Update
*14/11/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* के आज्ञानुवर्ति *मुनि श्री सुव्रत कुमार जी ठाणा २*का प्रवास
*Mohan Lal ji bachhawat*
No.7 7th main road palaceguttaly. Bangalore 560003
☎9108668551,9019011009
8660238483,815066401
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Gherilal Ji Katariya*
Nakoda nivas
Gannagara Street
Pandavpura taluk
Mandya Dist
☎9964524973
,8792614459
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Jain terapanth bhawan*
Chitappa avenue
Rayapuram extn
*Tirupur -1*
☎ 8107033307,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*सुर्दशन जी पारख* की फेक्ट्री से विहार करके
*वानरोड* पधारेगे
☎9500300212
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Jain terapanth bhawan*
Chitappa avenue
Rayapuram extn
*Tirupur -1*
☎
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*महावीर जी धोका*
*वसन्तनगर* बैगलौर
☎8890788494,9844375544
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Amar Chand Ji Chajjer*
Payal palace apartment
Flat no. AB003
Next to total gas station
Opposite bansuri sweets,basveshwar nagar
☎7075252916
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*महाश्रमण विहार*
*गुडलापोचनपल्ली*
हैदराबाद
☎प्रकाश चन्द जी बरडिया
9394741566,
9290087648
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*गोतमचन्द जी खिंवेसरा*
उलार अमन कोइल स्ट्रीट
चिन्नमा मार्केट के पास
*चेन्नैइ*
☎ 9840640405
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*नौरतनमल डागा* का निवास स्थान
४५, वैलायुदम रोड(VSV नगर)
मेहता स्कूल के पास,
*सिवाकासी*
☎91 9443327831
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*तरलबालु स्कुल*
*ईबीड जिला हासन*
☎7798028703
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*TSS वाट्स अप गुप से जुडने के लिए निचे दिए नम्बर पर अपना नाम व क्षेत्र की जानकारी WhatsApp मेसेज द्वारा करे*
*आन्ध्रप्रदेश/ तेलंगाना*
श्री विमल जी बैद
☎9490337200
*तमिलनाडु*
श्रीमती मन्जु गेलडा
☎9841453611
*कर्नाटक*
श्रीमती बंसता देवड़ा
☎9880352461
प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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https://youtu.be/oVS-hDwUqos
दिनांक 13-11-2017 राजरहाट, कोलकत्ता में पूज्य प्रवर के आज के प्रवचन का संक्षिप्त विडियो..
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
👉 सादुलपुर - अणुव्रत समिति सादुलपुर 👉 राजगढ़ द्वारा कार्यशाला का आयोजन
👉 विजयनगर (बेंगलोर) - तेरापंथ युवक परिषद द्वारा सेवा कार्य
👉 पीलीबंगा - जैन जीवन शैली कार्यशाला आयोजित
👉 मानसा - शनिवार सामायिक का आयोजन
👉 इस्लामपुर - जैन माइनॉरिटी सेमिनार आयोजित
👉 ट्रिप्लिकेन, चेन्नई: “मधुर हो हमारा व्यवहार - अपनाएं शिष्टाचार” कार्यशाला का आयोजन
👉 राजसमंद - ज्ञानशाला वार्षिक उत्सव आयोजित
👉 गांधीनगर (बेंगलुरु) - फैलाइए विकास का परिश्रम अपनाए शिष्टाचार कार्यशाला आयोजित
👉 मानसा - दम्पति कार्यशाला का आयोजन
👉 राजाजीनगर (बेंगलोर) - भगवान महावीर दीक्षा कल्याणक दिवस
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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Update
👉 सिंधनूर: साध्वी वृन्द का "मंगल प्रवेश"
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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👉 अणुव्रत महासमिति असम संगठन यात्रा
📍 धुबड़ी में जीवन विज्ञान पर कार्यशाला आयोजित
👉 अणुव्रत महासमिति असम संगठन यात्रा
📍 धुबड़ी समाज द्वारा अणुव्रत समिति गठन
👉 मीरा रोड, मुम्बई - हमारी संस्कृति हमारे संस्कार कार्यशाला का आयोजन
👉 हनुमंतनगर, बेंगलुरु: तेयुप HBST द्वारा "सेवा कार्य"
👉 तिरूपुर: मुनि वृन्द का "आध्यात्मिक मिलन" एवं "स्वागत समारोह"
👉 तिरुपुर: श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा एवं तेरापंथ महिला मंडल का "शपथ ग्रहण समारोह"
👉 उदयपुर - चार सिंघाड़ों के आध्यात्मिक मिलन का भव्य नजारा
👉 दार्जीग - ENTER INTO THE NEW ERA कार्यशाला का आयोजन
👉 ब्यावर - शनिवार सामायिक का आयोजन
👉 काजुपाड़ा, मुम्बई - ज्ञानशाला संगठन यात्रा
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 196* 📝
*कीर्ति-निकुञ्ज आचार्य कुन्दकुन्द*
*साहित्य*
गतांक से आगे...
