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⊱✿ #NamokaraMantra Fundamental #JainPrayer - णमो अरिहंताणं,णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णमो उव्ज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं | एसो पञ्च णमोयारो, सव्वपावप्पणासणो! मंगलाणं च सव्वेसिं, पढ़मं हवई मंगलम!! ✿⊰
अरहंत तथा सिद्ध आराध्य है! आचार्य, उपाध्याय तथा साधु आराधक है! दर्शन, ज्ञान, चारित्र आराधनाये होती है! #णमोकारमंत्र में 35 अक्षर, 58 मात्राए, 5 पद होते है, यह मूलमंत्र "प्राकृत" भाषा में है, ये मंत्र अनादी निधन है इस युग की अपेक्षा से सर्वप्रथम "षटखंडागम" ग्रन्थ में लिखा हुआ मिलता है इस ग्रन्थ की रचना आचार्य भुतबलि तथा आचार्य पुष्पदंत ने लगभग 2,000 वर्ष पूर्व की थी!
मंत्र शक्ति 8 प्रकार की होती है, कुछ मंत्रो में 1 शक्ति होती है, कुछ मंत्रो में 2 शक्ति होती है, लेकिन "णमोकार मंत्र" ऐसा दुर्लभ मंत्र है जिसमें आठो शक्ति निहित है, आकर्षण शक्ति, वशीकरण शक्ति, उच्चाटन शक्ति, विदुएश्न शक्ति, स्तंबन शक्ति, सम्मोहन शक्ति, तोषण पोषण शक्ति, मारण शक्ति! देवो के संपत्ति को आकर्षित करने से आकर्षण शक्ति, मोक्ष लक्ष्मी को वश करने से वशीकरण शक्ति, चारो गति के विपत्ति से बचाने से उच्चाटन शक्ति, आत्मा तथा कर्म में द्वेष उत्पन्न कराने से विदुएश्न शक्ति, दुर्गति में पड़ने से रोकने के कारण स्तंबन शक्ति, मोह तो ही भुलावे में डाल देने से सम्मोहन शक्ति, दर्शन ज्ञान चारित्र का पोषण करने से तोषण पोषण शक्ति, विभाव को मारने से मारण शक्ति! 84000 मंत्र मिलकर णमोकार मंत्र का कार्य नहीं कर सकते! णमोकार मंत्र अकेला सब मंत्रो के कार्यो को करने में सफल होता है |
Namokar Mantra is the fundamental prayer in Jainism and can be recited at any time of the day. While praying by reciting this mantra, the devotee bows with respect to Arihantas, Siddhas, spiritual leaders (Acharyas), teachers (Upadyayas) and all the monks. This worship the virtues of all the supreme spiritual people instead of just worshipping one particular person. It is important to note that the Navakar Mantra does not mention the names of even Tirthankaras and Siddhas. At the time of recitation, a Jain devotee remembers their virtues and tries to emulate them. In this mantra Jains bow down to these supreme spiritual personalities, and therefore, it is also called Namokar or Namaskar (show of respect) Mantra.
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News in Hindi
जहाँ भगवान राम ने जिन मंदिर बनवाया था पद्मपुराण ग्रंथ के अनुसार ऐसे #रामटेक के #शांतिनाथ के श्री चरणों में शांति पथ प्रदर्शक #आचार्यविद्यासागर जी अपने 38 शिष्यों सहित विराजमान हैं यहाँ आचार्यश्री 5th बार चातुर्मास करेंगे 🙂🙂 #share
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महायतिराज आज अपने बालयति मुनिसंघ के साथ लगभग 180 किमी का लंबा पदविहार करके मात्र 9 दिन में आज नागपुर जिले के ऐतिहासिक व पौराणिक धर्मनगर रामटेक पधारे। रामटेक में पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से बालिका गुरुकुल प्रतिभास्थली खुला है जिसमें भारत भर की जैन-अजैन बालिकाएँ प्राचीन गुरुकुल पद्धति के अनुसार शिक्षा ग्रहण करती है,एवं पूज्य आचार्य श्री ने यहाँ पूर्व में वर्ष 1993,1994,2008 व 2013 में चातुर्मास भी किया है।गुरुवर्यश्री के ही निर्देशन से रामटेक में लाल पाषाण का भव्य जिनालय बना है।यही वह पावन भूमि है जहाँ आचार्य श्री ने 24 मुनि दीक्षाएँ व 2 आर्यिका दीक्षाएँ प्रदान की थी व 2013 में आचार्य श्री के शिष्य पूज्य सुधासागर जी महाराज ने 20 वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद गुरुदर्शन किए थे।
यह वही पवित्र भूमि है जहाँ चौथे काल में भगवान राम ने अपने चरण टिकाएँ थे फलतः रामटेक नाम से सार्थक हुई अब यहाँ की ऊर्जावान मूक माटी को चंदन सम महकाने पुनः गुरुवर पधारे है हम सब आशा करते है कि चार माह तक गुरु भगवंत की पदरज से यहाँ की मूक माटी भी चंदन सम बने व सदियों तक अपनी सौंधी सुंगध से जन-जन को अपनी ओर आकर्षित करे! #Ramtek
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