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आज बाल दिवस पर आचार्य श्री विद्यासागर जी का बचपन का फोटो.. #AcharyaVidyasagar 😊
बाल्यकाल में खेलकूद में शतरंज खेलना, शिक्षाप्रद फिल्में देखना, मन्दिर के प्रति आस्था रखना, तकली कातना, गिल्ली-डंडा खेलना, महापुरुषों और शहीद पुरुषों के तैलचित्र बनाना आदि रुचियाँ आपमें विद्यमान थी। नौ वर्ष की उम्र में ही चारित्र चक्रवर्ती आचार्य प्रवर श्री शांतिसागर जी महाराज के शेडवाल ग्राम में दर्शन कर वैराग्य-भावना का उदय आपके हृदय में हो गया था। जो आगे चल कर ब्रह्मचर्यव्रत धारण कर प्रस्फुटित हुआ। 20 वर्ष की उम्र, जो की खाने-पीने, भोगोपभोग या संसारिक आनन्द प्राप्त करने की होती है, तब आप साधु-सत्संगति की भावना को हृदय में धारण कर आचार्य श्री देशभूषण महाराज के पास जयपुर(राज.) पहुँचे। वहाँ अब ब्रह्मचारी विद्याधर उपसर्ग और परीषहों को जीतकर ज्ञान, तपस्या और सेवा का पिण्ड/प्रतीक बन कर जन-जन के मन का प्रेरणा स्त्रोत बन गया था।
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#जरूरसुने जब घर में किसी की मृत्यु हो जाती हैं तो कोई कोई को सदमा जैसा लग जाता हैं.. Depression में चला जाए तो क्या करे.. -आचार्य श्री विद्यासागर जी #AcharyaVidyasagar -राग की मार्मिक प्रवचन.. रोंगते ना खड़े हो जाए तो कहना!!! #mustListen #SharePls
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सबके प्रति कैसे क्षमा भाव रखो: आचार्य विद्यासागरजी #AcharyaVisyasagar