*भक्ति संग्रह—* भक्ति संग्रह में आचार्य कुन्दकुन्द की आठ भक्तियां हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं— सिद्ध भत्ति, सुद भत्ति, चरित भत्ति, जोइ भत्ति, आइरिय भत्ति, णिव्वाण भत्ति, पंचगुरु भत्ति, तित्थयर भत्ति।
*सिद्ध भत्ति (सिद्ध भक्ति)—* इस भक्ति की 12 गाथाएं हैं। सिद्धों के गुणों का वर्णन इसमें है। इस पर प्रभाचंद्राचार्य कृत संस्कृत टीका है। संस्कृत की सभी भक्तियां पूज्यपाद की और प्राकृत की भक्तियां कुन्दकुन्द की हैं। प्रभाचंद्राचार्य की टीका के अंत में इस प्रकार का उल्लेख है।
*सुद भत्ति (श्रुत भक्ति)—* इसमें आचाराङ्ग, सूत्रकृतांग आदि 12 अंगों का भेद-प्रभेद सहित वर्णन है तथा 14 पूर्वों की वस्तु संख्या तथा प्रत्येक वस्तु के प्राभृतों की संख्या भी इसमें है। इस कृति की कुल 11 गाथाएं हैं।
*चरित भत्ति—* इस भक्ति में सामायिक आदि पांचो चरित्रों का तथा 10 धर्मों का प्रतिपादन है।
*जोइ भत्ति (योगी भक्ति)—* इसकी 23 गाथाएं हैं। योगियों की ऋद्धि का वर्णन है।
*आइरिय भत्ति (आचार्य भक्ति)—* इसकी 10 गाथाएं हैं। आचार्यों के गुणों का वर्णन है।
*णिव्वाण भत्ति—* इस कृति के अंतर्गत 27 गाथाओं में निर्वाण प्राप्त तीर्थंकरों की स्तुति एवं निर्वाण स्वरूप का वर्णन है।
*पंचगुरु भत्ति—* इसके सात पद्य हैं। इन पद्यों में परमेष्ठी पुरुषों को स्तवनापूर्वक नमन किया गया है।
*तित्थयर भत्ति (तीर्थंकर स्तुति)—* इसमें तीर्थंकरों की स्तवना है। इसमें आठ पद्य हैं। प्रत्येक तीर्थंकर को नामोल्लेखपूर्वक वंदन किया गया है।
*बारसाणुपेक्खा (द्वादशानुप्रेक्षा)—* यह 91 गाथाओं का लघु ग्रंथ है। इसमें अनित्य, अशरण, भव, एकत्व, अन्यत्व, संसार, अशुचित्व, आश्रव, संवर, निर्जरा, धर्म और बोधी इन 12 भावनाओं का सम्यक् प्रतिपादन है। वैराग्य रस से परिपूर्ण यह प्रभावक कृति है। 12 भावनाओं का निरूपण कई श्रावकाचार ग्रंथों में प्राप्त है। विनय विजयसिंह सूरि रचित शांतसुधारस कृति में इन्हीं 12 भावनाओं का वर्णन है। मैत्री, प्रमोद, कारुण्य, माध्यस्थ इन चार भावनाओं का वर्णन इस कृति में अधिक है।
*समय-संकेत*
आचार्य कुन्दकुन्द के समय के विषय में सभी दिगंबर विद्वान् एकमत नहीं हैं। पंडित नाथूराम प्रेमी ने कुन्दकुन्द का समय विक्रम की तृतीय शताब्दी का उत्तरांश स्वीकार किया है। डॉ पाठक ने कुन्दकुन्द का समय शक संवत् 450, ईस्वी सन् 528 सिद्ध किया है। डॉ उपाध्याय ने ईस्वी सन् प्रथम शताब्दी को मान्य किया है। डॉ ज्योतिप्रसाद जैन ने भी कुन्दकुन्द के लिए ईस्वी सन् प्रथम शताब्दी को प्रमाणित किया है।
कुन्दकुन्द के ग्रंथों में केवली कवलाहार, सचेलकता, स्त्री-मुक्ति आदि श्वेतांबर मान्यताओं का निरसन है। अतः कुन्दकुन्द का समय दिगंबर और श्वेतांबर संघ की स्थापना हो जाने के बाद का अनुमानित होता है।
कुन्दकुन्द के ग्रंथों में दार्शनिक रूप की जो विवेचना है, वह उमास्वाति के तत्त्वार्थाधिगम में नहीं है। सप्तभङ्गी का रूप आचार्य कुन्दकुन्द के ग्रंथों में अधिक विकासगत है। उत्तरवर्ती दार्शनिक धाराओं में कुन्दकुन्द के ग्रंथों में उपलब्ध सप्तभङ्गी का रूप आधार बना है। अतः इन बिंदुओं के आधार पर आचार्य कुन्दकुन्द वाचक उमास्वाति के बाद के विद्वान् हैं।
