Update
👉 उधना, सूरत - महाप्रज्ञ अलंकरण दिवस जीवन विज्ञान दिवस के रूप में मनाया गया
👉 उदयपुर - मंगल भावना समारोह
👉 गुवाहाटी - मंगल भावना समारोह
👉 गांधीनगर, बेंगलुरु: 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा-5 का "मंगलभावना समारोह" आयोजित
👉 उधना, सूरत - नेम-राजुल परिसंवाद का हुआ प्रभावी मंचन
👉 सुजानगढ़: मुनि श्री हिमांशू कुमार जी आदि ठाणा-4 का "मंगलभावना समारोह" आयोजित
👉 राजरहाट (कोलकाता) - बेहाला कोलकाता महिला मंडल द्वारा मंगल भावना कार्यक्रम आयोजित
👉 विजयनगर (बेंगलोर) - जैन संस्कार विधि से जन्मोत्सव एवं सेवा कार्य
👉 पुणे - ऐसे रखे लाइफ को कूल एवं आप किसमे उलझे हो.. internet या INNERNET विषयोक्त कार्यशाला
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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दिनांक 04-11-2017 राजरहाट, कोलकत्ता में पूज्य प्रवर के आज के प्रवचन का संक्षिप्त विडियो..
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
Update
*राजरहाट, कोलकत्ता - मंगल भावना समारोह*
👉 *मंगल भावना समारोह: भावनाओं के ज्वार में बह गए धैर्य और संयम*
👉 *-अपने आराध्य को विदाई देने के नाम से ही कोलकातावासियों हृदय हुए द्रवित, बह उठे नयनों अश्रुधार*
👉 *-शब्द हुए मूक तो नम आंखों ने कही बात, सबकी एक थी गुहार, हमें अनाथ न करो नाथों के नाथ*
👉 *-समताधारी आचार्यश्री ने पावन पाथेय के साथ दिया मंगल आशीष से किया आच्छादित*
👉 *-कहा दी गई प्रेरणाओं को उतार अपने जीवन को बनाएं उन्नत*
👉 *-आचार्यश्री ने ठाणं, तेरापंथ प्रबोध, राजा प्रदेशी आख्यान के सम्पन्नता की घोषणा*
👉 *-साध्वीप्रमुखाजी ने दी पावन प्रेरणा, कहा ज्ञान को अपने जीवन में उतार अगली पीढ़ी को सुधारने का हो प्रयास*
दिनांक - 04-11-2017
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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👉 चेन्नई: साध्वी श्री काव्यलता जी आदि ठाणा-4 का "मंगलभावना समारोह" (प्रथम चरण) आयोजित
👉 जयपुर - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
👉 जयपुर - तेयुप द्वारा सेवा कार्य
👉 जयपुर - सी स्किम एवं शहर महिला मंडल का दूरदर्शन पर कार्यक्रम
📍 अभातेमम पदाधिकारियों की गरिमामय उपस्थिति
👉 सिंधिकेला - अभातेमम अध्यक्ष की संगठन यात्रा
👉 बिड - शेष महाराष्ट्र ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन
👉 जयपुर - शहर महिला मंडल द्वारा आचार्य महाश्रमण फिजियोथेरिपी सेंटर का उद्घाटन
👉 वापी - कन्यामण्डल व ज्ञानशाला द्वारा परिसंवाद की प्रस्तुति
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 190* 📝
*अर्हन्नीति-उन्नायक आचार्य उमास्वाति*
*ग्रंथ रचना*
*व्याख्या ग्रंथ*
तत्त्वार्थ के व्याख्या ग्रंथों में तत्त्वार्थाभिगम भाष्य व्याख्या ग्रंथ उमास्वाति की स्वोपज्ञ रचना है। उमास्वाति गद्यकार ही नहीं पद्यकार भी थे। उनकी भाष्य कारिकाएं सुललित पद्यों में सन्निहित हैं। दुःखार्त एवं आगमों के गूढ़ ज्ञान को प्राप्त करने में असमर्थ लोगों पर अनुकंपा कर आचार्य उमास्वाति ने गुरु परंपरा से प्राप्त आर्हत उपदेश को *'तत्त्वार्थाधिगम'* ग्रंथ में निहित किया। आचार्य उमास्वाति के शब्दों में यह ग्रंथ अव्याबाध सुख को प्राप्त कराने वाला है। इस ग्रंथ की रचना कुसुमपुर में हुई। 'तत्त्वार्थाधिगम' भाष्य में आचार्य उमास्वाति की जीवन परिचायक सामग्री निम्नोक्त पद्यों में है—
*वाचकमुख्यस्य शिवश्रियः प्रकाशयशसः प्रशिष्येण।*
*शिष्येण घोषनन्दिक्षमाक्षमणस्यैकादशाङ्गविदः।।1।।*
*वाचनया च महावाचकश्रमणमुण्डपादशिष्यस्य।*
*शिष्येण वाचकाचार्यमूलनाम्नः प्रथितकीर्तेः।।2।।*
