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नैनागिर में हुआ था चमत्कार -आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ नैनागिर में विराजमान थे! वैसे तीर्थक्षेत्रों पर भीड़ कम रहती है, परन्तु जहाँ स्वयम चलते फिरते तीरथ विराजमान हों वहाँ तो मेला लगा ही रहता है...
सुबह का समय था आचार्य भगवन ससंघ मंच पर आसीन थे और प्रवचन चल रहे थे, सब लोग शांत होकर गुरु की अमृत वाणी सुन रहे थे, वही टेंट के खम्बे के पास एक छोटा सा छिद्र था उसमे एक सर्प छिपा हुआ आराम से आचार्य भगवन को देख रहा था, अचानक पास बैठे एक व्यक्ति की नजर उसपर गई और वो घबराकर उठ गया और चिल्लाने लगा सांप - सांप, उसे देखकर सब लोग उठकर खड़े हो गए और इधर उधर भागने लगे वो सर्प मंच के पास आया और जोर जोर से नृत्य करने लगा, वहाँ उपस्थित लोग आश्चर्य से देखने लगे ये क्या हो रहा है, आचार्य भगवन भी अपनी चिरपरिचित मुस्कान लिये उसे देख रहे थे, उस समय मोबाइल नही चलते थे तो कुछ कैमरे वाले लोग जो वहाँ आचार्य श्री के प्रवचन रिकॉर्ड कर रहे थे, वो अपने कैमरे से पूरी घटना रिकॉर्ड करने लगे, थोड़ी देर बाद उस सर्प ने आचार्य श्री को तीन बार जमीन पर फन रखकर नमोस्तू किया, आचार्य श्री ने उसे हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया और सबके सामने से वो सर्प अचानक से ही गायब हो गया वहाँ उपस्थित लोगों ने उसे बहुत ढूढ़ने की कोशिस की लेकिन कहीं नही मिला आचार्य श्री ने सबसे बैठने के लिये कहा!
सब लोग जयकारा लगाने लगे आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज की जय!!
अभी और सुनिये -वो सर्प तो चला गया, वहाँ तीन लोगों ने कैमरे से पूरी घटना रिकॉर्ड की थी जब उसकी रिकोर्डिंग देखी तो फिर से चमत्कार हुआ, तीनों कैमरों में सब कुछ आया, आचार्य श्री ससंघ आये, वहाँ उपस्थित जितने लोग थे सब आये... लेकिन वो सर्प किसी भी कैमरे में कहीं भी नही दिखा, बार बार रिपीट करके देखते रहे तीनों कैमरा वाले, पर वो कोई साधारण सर्प नही था वो तो देव थे जो आचार्य भगवन को सुनने उनके दर्शन करने सर्प का रूप रखकर धरती पर आये थे
ऐसे हैं मेरे गुरुवर जिनके दर्शन करने के लिये स्वर्ग से देवता भी किसी ना किसी रूप में आते रहते हैं
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#सम्यकत्व से रिक्त व्यक्ति चलता-फिरता शव है
चार पर विजय प्राप्त करो- १. इंद्रियों पर २. मन पर ३. वाणी पर ४. शरीर पर
- आचार्य श्री विद्यासागर जी
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