहीं लिखी जाएगी, तब तक मुझे छह विगय (दूध दही आदि) खाने का त्याग है। पहले तो कालूगणी को इस बात का पता नहीं लगा। पता लगने पर आपने कहा— 'त्याग क्यों किए?' मुनि चौथमलजी बोले— 'गुरुदेव! बिना अभिग्रह लेखन की गति ठीक नहीं हुई।'
मुनि चौथमल जी के संकल्प की शीघ्र संपूर्ति के लिए पूज्य कालूगणी ने उनको सामूहिक और व्यक्तिगत अनेक कार्यों से मुक्त कर दिया। वे कालूगणी का प्रतिलेखन करते थे, उनके साथ पंचमी समिति जाते थे। इन सब कार्यों की छूट देकर उन्हें लेखन के लिए पर्याप्त समय दिया। फलस्वरूप वे प्रतिदिन छह पृष्ठ तक लिखने लगे।
मुनि चौथमलजी का कालूगणी के प्रति कितना विनयभाव और भक्तिभाव था कि उनका इंगित समझकर उन्होंने इतना कठोर संकल्प स्वीकार कर लिया। इधर कालूगणी ने भी उन पर विशेष अनुग्रह किया। जिससे उनका कार्य शीघ्र संपन्न हो सका। मुनि चौथमलजी द्वारा लिखित 'भिक्षुशब्दानुशासनम्' की वह हस्तलिखित प्रति आज भी तेरापंथ धर्मसंघ के 'पुस्तक भंडार' में सुरक्षित है।
*गुरु को ही अपना सर्वस्व मानने वाले बाल मुनि कनक* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*
अनुक्रम - *भीतर की ओर*
*कापोतवर्ण प्रधान आभामण्डल*
जो व्यक्ति कापोतलेश्या प्रधान होता है उसके आभामण्डल में कापोतवर्ण की प्रधानता होती है ।
कापोतलेश्या वाले व्यक्ति की भावधारा को समझने के लिए कुछ भावों का उल्लेख आवश्यक है -----
1) वक्र आचारवाला
2) मायावी
3) मात्सर्ययुक्त स्वभाववाला
4) कुटिल व्यवहारवाला
5) दोषपूर्ण वचन बोलनेवाले
इन भावों के आधार पर निर्णय किया जा सकता है कि इस व्यक्ति के आभामण्डल मे कापोत रंग की प्रधानता है ।
22 मई 2000
प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉 *पूज्य प्रवर का आज का लगभग 2 किमी का विहार..*
👉 *आज का प्रवास - बोलपुर (पश्चिम बंगाल)*
👉 *आज के विहार के दृश्य..*
दिनांक - 22/05/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
*प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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