Update
👉 चैन्नई:-
🔹पर्यावरण सुरक्षा के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन
🔹 पटाखे मुक्त दीवाली अभियान
🔹 नशा मुक्ति कार्यक्रम का आयोजन
👉 सादुलपुर - "आतिशबाजी को कहे ना विषय" पर कार्यशाला का आयोजन
👉 जयपुर - स्कूली बच्चों को प्रदूषण मुक्त दीवली मनाने हेतु प्रोत्साहित
प्रस्तुति - तेरापंथ🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Update
*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *महाश्रमण विहार हुआ गुलजार, बाह्य प्रवास के बाद लौटे महातपस्वी महाश्रमण*
👉 *-पंच महाव्रत और अणुव्रत का आचार्यश्री ने किया सूक्ष्म विवेचन*
👉 *-आचार्यश्री ने ‘तेरापंथ प्रबोध’ आख्यान का सरसशैली में किया वर्णन*
👉 *-आचार्यश्री की सन्निधि में पहुंचे आरएसएस के पूर्व प्रचारक व विद्या भारती के राष्ट्रीय महासचिव*
👉 *-आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में प्रदान किए गए ‘प्रेक्षा गौरव’ व ‘जीवन-विज्ञान सेवी’ सहित अन्य सम्मान*
दिनांक - 07-10-2017
प्रस्तुति -🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 169* 📝
*विवेक-दर्पण आचार्य वज्रसेन*
श्वेतांबर परंपरा में वज्रसेन अपने युग के प्रभावी आचार्य थे। युगप्रधान आचार्यों में उनकी गणना है। वज्रसेन को सोपारक नगर के श्रेष्ठी जिनदत्त और उनके परिवार को प्रतिबोध देने का श्रेय है। सवा सौ वर्ष की वृद्धावस्था में आचार्य पद को अलंकृत करने वाले आचार्य वज्रसेन वीर निर्वाण की उत्तरवर्ती आचार्य परंपरा में सर्वप्रथम हैं।
*गुरु-परंपरा*
वज्रसेन की वज्रस्वामी द्वारा गणाचार्य पद पर नियुक्ति हुई। वज्रस्वामी वज्रसेन के दीक्षा गुरु नहीं थे। प्रभावक चरित्र आदि ग्रंथों में वज्रसेन के दीक्षा गुरु का उल्लेख नहीं है पर वज्रस्वामी से वय ज्येष्ठ और चरित्र पर्याय ज्येष्ठ होने के कारण वज्रसेन के दीक्षा गुरु संभवतः गणाचार्य सिंहगिरि हैं। आचार्य सिंहगिरि आचार्य सुहस्ती की कोटिकगण की शाखा के थे। वज्रस्वामी के दीक्षा गुरु भी आचार्य सिंहगिरि ही थे।
युगप्रधानाचार्य क्रम में आचार्य वज्रस्वामी के बाद आर्यरक्षित, आर्यरक्षित के बाद दुर्बलिका पुष्यमित्र, दुर्बलिका पुष्यमित्र के बाद वज्रसेन का क्रम है।
वज्रसेन के चार प्रमुख शिष्य थे *1,* नागेन्द्र, *2.* निवृत्ति, *3.* चंद्र और *4.* विद्याधर। इन चार शिष्यों से क्रमशः नागेंद्र कुल, निवृत्ति कुल, चंद्र कुल और विद्याधर कुल का उद्भव हुआ। प्रत्येक कुल में उत्तरोत्तर अनेक प्रभावक आचार्य हुए। वज्रस्वामी की गण परंपरा आर्य रक्षित से आगे बढ़ती है। वज्रसेन के शिष्यों द्वारा प्रवर्तित चारों गच्छ प्रभावक चरित्र ग्रंथ की रचना के समय विद्यमान थे।
*जीवन-वृत्त*
आचार्य वज्रसेन का जन्म वीर निर्वाण 492 (विक्रम संवत 22, ईसवी पूर्व 35) में हुआ था। उम्र का एक दशक की पूर्ण नहीं हो पाया, वे त्याग के कुलिश-कठोर पथ पर बढ़ने को उत्सुक हुए। पूर्ण वैराग्य के साथ वीर निर्वाण 501 (विक्रम संवत 31, ईसवी पूर्व 26) में उन्होंने मुनि जीवन में प्रवेश किया। आगमों का गंभीर अध्ययन कर के जैन दर्शन के विशिष्ट ज्ञाता बने।
उत्तर भारत उनका प्रमुख विहार क्षेत्र था। वीर निर्वाण की छठी शताब्दी का उत्तरार्द्ध भीषण संकट का समय था। द्वादशवर्षीय दुष्काल की काली छाया से पूरा उत्तर भारत भयंकर रुप से आक्रांत था। यह समय वीर निर्वाण 580 (विक्रम संवत 110, ईस्वी सन् 53) से वीर निर्वाण 592 (विक्रम संवत 122, ईस्वी सन् 65) तक था। इस समय लब्धिधर विलक्षण वाग्मी एवं संघ की नौका को कुशलतापूर्वक वहन करने वाले आचार्य वज्रस्वामी वृद्धावस्था में थे। जीवन के संध्याकाल में वे पांच सौ मुनियों सहित अनशनार्थ रथावर्त पर्वत पर जाने की तैयारी में लगे थे। उस समय वज्रसेन आचार्य वज्रस्वामी के साथ ही थे। दीर्घायु होने के कारण वज्रसेन गण परंपरा एवं युगप्रधान के दायित्व को वहन करने में समर्थ हैं यह सोच वज्रस्वामी ने वीर निर्वाण 548 (विक्रम संवत 114, ईस्वी सन् 57) में वज्रसेन को गणनायक बनाकर कुंकुण देश में विहरण करने का आदेश दिया।