*न्यग्रोधिकाप्रसूतेन विहरता पुरवरे कुसुमनाम्नि।*
*कौभीषणिना स्वातितनयेन वात्सीसुतेनार्ध्यम्।।3।।*
*अर्हद्वचंन सम्यग्, गुरुक्रमेणागतं समवधार्य।*
*दुःखार्तं च दुरागम-विहतमतिं लोकमवलोक्य।।4।।*
*इदमुच्चैर्नागरवाचकेन सत्त्वानुकम्पया दृब्धम्।*
*तत्त्वार्थाधिगमाख्यं स्पष्टमुमास्वातिना शास्त्रम्।।5।।*
*यस्तत्त्ववाधिमाख्यं ज्ञास्यति च करिष्यते च तत्रोक्तम्।*
*सोऽव्याबाधसुखाख्यं प्राप्स्यत्यचिरेण परमार्थम्।।6।।*
*(तत्त्वार्थ भाष्य कारिका)*
दिगंबर विद्वानों के अभिमत से तत्त्वार्थाधिगम भाष्य अर्वाचीन रचना है। तत्त्वार्थ सूत्र प्राचीन है। दोनों एककर्तृक नहीं है।
श्वेतांबर विद्वानों के अभिमत से तत्त्वार्थ भाष्य प्राचीन है। टीकाकार आचार्य अकलंक भट्ट, आचार्य वीरसेन आदि विद्वान् आचार्य उमास्वाति की भाष्य कारिकाओं से सुपरिचित थे। उन्होंने अपने ग्रंथों में 'उत्तंच' कहकर भाष्य कारिकाओं का उपयोग किया है। सर्वार्थसिद्धि टिका में भी कई वाक्य और पद भाष्य के साथ मिलते हैं। तत्त्वार्थ सूत्र प्रथम सूत्र ग्रंथ है। उससे पहले वैदिक और बौद्ध विद्वानों द्वारा कई सूत्र ग्रंथ रचे गए और उन पर भाष्यों की रचना भी हुई, अतः उमास्वाति द्वारा सूत्रग्रंथ के साथ भाष्य का लिखना स्वाभाविक था।
पंडित सुखलाल जी ने तत्त्वार्थ प्रस्तावना में कई पुष्ट प्रमाणों के आधार पर इसे एककर्तृक सिद्ध किया है।
तत्त्वार्थ सूत्र जैन साहित्य में उच्च कोटि का ग्रंथ है। इसके दो तरह के सूत्रपाठ हैं। इन दोनों सूत्रपाठों की संख्या समान नहीं है। भाष्य सूत्रपाठ के सूत्रों की संख्या 344 एवं टीका के सूत्रपाठ की संख्या 357 है।
दोनों ग्रंथों के सूत्रपाठों की शब्द रचना में भी कहीं-कहीं परिवर्तित रूप है। फिर भी इस सिद्धांत प्रधान एवं दर्शन प्रधान ग्रंथ ने श्वेतांबर और दिगंबर दोनों ही परंपराओं के उत्तरवर्ती विद्वान् आचार्यों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। इस ग्रंथ की व्याख्या में दिगंबर विद्वान् पूज्यपाद ने सर्वार्थसिद्धि, आचार्य अकलंक देव ने राजवार्तिक टीका और आचार्य विद्यानंद ने श्लोक वार्तिक टीका की रचना की है। स्थान-स्थान पर 'आप्त परीक्षा' आदि ग्रंथों की रचना में आचार्य विद्यानंद ने 'तत्त्वार्थसूत्र' के सूत्रों का प्रामाणिक आधार दिया है।
*तत्त्वार्थ सूत्र व आचार्य उमास्वाति के आचार्य-काल के समय-संकेत* के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 14* 📝
*पेमजी कोठारी*
*(सम्वत् 1782 से 1844)*
*स्वामीजी के संपर्क में*
पेमजी ने अपने समय और सीमा के अंतर्गत पूरे मेवाड़ में प्रसिद्धि प्राप्त की। उनके चातुर्य और नीति निपुणता ने घुटे हुए विरोधियों को भी पानी पिला दिया। प्रभाव और वैभव की दृष्टि से वे प्रतिदिन वृद्धिंगत होते रहे। सांसारिक उत्कर्ष के इस अवसर पर उन्हें आध्यात्मिक उत्कर्ष का अवसर भी प्राप्त हुआ। एक बार स्वामी भीखणजी का पदार्पण आमेट में हुआ, तब पेमजी की माताजी बीरू बाई तथा बहिन चंदू बाई ने धर्म के मर्म को समझा और सम्यक्त्व दीक्षा ग्रहण की। कालांतर में चंदू बाई धर्मनिष्ठ और इतिहास प्रसिद्ध श्राविका हुई। पेमजी भी स्वामीजी से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने भी सम्यक्त्व दीक्षा ग्रहण की। उसी समय से उनका जीवन एक नई दिशा की ओर करवट लेने लगा। धीरे-धीरे वे एक शांत और सुदक्ष श्रावक के रूप में उभरते चले गए। कालांतर में उनके संपर्क तथा प्रभाव से सैंकड़ों ही अन्य व्यक्तियों को धार्मिक क्षेत्र में प्रवेश पाने तथा प्रगति करने का अवसर उपलब्ध हुआ।
*माता का देहांत*
