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2017 #चतुर्मास की अंतिम #हाजरी, #महातपस्वी ने प्रदान किया विशेष प्रेरणा पाथेय
-आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित समस्त #साधु_साध्वियों और समणियों ने निष्ठा संकल्पों को दोहाराया
-आचार्यश्री ने पंच प्रकार के ज्ञान का किया वर्णन, श्रुत ज्ञान को निरंतर बढ़ाने की दी पावन प्रेरणा
-#शासनश्री साध्वी शुभवतीजी की संक्षिप्त स्मृति सभा भी पूज्य सन्निधि में हुई आयोजित
03.11.2017 राजरहाट, #कोलकाता (पश्चिम बंगाल):- कोलकाता के राजरहाट में स्थित महाश्रमण विहार के अध्यात्म समवसरण में शुक्रवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता #आचार्य_श्री_महाश्रमण जी की मंगल सन्निधि में श्रद्धालुओं की उपस्थिति के साथ ही समस्त गुरुकुलवासी समस्त साधु-साध्वियों और समणियों की भी पूर्ण उपस्थिति थी। अवसर था इस वर्ष के चतुर्मास काल की अंतिम चतुर्दशी अर्थात हाजरी वाचन का। गुरुकुलवासी समस्त चारित्रात्माओं सहित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपने श्रीमुख से पावन प्रेरणा प्रदान कर अपने श्रुतज्ञान को निरंतर बढ़ाने की पावन प्रेरणा प्रदान की तो वहीं हाजरी पत्र का वाचन कर चारित्रात्माओं को अपने कत्र्तव्यों के अनुपालन के प्रति जागरूक रहने का बोध भी कराया। उपस्थित समस्त चारित्रात्माओं ने एक साथ लेखपत्र का उच्चारण कर अपने निष्ठा के संकल्पों को दोहराया और उनके अनुपालन के लिए मनोबल को मजबूत भी किया।
शुक्रवार को जब आचार्यश्री नित्य के मंगल प्रवचन हेतु अध्यात्म समवसरण में मंचासीन हुए तो उनके आसपास उपस्थित समस्त गुरुकुलवासी साधु-साध्वी और समणीवृंद समाज एक देदीप्यमान महासूर्य की रश्मियों की भांति प्रतीत हो रहे थे। अवसर भी वर्ष 2017 के चतुर्मास काल की अंतिम हाजरी वाचन की तिथि चतुर्दशी का। ऐसे में एक साथ समस्त चारित्रात्माओं के दर्शन प्राप्त कर समस्त श्रद्धालु भी हर्षाभिभूत नजर आ रहे थे।
इस अवसर पर आचार्यश्री ने अपनी मंगलवाणी से पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए ‘ठाणं’ आगम की वाणी संप्रसारित करते हुए कहा कि ज्ञान एक शाश्वत चीज है। दुनिया में ऐसा कोई जीव नहीं, जिसमें कुछ अंशों में बोधात्मक ज्ञान का प्रकाश न हो। ज्ञान एक स्वभाविक चीज है। ज्ञान के द्वारा जड़-चेतन का भेद निर्धारित हो सकता है। आचार्यश्री ने ‘ठाणं’ आगम में वर्णित पांच प्रकार के ज्ञान मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान, अवधि ज्ञान, मनः पर्ययव ज्ञान और केवल ज्ञान का वर्णन करते हुए कहा कि इनमें प्रथम दो ज्ञान तो इन्द्रियों द्वारा प्राप्त होने वाले ज्ञान और शेष तीन ज्ञान जीव के भीतर से स्वतः प्राप्त होने वाले ज्ञान होते हैं। इनमें केवल ज्ञान को सभी ज्ञानों में शिरोमणी ज्ञान कहा जाता है। इस ज्ञान के बाद आदमी के लिए कुछ भी ज्ञान शेष नहीं रह जाता।
आचार्यश्री ने इन सभी ज्ञानों में सर्वकालिक ज्ञान श्रुत ज्ञान का वर्णन करते हुए कहा कि यह सर्वकालिक ज्ञान है, इसमें वृद्धि करने का प्रयास करना चाहिए। इस ज्ञान में शब्द का बड़ा महत्त्व है। शब्दों का प्रयोग होते ही उस विषय वस्तु का बोध हो जाता है, जिसके लिए उस शब्द का प्रयोग किया जाता है। वर्तमान में आदमी को अपने श्रुतज्ञान को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए आदमी को या साधु-साध्वियों को इसमें अपना समय नियोजित करने का प्रयास करना चाहिए। श्रुत ज्ञान को कंठस्थ करने और उन्हें हमेशा बनाए रखने के लिए निरंतर स्वाध्याय, अध्ययन आदि करते रहने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने आगमाधारित पावन प्रवचन में उपरान्त वर्ष 2017 के चतुर्मास काल के अंतिम हाजरी के संदर्भ में साधु-साध्वियों को विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए हजारी पत्र का वाचन कर उन्हें अपने लिए संकल्पों की सुरक्षा और नियमों को पूर्ण निष्ठा के साथ पालन करते हुए साधना के पथ पर अग्रसर होने का ज्ञान प्रदान किया तो अपने आराध्य के प्रति पूर्ण निष्ठा और समर्पण के भावों के साथ उपस्थित समस्त चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर एक साथ लेखपत्र का वाचन कर संघ-संघपति के प्रति अपनी संपूर्ण निष्ठा के साथ अपने महाव्रतों के अनुपालन के प्रति अपने समर्पण को दोहराया। अंत में शासनश्री साध्वी शुभवतीजी की स्मृति सभा भी आयोजित हुई। इसमें आचार्यश्री ने उनकी आत्मा के प्रति मध्यस्थ भाव व्यक्त करते हुए उनका संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया तथा चतुर्विध धर्मसंघ के साथ चार लोगस्स का ध्यान किया। महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाजी ने उनके जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डाला और उनकी आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना की।
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Source: © Facebook
🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 03-11-2017
तिथि: - #कार्तिक सुदी #चतुर्दशी
#शुक्रवार त्याग/#पचखाण
★आज #केक_पेस्ट्री खाने का त्याग करे।
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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏तेरापंथ मीडिया सेंटर🙏
🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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