अनशन की स्थिति में आचार्य भद्रगुप्त ने वज्रस्वामी के पास जाते हुए आर्यरक्षित को कहा था जो भी व्यक्ति वज्रस्वामी की मंडली में भोजन ग्रहण करेगा और उनके पास रात्रिशयन करेगा वह उन्हीं के साथ स्वर्गवासी होगा, पर वज्रसेन के साथ यह नियम लागू नहीं हुआ, क्योंकि वज्रसेन आचार्य वज्रस्वामी से उम्र और चरित्र पर्याय दोनों में ज्येष्ठ थे।
*वज्रसेन ग्रामानुग्राम विहरण करते हुए कुंकुण देश पहुंचे। वहां के एक विशेष घटना प्रसंग* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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👉 चेम्बूर, मुम्बई - उन्नयन कार्यशाला का आयोजन
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👉 राजारहाट, कोलकाता से..
👉 जीवन विज्ञान सेमिनार - तृतीय दिवस
👉 सान्निध्य: आचार्य श्री महाश्रमण
👉 'प्रेरणा' सत्र
👉 मुख्य अतिथि श्री अवनीश जी भटनागर ने अपने विचार रखे..
👉 जीवन विज्ञान अकादमी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौतम कुमार सेठिया, राष्ट्रीय संयोजक श्री राकेश खटेड, संगठन मंत्री श्री भरत मरलेचा के साथ देश विदेश के संभागियों की संभागिता रही..
👉 पूज्य गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
दिनांक: 07/10/2017
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👉 अहमदाबाद - जैन जीवन शैली कार्यशाला
👉 अहमदाबाद - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
👉 सवाईमाधोपुर - आचार्य महाश्रमण कन्या सुरक्षा सर्किल का उद्घाटन
👉 सूरत - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
👉 विजयनगर (बेंगलोर) - जैन संस्कार विधि से गृह प्रवेश
👉 सादुलपुर - अणुव्रत आचार संहिता पर एक कार्यशाला का आयोजन
👉 राजरहाट D AND POSTURE AWARENESS कार्यशाला
👉 *कालू - शासन श्री साध्वी बिदामां जी के 100 वें वर्ष में प्रवेश के उपलक्ष में त्रिदिवसीय आध्यात्मिक समारोह के प्रथम दिवस पर दीर्घायु का रहस्य व शिक्षक संगोष्ठी आयोजित*
👉 औरंगाबाद - महिला मंडल द्वारा विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
👉 पूज्य प्रवर का प्रवास स्थल -"राजरहाट", कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..
दिनांक - 07/10/2017
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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *दृढ़ संकल्पी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ब्रह्म मुहूर्त में किया मंगल प्रवचन*
👉 *-मानवता का कल्याण को निकले महातपस्वी आचार्यश्री ने एक और नया इतिहास किया उद्घाटित*
👉 *-ब्रह्म मुहूर्त में देवगति प्राप्ति के मार्ग को आचार्यश्री ने किया प्रशस्त*
👉 *-आह्लादित थे श्रद्धालु, अपने गुरु की दृढ़ संकल्प के आगे थे प्रणत*
👉 *-प्रवचन के उपरान्त निर्धारित समय पर आचार्यश्री ने किया चतुर्मास प्रवास स्थल से प्रस्थान*
दिनांक - 06-10-2017
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
👉 *विषय - प्राण ऊर्जा का संवर्धन भाग 3*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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