पेमजी की माता बीरू बाई का देहांत सम्वत् 1836 में हुआ। उस समय की प्रथा के अनुसार उसके उपलक्ष्य में पेमजी ने जो मृत्युभोज किया उसमें पूरे मदारिया क्षेत्र के गांवों को न्योता गया। इस भोज में 250 मण घृत और 250 मण चीनी लगी। कुलगुरु को 4 तोला सोना तथा कपड़े दिए गए। इसी अवसर पर पेमजी ने जनता के उपयोगार्थ एक कूप भी बनवाया। उसका नाम अपनी बहिन के नाम पर 'चंदू बावड़ी' दिया गया। वह कूप आज भी उन लोगों की प्यास बुझाने में उपयोगी हो रहा है, जिनके घरों में या आस-पास नल नहीं लगा है।
*अंतिम अवस्था*
अंतिम अवस्था में पेमजी की धार्मिकता निखर कर काफी समृद्ध हो गई। स्वामीजी के प्रति उनकी भक्ति पहले से कहीं अधिक गहरी हो गई। सामायिक आदि धर्म कार्यों में उनका दैनिक समय लगने लगा। लगभग 62 वर्ष की अवस्था प्राप्त कर सम्वत् 1844 में वे साधारण रुग्ण हुए और कुछ ही दिनों के पश्चात् अचानक दिवंगत हो गए।
*तीसरी पांती*
पेमजी के दो पुत्र थे– रोड़ीदासजी और हेमराजजी। उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् जो मृत्यु भोज किया, उसमें भी पूरे मदारिया क्षेत्र के गांवों को न्योता गया। मृत्यु भोज आदि सभी कार्यों से निवृत्त होने के पश्चात् दोनों भाइयों ने संपत्ति का बंटवारा कर पृथक् हो जाने का निश्चय किया। उनके इस कार्य का रावतजी को पता चला तो वे हवेली में आकर दोनों भाइयों के बीच जम गए। उनका कथन था कि पेमजी ने सारी संपत्ति उनके राज्य में ही संचित की है, अतः उसमें तीसरा विभाग उन्हें देना होगा। अनिष्ट के भय से दोनों भाइयों को रावतजी की बात माननी पड़ी और संपत्ति का तृतीयांश उन्हें सौंपना पड़ा। प्रत्येक की पांती में ग्यारह-ग्यारह लाख रुपए आए।
*स्वामीजी के अनन्य भक्त दाऊजी तलेसरा का जीवन-वृत्त* पढ़ेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *2017 चतुर्मास की अंतिम हाजरी, महातपस्वी ने प्रदान किया विशेष प्रेरणा पाथेय*
👉 *-आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित समस्त साधु-साध्वियों और समणियों ने निष्ठा संकल्पों को दोहाराया*
👉 *-आचार्यश्री ने पंच प्रकार के ज्ञान का किया वर्णन, श्रुत ज्ञान को निरंतर बढ़ाने की दी पावन प्रेरणा*
👉 *-शासनश्री साध्वी शुभवतीजी की संक्षिप्त स्मृति सभा भी पूज्य सन्निधि में हुई आयोजित*
दिनांक - 03-11-2017
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *महातपस्वी की मंगल सन्निधि में पुरस्कृत हुए प्रख्यात साहित्यकार व अर्थशास्त्री*
👉 *-गुरुवार को आचार्यश्री की सन्निधि में पहुंचे साहित्यकार नरेन्द्र कोहली व अर्थशास्त्री डाॅ. बजरंगलाल गुप्ता*
👉 *-जैन विश्व भारती की ओर से दोनों को किया गया पुरस्कृत, आचार्यश्री ने प्रदान किया पावन आशीष*
👉 *-दोनों विद्वतजन आचार्यश्री की सन्निधि पाकर दिखे आह्लादित*
👉 *-दोनों ने अपनी विचाराभिव्यक्ति में महातपस्वी की साधना, प्रेरणा और अहिंसा यात्रा की सराहना*
दिनांक - 2-11-2017
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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🔵 *नव इतिहास का सृजन*🔴
श्रद्धेय अणुव्रत अनुशास्ता के आशीर्वाद से आज अणुव्रत महासमिति ने एक नया ऐतिहासिक मुकाम हासिल कर लिया है। कल संध्या 5.15 से लेकर आज सायं 6.15 के मध्य कुल 25 घंटो में साथियों के सहयोग से सर्व-समाज के मध्य *असम* में 4 समितियों का नव गठन हो चुका है। ये समितियां हैं ~
📍 *बरपेटारोड*
📍 *बंगाईगांव*
📍 *धुबड़ी*
📍 *कोकडाझाड़*
अणुव्रत महासमिति परिवार को हार्दिक बधाई ❕
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
👉 *विषय - नवकार मंत्र और प्रेक्षा प्रयोग भाग - 2*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
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