Update
*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *आश्रवों को रोकने प्रयास है अध्यात्म की साधना: आचार्यश्री महाश्रमण*
👉 *-आश्रवों को रोक आत्मा को निर्मल बना कर आत्मा का कल्याण करने का आचार्यश्री ने बताया मार्ग*
👉 *-तृतीय न्यायाधीश व अधिवक्ता अधिवेशन आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में टीपीएफ द्वारा आयोजित*
👉 *-आचार्यश्री ने अधिवक्ताओं व न्यायाधीशों को दिया आशीष, कार्यों में सत्यता-निष्ठा को बनाए रखने की दी प्रेरणा*
👉 *-अधिवेशन के मुख्य अतिथि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पहुंचे पूज्य सन्निधि में*
👉 *-आचार्यश्री के समक्ष दी भावाभिव्यक्ति, आचार्यश्री से प्राप्त किया मंगल आशीर्वाद*
दिनांक - 14-10-17
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
Source: © Facebook
अक्टूबर माह का प्रकल्प -
*आतिशबाजी को कहे ना*
👉 निवेदन इस दीपावली पर *आतिशबाजी को कहे ना* का अभियान चलाकर प्रदूषण मुक्त दीवाली मनाने में सहयोग करे। सभी संस्थाओ, समितियो से अनुरोध है कि वह इस अभियान में सहभागी बने।
👉 अभियान के अंतर्गत जो भी समिति/संस्था *आतिशबाजी को कहे ना* का बेनर बनवाकर अपने नाम से प्रसारित करना चाहे तो उसकी CDR फ़ाइल अणुव्रत महासमिति कार्यालय से ईमेल द्वारा मंगवा सकते है।
ईमेल - [email protected]
सम्पर्क सूत्र - 011-23233345, 23239963
प्रस्तुति - *अणुव्रत सोशल मीडिया*
प्रसारक -🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
*अतिशबाजी को कहे ना*
अणुव्रत महासमिति द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी *अतिशबाजी को कहे ना* अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है। सलंग्न लिंक को आप अधिक से अधिक प्रसारित करे और इस अभियान में सहभागी बने।
📍 *क्या आप पर्यावरण सुरक्षा में अपना योगदान देना चाहते है?*
📍 *क्या आपने यह फॉर्म भरा?*
📍 *स्वयं भी भरे । पारिवारिकजन व मित्रों से भी भरवाए।*
📍 *आप द्वारा दिया हुआ 2 मिनट का समय पर्यावरण सुरक्षा में अति महत्वपूर्ण हो सकता है।*
📍 *आइये इस पुनीत कार्य मे सहभागी बने व बनाये।*
http://anuvratmahasamiti.com/Diwali.aspx
*ऊपर दिये गए लिंक को ओपन करे एवं उसमे दिये हुए फॉर्म को ऑनलाइन भरकर भेजे। एवं प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने व पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान करे।*
प्रस्तुति - *अणुव्रत महासमिति*
प्रसारक - तेरापंथ *संघ संवाद*
Update
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 175* 📝
*धैर्यधन आचार्य धरसेन*
दिगंबर परंपरा के आचार्य धरसेन अष्टांग निमित्त के पारगामी विद्वान थे। उन्हें अंग और पूर्वों का एकदेशीय ज्ञान परंपरा से प्राप्त था। आग्रायणी पूर्व की पञ्चम वस्तु के अंतर्गत 'महाकम्मपयडी' नामक चतुर्थ प्राभृत का उन्हें विशिष्ट ज्ञान था। मंत्र-तंत्र शास्त्रों पर उनका आधिपत्य था। षट्खण्डागम का संपूर्ण विषय उनके द्वारा सम्यक् प्रकार से गृहीत था।
*गुरु-परंपरा*
आचार्य धरसेन की गुरु-परंपरा स्पष्ट नहीं है। नंदी संघ की प्राकृत पट्टावली में अर्हद्बलि, माघनंदी धरसेन, पुष्पदंत, भूतबलि का नाम क्रम से है। इंद्रनंदी के श्रुतावतार में भी अर्हद्बलि, माघनंदी, और धरसेन का उल्लेख है। इन दोनों ग्रंथों के आधार पर आचार्य धरसेन के गुरु माघनंदी और माघनंदी के गुरु अर्हद्बलि होने की संभावना है।
*जीवन-वृत्त*
आचार्य धरसेन सौराष्ट्र के गिरिनगर की चंद्र गुफा में निवास करते थे। वे लेखन कला में प्रवीण थे। प्रवचन एवं प्रशिक्षण देने की उनकी शैली विलक्षण थी। ज्ञान-दान में उनका हृदय उधार था और चिंतन दूरगामी था। श्रुत की धारा को अविच्छिन्न रखने के लिए उन्होंने महिमा महोत्सव में (आंध्र प्रदेश, वेणानदी के तट का पार्श्ववर्ती स्थान) एकत्रित दक्षिणापथ विहारी आचार्य महासेन प्रमुख श्रमणों के पास एक पत्र भेजा। इस पत्र के द्वारा उन्होंने प्रतिभा-संपन्न मुनियों की मांग की।
श्रमणों ने धरसेन द्वारा प्रेषित पत्र पर गंभीरता से चिंतन किया और मुनि परिवार से चुन कर दो मेधावी मुनियों को उनके पास भेजा। दोनों श्रमण विनयवान, शीलवान, जातिसंपन्न, कुलसंपन्न एवं कलासंपन्न थे। आगमार्थ को ग्रहण और धारण करने में समर्थ थे और वे आचार्य से तीन बार पूछकर आज्ञा लेने वाले थे।
टीकाकार वीरसेन के शब्दों में यह प्रसंग निम्नोक्त प्रकार से उल्लिखित है—
*"तेण वि सोरट्ठ-विसयगिरिणयरपट्टणचंदगुहाठिएण अट्ठंग महाणिमित्त पारएण गन्थवोच्छेदो होहदित्ति जादभएण पवयणवच्छलेण दक्खिणावहाइरियाणं महिमाए मिलियाणं लेहो पेसिदो। लेहट्ठिय धरसेण वयणमवधारिय ते हि वि आइरिएहि वे साहू गहणधारण समत्था धवलामलबहुविह विणयविहूसियंगा सीलमालाहरा गुरुपेसणासणतित्ता देसकुलजाइसुद्धा सयलकलापारयात्तिक्खुत्ता बुच्छियाइरिया अन्धविसयवेण्णायणादो पेसिदा।*
जब दोनों श्रमण वेणानदी के तट से धरसेन आचार्य के पास जाने के लिए प्रस्थित हुए उस समय पश्चिम दिशा में आचार्य धरसेन ने स्वप्न देखा जिसमें दो धवल कर्ण ऋषभ उनके पास आए और प्रदक्षिणा देकर उनके चरणों में बैठ गए। इस स्वप्न से आचार्य धरसेन को प्रसन्नता हुई। उत्तम पुरुषों के स्वप्न सत्य फलित होते हैं। आचार्य धरसेन का स्वप्न भी फलवान बना। दोनों श्रमण ज्ञान ग्रहण करने के लिए उनके पास आए।
*क्या दोनों श्रमण आचार्य धरसेन से ज्ञान ग्रहण करने में सफल हुए...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
👉 *विषय - प्राण ऊर्जा और संवर्धन भाग 5*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
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