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रानी पद्मावती के जौहर वाले विश्वप्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ किले में भगवान आदिनाथ को समर्पित 9वीं सदी के अतिप्राचीन उत्कृष्ट नक्काशी वाला जैन कीर्ति स्तम्भ और 11-15 वीं सदी के भव्य जैन मंदिर... विश्व जैन संगठन fb.com/AntiquityOfJainism
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9वीं सदी में प्रतिहार राज में श्री बघेरवल जी द्वारा 75.5 फीट ऊँचा भगवान आदिनाथ को दिनांक 30 अप्रैल 896 को समर्पित सबसे प्राचीन जैन कीर्ति स्तम्भ
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किले में महासती स्थल के पास ही गौमुख कुण्ड है। लोग इसे पवित्र तीर्थ के रूप में मानते हैं। कुण्ड के निकट ही उत्तरी किनारे पर महाराणा रायमल के समय का बना “पार्श्वनाथ भगवान का एक प्राचीन जैन मंदिर” है! जैन मंदिर में दक्षिण से लाई गयी भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर कन्नड़ लिपि का लेख है! यहाँ से एक सुरंग राजा कुम्भा के महलों तक जाती है जिसके द्वारा रानी पद्मावती इस मंदिर में दर्शन हेतु आया करती थी!
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9वीं सदी में प्रतिहार राज में श्री बघेरवल जी द्वारा 75.5 फीट ऊँचा भगवान आदिनाथ को दिनांक 30 अप्रैल 896 को समर्पित सबसे प्राचीन जैन कीर्ति स्तम्भ
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कीर्ति स्तम्भ के साथ प्राचीन जैन मंदिर
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प्रसिद्ध इतिहासकार कन्निंगम ने वर्ष 1883-84 में किले का अवलोकन किया था और अपनी रिपोर्ट में प्राचीन जैन मंदिरों व कीर्ति स्तम्भ का प्रमाणिक वर्णन
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राजस्थान गजट में प्रकाशित कीर्ति स्तम्भ का विवरण
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महाराणा कुम्भा के खजांची कोला के पुत्र वेलाका द्वारा वर्ष 1448 में स्थापित श्रींगर चौरी नाम से प्रसिद्ध जैन मंदिर भगवान शांतिनाथ को समर्पित
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गौमुख कुण्ड के पास एक कमरे में स्थापित प्राचीन जैन प्रतिमाएं व शिलालेख
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गौमुख कुण्ड के पास एक कमरे में स्थापित प्राचीन जैन चरण
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27 जैन मंदिरों का समूह सतबीस देवरी नाम से प्रसिद्ध
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27 जैन मंदिरों का समूह सतबीस देवरी नाम से प्रसिद्ध
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27 जैन मंदिरों का समूह सतबीस देवरी नाम से प्रसिद्ध
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रानी पद्मावती के जौहर वाले विश्वप्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ किले में भगवान आदिनाथ को समर्पित 9वीं सदी के अतिप्राचीन उत्कृष्ट नक्काशी वाला जैन कीर्ति स्तम्भ और 11-15 वीं सदी के भव्य जैन मंदिर... विश्व जैन संगठन fb.com/AntiquityOfJainism
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9वीं सदी में प्रतिहार राज में श्री बघेरवल जी द्वारा 75.5 फीट ऊँचा भगवान आदिनाथ को दिनांक 30 अप्रैल 896 को समर्पित सबसे प्राचीन जैन कीर्ति स्तम्भ
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किले में महासती स्थल के पास ही गौमुख कुण्ड है। लोग इसे पवित्र तीर्थ के रूप में मानते हैं। कुण्ड के निकट ही उत्तरी किनारे पर महाराणा रायमल के समय का बना “पार्श्वनाथ भगवान का एक प्राचीन जैन मंदिर” है! जैन मंदिर में दक्षिण से लाई गयी भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर कन्नड़ लिपि का लेख है! यहाँ से एक सुरंग राजा कुम्भा के महलों तक जाती है जिसके द्वारा रानी पद्मावती इस मंदिर में दर्शन हेतु आया करती थी!
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9वीं सदी में प्रतिहार राज में श्री बघेरवल जी द्वारा 75.5 फीट ऊँचा भगवान आदिनाथ को दिनांक 30 अप्रैल 896 को समर्पित सबसे प्राचीन जैन कीर्ति स्तम्भ
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कीर्ति स्तम्भ के साथ प्राचीन जैन मंदिर
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प्रसिद्ध इतिहासकार कन्निंगम ने वर्ष 1883-84 में किले का अवलोकन किया था और अपनी रिपोर्ट में प्राचीन जैन मंदिरों व कीर्ति स्तम्भ का प्रमाणिक वर्णन
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राजस्थान गजट में प्रकाशित कीर्ति स्तम्भ का विवरण
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महाराणा कुम्भा के खजांची कोला के पुत्र वेलाका द्वारा वर्ष 1448 में स्थापित श्रींगर चौरी नाम से प्रसिद्ध जैन मंदिर भगवान शांतिनाथ को समर्पित
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गौमुख कुण्ड के पास एक कमरे में स्थापित प्राचीन जैन प्रतिमाएं व शिलालेख
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गौमुख कुण्ड के पास एक कमरे में स्थापित प्राचीन जैन चरण
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27 जैन मंदिरों का समूह सतबीस देवरी नाम से प्रसिद्ध
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27 जैन मंदिरों का समूह सतबीस देवरी नाम से प्रसिद्ध
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27 जैन मंदिरों का समूह सतबीस देवरी नाम से प्रसिद्ध
News in Hindi
जिनवाणी चैनल पर आज दिनांक 18 नवंबर को दिन में 3 बजे जैन मंदिर, देव नगर, आगरा के दिनांक 9 नवंबर को त्रिलोकसंत पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में सम्पन्न हुए भूमिपूजन / शिलान्यास समारोह का प्रसारण होगा। कृपया सपरिवार कार्यक्रम देख कर धर्म लाभ प्राप्त करै ।