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आचार्य गुरु विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री ध्यान सागरजी महाराज के श्री मुख से रत्नकरण्ड श्रावकाचार स्वाध्याय
४-१०-१७ youtube पर प्रवचन सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे
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बाहुबली प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के पुत्र थे। अपने बड़े भाई भरत चक्रवर्ती से युद्ध के बाद वह मुनि बन गए। उन्होंने एक वर्ष तक कायोत्सर्ग मुद्रा में ध्यान किया। जिसके पश्चात् उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह केवली कहलाए। बाहुबली को गोम्मटेश भी कहा जाता है, जो गोम्मतेश्वर मूर्ति के कारण पड़ा। यह मूर्ति 57 फीट की है। यह मूर्ति श्रवणबेलगोला, कर्नाटक, भारत में स्थित है। इस मूर्ति का निर्माण चामुण्डराय ने करवाया है चामुण्डराय का घर का नाम ‘गोम्मट’ था। उनके इस नाम के कारण ही उनके द्वारा स्थापित बाहुबली मूर्ति का गोम्मटेश्वर नाम पड़ा है अर्थात् गोम्मटेश्वर का अभिप्राय है चामुण्डराय के देवता । इसी कारण इस विंध्यगिरि को भी ‘गोम्मट’ कहते हैं। इसी गोम्मट उपनामधारी चामुण्डराय के लिये श्री नेमिचन्द्राचार्य ने अपने रचित जीवकांड, कर्मकाण्ड ग्रंथों को भी ‘गोम्मटसार’ नाम दे दिया है। गोम्मटेश्वर भगवान् का अभिषेक प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल से होता हैं जो इस बार 17th to 25th February 2018 में होने जा रहा हैं 🙂 #BhagwanBahubali #Shravanbelgola
A festival which is held once every 12 years in the town of Shravanabelagola in Karnataka and the last was held in 2006. The 57 feet monolithic statue of Lord Bahubali is bathed and anointed by his Holiness under the leadership of Swasti Sri Charukeerthi Bhattarakha Swamiji of Shravanabelagola. The next Mahamastakabhisheka will take place between 17th to 25th February 2018 #Gomtheswar
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