Update
👉 सादुलपुर - आतिशबाजी को कहे ना विषय पर कार्यशाला का आयोजन
👉 कोयम्बत्तूर - टी. पी. एफ. द्वारा मेधावी छात्र प्रोत्साहन समारोह आयोजित
👉 कांटाबांजी - प्रदूषण रहित सुरक्षित दीपावली मनाने का अभियान
👉 राजाजीनगर (बेंगलोर) - जैन संस्कार विधि से दीपावली पूजन कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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Update
*पूज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *परकल्याण को समर्पित महातपस्वी आचार्यश्री ने सेवा का बताया महत्त्व*
👉 *-आगम में वर्णित सेवा के महत्त्व को आचार्यश्री ने बताया विशेष महत्त्व*
👉 *-अहो भाव से सेवा कर आदमी महानिर्जरा को कर सकता है प्राप्त*
👉 *-आचार्यश्री ने साधु-साध्वियों को भी सेवा के प्रति सजग रहने की दी पावन प्रेरणा*
👉 *-‘तेरापंथ प्रबोध’ आख्यान में आचार्यश्री ने आचार्यश्री माणकगणी के काल का किया वर्णन*
दिनांक - 11-10-17
प्रस्तुति -🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
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👉 हिरियूर: तेयुप द्वारा "जैन संस्कार विधि" से दीपावली पूजन कार्यशाला का आयोजन
👉 वापी - अभातेमम अध्यक्षा कुमुद कच्छारा की संगठन यात्रा, कार्यशाला व वंदनवार प्रतियोगिता का आयोजन
👉 फरीदाबाद - जैन जीवन शैली कार्यशाला, बंदनवार प्रतियोगिता व सामूहिक क्षमायाचना का आयोजन
👉 रायपुर - सुदीर्घ जीवी साध्वी बिदामां जी का वर्धापन कार्यक्रम
👉 पचपदरा - जैन संस्कार विधि कार्यशाला का आयोजन
👉 मंडया (कर्नाटक) - एक कदम प्रगति की ओर
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
👉 पूज्य प्रवर का प्रवास स्थल -"राजरहाट", कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..
दिनांक - 11/10/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 172* 📝
*आलोक कुटीर आचार्य अर्हद्बलि*
*समय-संकेत*
आचार्य अर्हद्बलि का समय नंदी संघ की प्राकृत पट्टावलि में प्राप्त उल्लेखानुसार वीर निर्वाण 565 (विक्रम संवत 95) में शुरू होता है। इसी पट्टावलि में अर्हद्बलि का काल 28 वर्ष माना गया है। आचार्य अर्हद्बलि के अनन्तर होने वाले आचार्य माघनंदी का समय वीर निर्वाण 593 के पश्चात प्रारंभ होता है। अतः नंदी संघ की पट्टावलि के आधार पर आचार्य अर्हद्बलि का समय वीर निर्वाण 565 से 593 (विक्रम संवत 95 से 123 तक का है।
जिनसेन का हरिवंश पुराण, धवला, जय धवला, उत्तर पुराण, तिलोयपण्णत्ती, जम्बूद्वीपपण्णत्ती, इंद्रनंदी-श्रुतावतार इन सभी पट्टावलियों में अर्हद्बलि से लगभग 100 वर्ष पहले हुए अंतिम आचारांगधर लोहाचार्य का समय वीर निर्वाण 683 बताया है। लोहाचार्य का यह समय नंदी संघ की पट्टावली के अतिरिक्त अन्य सभी दिगंबर संघ की पट्टावलियों से समर्थित है। इंद्रनंदी-श्रुतावतार और हरिवंशपुराण के अतिरिक्त अन्य पट्टावलियों में लोहाचार्य के बाद की पट्ट-परंपरा का उल्लेख नहीं है।
नंदी संघ की पट्टावली में लोहाचार्य का समय वीर निर्वाण 565 तक माना है। जिनसेन की हरीवंशपुराण तिलोयपण्णत्ति आदि दिगंबर ग्रंथों की पट्टावलियों में प्राप्त एवं नंदी संघ की पट्टावली में प्राप्त लोहाचार्य की काल संबंधी मान्यता में 118 वर्ष का अंतराल है। इंद्रनंदी-श्रुतावतार में लौहाचार्य के बाद विनयदत, श्रीदत्त, शिवदत्त, अर्हद्दत्त और उसके बाद अर्हद्बलि आचार्य का क्रम है। हरिवंशपुराण में भी नामांतर भेद के साथ इन चार आचार्यों का उल्लेख है। उसके बाद आचार्य अर्हद्बलि का क्रम है। इन चारों आचार्यों में से प्रत्येक आचार्य का 20 वर्ष का काल अनुमानित कर आचार्य अर्हद्बलि का समय वीर निर्वाण 763 से 783 तक मान्य किया है। नंदी संघ की पट्टावली के अनुसार अर्हद्बलि का समय वीर निर्वाण 565 से 593 है। अतः अर्हद्बलि की काल संबंधी दोनों मान्यताओं में 190 वर्ष का अंतराल है।
दिगंबर परंपरा में 'तिलोयपण्णत्ती' ग्रंथ को प्रामाणिक ग्रंथ माना है।
इस ग्रंथ में वीर निर्वाण के बाद केवली काल से लोहाचार्य तक की काल गणना का क्रम इस प्रकार है—
वीर निर्वाणोत्तर काल में 3 केवली, 5 श्रुतधर, 11 दशपूर्वधर, 4 एकदशांगधर, 4 आचारांगधर मुनि हुए हैं।
केवली काल 62 वर्ष अथवा 64 वर्ष
श्रुतधर काल 100 वर्ष
दशपूर्वधर काल 183 वर्ष
एकदशांगधर काल 220 वर्ष
आचारांगधर काल 118 वर्ष
इनका कुल योग 683 वर्ष है।
अंतिम आचारंगधर लोहाचार्य हुए हैं। नंदी संघ की पट्टावली के अतिरिक्त सभी दिगंबर परंपरा की पट्टावलियों की काल गणना का क्रम यही है। अतः नंदी पट्टावली में लोहाचार्य का काल वीर निर्वाण 565 तक एवं अर्हद्बलि का काल वीर निर्वाण 565 से 593 तक की मान्यता अन्य दिगम्बर पट्टावलियों से समर्थित नहीं है।
*गौरवशाली आचार्य गुणधर के प्रभावक चरित्र* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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