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दिनांक 06/10/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 168* 📝
*दुरितनिकन्दन आचार्य दूर्बलिका पुष्यमित्र*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
आचार्य दुर्बलिका पुष्यमित्र शिष्यों को आगम वाचना देते। गोष्ठामाहिल उस में सम्मिलित ना होकर विंध्य द्वारा दी जाने वाली आगम वाचना में उपस्थित रहता और उनसे अर्थागम-वाचना ग्रहण करता। कर्म प्रवाद पूर्व की वाचना देते समय मुनि विंध्य ने कर्म बंध की बद्ध, स्पृष्ट और बद्ध-स्पृष्ठ इन तीनों अवस्थाओं का वर्णन किया तथा प्रकृति, स्थिति, अनुभाग, प्रदेश के बंध की व्यवस्था के साथ बंध, सत्ता, उदय, उदीरणा, उद्धर्तना, अपवर्तना, संक्रमण, उपशम, निधत्ति, निकाचना इन कर्म की दस अवस्थाओं का एवं भेद-प्रभेदों का विभिन्न प्रकार से बोध दिया।
मोहकर्म की प्रबलता एवं उग्र अहंकार के कारण गोष्ठामाहिल में मिथ्या अभिनिवेश उत्पन्न हुआ। वह कर्म बंधन की प्रक्रिया को पढ़ते समय उलझ गया। गोष्ठामाहिल का अभिमत था– आत्म प्रदेशों के साथ कर्म का स्पृष्ट अवस्था का ही बंध होता है। बद्ध और बद्ध-स्पृष्ट जैसा सघन बंध (कर्म प्रदेशों का आत्म प्रदेशों के साथ एकीभूत हो जाना) कभी नहीं होता।
प्रशिक्षण जागरूक, निष्पक्ष, निराग्रही, पापभीरु, आचार्य दुर्बलिका पुष्यमित्र ने नाना प्रकार से समझाने का प्रयत्न किया, पर पूर्वाग्रह ग्रस्त गोष्ठामाहिल ने अपना मत नहीं बदला।
इक्षु में रस, तिल में तेल, पय में नवनीत की भांति कर्म की आत्म प्रदेशों के साथ बद्ध अवस्था को स्वीकार नहीं करने के कारण गोष्ठामाहिल द्वारा वीर निर्वाण 584 (विक्रम संवत 114, ईस्वी सन् 57) में अबद्धिक मत की स्थापना हुई। जैन परंपरा में गोष्ठामाहिल सातवां निह्नव माना गया। उसका समय जैन इतिहास में वीर निर्वाण 609 के पश्चात स्वीकृत है। 'विचार श्रेणी' युगप्रधान पट्टावली के अनुसार दुर्बलिका पुष्यमित्र का आचार्यकाल वीर निर्वाण 597 से प्रारंभ होता है। आचार्य दुर्बलिका पुष्यमित्र के शासनकाल के प्रारंभ के समय गोष्ठामाहिल द्वारा अबद्धिक मत की स्थापना हुई, अतः वल्लभी युगप्रधान पट्टावली के आधार पर अबद्धिक मत की स्थापना का समय 584 मानना भी विमर्शनीय है तथा दुर्बलिका पुष्यमित्र के शासनकाल को लक्षित कर वीर निर्वाण 597 मानना भी अनुसंधान मांगता है।
आचार्य दुर्बलिका पुष्यमित्र के जीवन में ज्ञान, दर्शन, चरित्र तीनों का संगम था। उनके अध्यात्म जीवन की सफलता का प्रमुख निमित्त उनकी ध्यान साधना थी। बौद्ध उपासकों को भी आचार्य दुर्बल का पुष्यमित्र की साधना से अंतःतोष प्राप्त हुआ। जैन शासन की आचार्य परंपरा में आचार्य दुर्बलिका पुष्यमित्र विशिष्ट ध्यान योगी के रूप में विश्रुत हैं।
*समय-संकेत*
आचार्य दुर्बलिका पुष्यमित्र लगभग 17 वर्षों तक गृहस्थ जीवन में रहे। संयम पर्याय के 50 वर्षीय काल में 20 वर्ष तक उन्होंने आचार्य पद के दायित्व का कुशलतापूर्वक वहन किया। विशिष्ट ध्यान साधना से आत्मा को भावित करते हुए वीर निर्वाण 617 (विक्रम संवत 147, ईस्वी सन 90) में वे स्वर्ग संपदा के स्वामी बने।
*आचार्य-काल*
(वीर निर्वाण 597-617)
(विक्रम संवत 127-147)
(ईस्वी सन् 70-90)
*विवेक-दर्पण आचार्य वज्रसेन का प्रभावक चरित्र* पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
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सुनें, गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली के डॉ अरविंद कुमार (ManagingTrustee, Lung Care Foundation) का दीपावली संदेश ~
1. पटाखों को कहें "ना"
2. पर्यावरण-अनुकूल सजावट ही करें
3. सड़कों पर कचरा न फैलाएं
4. अवशिष्ट कूड़ा-कचरा न जलाएं
*अणुव्रत सोशल मीडिया*
प्रसारक - 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
*Eco Friendly Campaign,*
A Step towards eliminating pollution में आपलोगो ने जिस उत्साह से प्रदूषण मुक्त दीवाली की ऑनलाइन प्लेज भरी है, उस उत्साह को बरकरार रखें और ज़्यादा से ज़्यादा लोंगो को प्रामाणिकता के साथ भरवाने का लक्ष्य रखें।
✳Eco friendly दीवाली का *task number 2*----
आज हम *Eco Friendly Campaign* के तहत
*3 पोस्टर लांच कर रहे है*। आप सबसे अनुरोध है की इसका व्यापक रूप से प्रचार प्रसार हो -----👇🏼
✴ यह पोस्टर प्रशासनिक अधिकारियों को भेंट दिया जाए एवं प्रशासनिक जगहों पर लगाने की परमिशन लेकर वहां लगाया जाए।
✴तेरापंथ भवन, ज्ञानशाला स्थल, स्कूल, कॉलेज,सोसाइटी, सुपरमार्केट, बच्चो के अस्पताल या क्लिनिक, ट्यूशन सेन्टर, आइस-क्रीम पार्लर,गेम पार्लर इत्यादि जगहों पर लगाने प्रयास करें।
✴ आप A3 साइज के कागज़ पर कलर प्रिंटआउट ले सकती है,
Know your Crackers पोस्टर को A1 साइज में प्रिंट करवाये।
इस हेतु फ्लेक्स के बैनर का प्रयोग निषेध है।
✴ पोस्टर आपको
www.abtmm.org वेबसाइट पर पब्लिकेशन सेक्शन में, पोस्टर & बैनर में उपलब्ध होगा।
*Clean India Green India*
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