Jeevan Vigyan Academy
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‘‘क्रोध के उपाय - ध्वनि व ध्यान के प्रयोग’’
- मुनि किषनलाल
आचार्यश्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती ‘षासनश्री’ प्रेक्षाप्राध्यापक मुनिश्री किषनलाल ने तेरापंथ धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा - क्रोध को छोटा भाई अहंकार है। भगवान महावीर के जीवन चरित्र से वृतांत सुनाते हुए बताया कि भगवान ने कितने कष्ट उठाए? उनके पैरों को चुल्हा बनाकर खीर बनाई कानों में कीलें ठोक दी परन्तु फिर भी उन्होंने न तो क्रोध किया न अहंकार। क्रोध करने वाले का आयुष्य छोटा हो जाता है। उसे कोई साथी नहीं मिलता व क्रोधी व्यक्ति की भूख तक मर जाती है। क्रोध को निंयत्रित करने के लिए क्रोध के हारमोन्स को काबु में रखे ऐसा महाप्राण ध्वनिक व ‘ऊँ व अर्हम’ की ध्वनि के अभ्यास से संभव है। तत्काल गुस्सा शांत करने के लिए जिह्वा को उलटकर तालु से लगा दें। दीर्घ श्वास प्रेक्षा का अभ्यास से दीर्घकालीन प्रभाव हो सकता है। क्रोधी व्यक्ति को लगातार मस्तिष्क में फीड करने रहना चाहिए कि ‘मुझे हर परिस्थिति में शांत रहना है’ मस्तिष्क के न्यूरोन को स्वतः सूचना से भावित करते रहना चाहिए। क्रोध, मान, मया व लोभ चार प्रकार के कषाय पूर्नजन्म को सीचिंत करने वाले हैं, इसलिए व्यक्ति जीवन मृत्यु के चक्र में फंसा रहता है। लोभ, लालच व काम वासना के लिए गोनाज़ ग्रन्थि जिम्मेवार है उस ग्रन्थि पर ध्यान कर उसके श्रावों में बदलाव लाया जा सकता है। अतः क्रोध विजय के उपायों का अभ्यास दैनिक चर्या का भाग होना चाहिए।
इस अवसर पर अनेकों श्रद्धालुओं के मध्य सभा अध्यक्ष श्री दर्षन कुमार जैन, प्रेक्षा प्रषिक्षक श्री लाजपतराय जैन, पूर्व अध्यक्ष श्री धनराज जैन, श्री डालचन्द जैन, श्री अषोक जैन, महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती सरोज जैन, शारदा आदि के अलावा सुरत, मुंबई से मुनि निकुंजकुमारजी के नातिजन भी विषेष रूप से उपस्थित रहे।
English by Google Translate:
"Anger of anger - the use of sound and meditation"
- Muni Kishan Lal
Speaking at the Teerapanth Shishak Sabha, Munshi Kishan Lal, the observer of 'Acharyashree Mahasaman', 'Prashansanree' observer, said, 'anger is a small brother ego. Describing the story of Lord Mahavira's life character, how many troubles God has raised? He made his feet cheeky and put the kernels in the muffled ear, but still he did not get angry or ego. The life of an angry person gets shortened. He does not find any companions and dies till the hungry person's hunger. In order to control anger, it is possible for the aspirant to keep the hormones of anger in Kabu, through the practice of acoustic and 'oh and arham'. To calm immediate anger, turn the tongue into the palate. Long-breath exposure can have long-term effects. The angry person should be constantly feeding in the brain that 'I have to stay calm under all circumstances' should keep breathing information with the brain neuron itself. Wrath, pride, greed and covetousness are four kinds of kashayas, who are going to make the reflection, so the person is trapped in the cycle of death. The gonad granthi is responsible for greed, greed and lust for the lust that can be brought about by changing its shawls. Therefore, the practice of the measures of anger victory should be a part of daily activities.
On this occasion, several meetings between Shri Dilshan Kumar Jain, Assembly Speaker Shri Lajpat Rai Jain, Former President Mr. Dhanraj Jain, Shri Dalchand Jain, Shri Ashok Jain, Women Chartered President Mrs. Saroj Jain, Sharda etc. besides Surat, Muni from Mumbai Nikunjkumarji's nerves were also present very specially.
- Ashok Seoul: ($ 91-9891752908)