*विमल विचारक आचार्य विमल के प्रभावक चरित्र* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 20* 📝
*शोभजी कोठारी*
*अद्वितीय धार्मिकता*
श्रावक शोभजी बाल्यकाल से ही अनन्य श्रद्धाशील और धार्मिक व्यक्ति थे। गहरी तत्त्व जिज्ञासा और तीव्र ग्रहण शक्ति के मणिकांचन योग से अध्यात्म रहस्यों में उनकी निर्बाध गति थी। वे स्वल्पभाषी, पापभीरू और क्रियाशील व्यक्ति थे। स्वामी भीखणजी के प्रति उनके मन में अगाध भक्ति थी। उनकी भक्ति की गहराई को जानने के लिए उनकी ही एक कृति का अग्रोक्त पद्य पर्याप्त होगा। वे कहते हैं—
पूजजी! पधारो शहर में नित रहूं चरणों रै पास।
एक मुहूर्त अलगो रह्यां, म्हारो मनड़ो हुवै उदास।।
अर्थात् "स्वामीजी आप मेरे शहर केलवा में पधारिए। मैं नित्य आपके चरणो में ही बैठा रहूंगा। ऐसे अवसरों में मुहूर्त्त मात्र दूर रहने पर भी मेरा मन उदास हो जाता है।"
शोभजी का जीवन ज्ञान, भक्ति और क्रिया का एक संतुलित मिश्रण था। तत्त्ववेत्ता और भक्त होने के साथ ही वे व्रती श्रावक भी थे। विविध प्रत्याख्यानों के द्वारा उन्होंने अपने आपको संवृत्त किया था। सामायिक, संवर, तप, जप, स्वाध्याय और ध्यान आदि उनके धार्मिक जीवन के संबल थे। उनकी त्याग में वृत्ति का अनुमान उनकी गीतिका के एक पद्य से लगाया जा सकता है। वे लिखते हैं—
मैं कीधो त्याग एहवो, हूं रहूं जिण नगर मझार।
छतां साध वांद्यां बिना, मुख में न घालूं पाणी आहार।।
अर्थात् "मैंने ऐसी प्रतिज्ञा की है कि जिस नगर में मैं रहूं, वहां साधु साध्वियां हों तो उन के दर्शन किए बिना अन्न-जल ग्रहण नहीं करूंगा।" यह गीतिका सम्वत् 1839 में रचित है। उस समय उनकी अवस्था मात्र 22 वर्ष की थी। उक्त प्रत्याख्यान उससे पूर्व ही गृहीत है। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि युवावस्था की देहली पर पहुंचते-पहुंचते ही वे एक त्यागी-विरागी श्रावक बन गए थे।
शोभजी के द्वारा विभिन्न प्रकार से शासन की गौरव वृद्धि हुई। सैकड़ों व्यक्तियों के लिए सम्यक् श्रद्धा प्राप्त करने में वे प्रेरक एवं सहयोगी बने। उदयपुर के सुप्रसिद्ध श्रावक केसरजी भंडारी उन्हीं के संपर्क से समझे थे। उनकी विशेषता थी कि वे जहां जाते और जहां रहते, वहां अपने आसपास का वातावरण सहज ही धर्ममय बना लिया करते थे।
*भक्त कवि*
शोभजी का व्यक्तित्व बहुमुखी था। वे एक सद्गृहस्थ, श्रावक और कर्मठ धर्म प्रचारक होने के साथ ही भक्ति रस के अच्छे कवि भी थे। उन्होंने बाल्यावस्था में ही रचना करनी प्रारंभ कर दी थी। कहा जाता है कि उनका यह निर्णय था कि स्वामीजी जितने पद्य बनाएंगे, उनका दशमांश वे भी बनाएंगे। उसी क्रम से उन्होंने अड़तीस सौ पद्यों की रचना की। उनकी रचनाओं में अनेक गीतकाएं अत्यंत भावभीनी और प्रेरणादायिनी हैं। उनकी भक्ति संभृत गीतिकाओं को आज भी अनेक व्यक्ति प्रातः स्वाध्याय के रूप में गाते हैं। उनकी कुछ सुप्रसिद्ध गीतिकाएं निम्नोक्त हैं—
*(1)* पूज भीखणजी रो समरण कीजे।
*(2)* हूं बलिहारी हो भीखणजी रा नाम री।
*(3)* कर हो जीव तूं भक्ति भिक्खू तणी।
*(4)* स्वामीजी का दरसण किण विध होय आदि।
*क्षायिक सम्यक्त्वी श्रावक विजयचंद जी पटवा का जीवन-वृत्त* पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
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