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👉 तिरुपूर: मुनि श्री प्रशांत कुमार जी ठाणा 2 का “मंगलभावना समारोह” आयोजित
👉 कोटा - "जगाएं भीतर में नव् उन्मेष - नए युग में करें प्रवेश "विषय पर कार्यशाला का आयोजन
👉 चूरू - स्वागत समारोह कार्यक्रम आयोजित
👉 सिंधनुर: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा “चित्त समाधि शिविर” का आयोजन
👉 ग्रीनपार्क, नई दिल्ली- तपोभिनंदन एवं सेवा सम्मान समारोह
👉 जयपुर - तपोयज्ञ में तेरापंथ युवक परिषद की अनोखी पहल
👉 ओडिशा (केसिंगा) - निर्माण एक कदम स्वच्छता की ओर
👉 इंदौर: *जीवन विज्ञान अकादमी*द्वारा आयोजित की जाने वाली *"पैन इंडिया कम्पटीशन" पर "राष्ट्रीय संगोष्ठी"* का आयोजन
👉 तिरुपुर: पंच दिवसीय (15 से 19 नवम्बर) "व्यक्तित्व विकास कार्यशाला" का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 202* 📝
*भव्यजन दुःख विभञ्जक आचार्य भूतदिन्न*
*आचार्य लोहित्य, आचार्य दूष्यगणी*
*आचार्य दूष्यगणी—* देवर्द्धिगणी द्वारा दूष्यगणी की निम्नोक्त पद्यों में अत्यंत समीचीन शब्दों में प्रशस्ति की गई है।
*अत्थ-महत्थ-क्खाणिं सुसमण-वक्खाण-कहण- निव्वाणि।*
*पयईए महुरवाणिं, पयओ पणमामि दूसगणिं।।41।।*
*सुकुमाल-कोमल-तले, तेसिं पणमामि लक्खण-पसत्थे।*
*पाए पावयणीणं, पाडिच्छगसएहिं पणिवइए।।42।।*
*(नंदी स्थविरावली)*
दूष्यगणी आगमश्रुत के ज्ञाता थे, समर्थ वाचनाचार्य थे। प्रकृति से मधुरभाषी थे। तप, नियम, सत्य, संयम, आर्जव, मार्दव, क्षमा आदि उत्तम गुणों से सुशोभित थे एवं अनुयोगधर युगप्रधान आचार्य थे। उनके चरण प्रशस्त लक्षणों से युक्त सुकोमल तलवे वाले थे।
नंदी स्थविरावली में इन आचार्यों के जीवन गुणों के वर्णन से स्पष्ट है जैन धर्म की व्यापक प्रभावना में इन वाचनाचार्यों का विशिष्ट योगदान रहा है।
*समय-संकेत*
आचार्य भूतदिन्न की युगप्रधानाचार्यों में गणना है। युगप्रधान पट्टावली के अनुसार आचार्य भूतदिन्न का युगप्रधान पद वीर निर्वाण 904 से 983 (विक्रम सम्वत् 434 से 513, ईस्वी सन् 377 से 456) तक है। आचार्य पद का दायित्व उन्होंने 79 वर्ष तक संभाला।
युगप्रधान आचार्य भूतदिन्न और वाचनाचार्य भूतदिन्न दोनों एक नहीं होने चाहिए। युगप्रधान भूतदिन्न का स्वर्गवास वीर निर्वाण 983 में हुआ है। स्वर्गवास संवत् के आधार पर युगप्रधान भूतदिन्न आचार्य देवर्द्धिगणी के समकालीन सिद्ध होते हैं।
वाचनाचार्य की परंपरा में आचार्य भूतदिन्न, आचार्य लोहित्य, आचार्य दूष्यगणी और बाद में देवर्द्धिगणी हैं। देवर्द्धिगणी ने आगम वाचना कार्य वीर निर्वाण 980 (विक्रम सम्वत् 510, ईस्वी सन् 553) में संपन्न किया था। भूतदिन्न, लोहित्य और दूष्यगणी इन तीनों आचार्यों का समय देवर्द्धिगणी से पूर्ववर्ती होने के कारण वीर निर्वाण 9 वीं शताब्दी और 10 वीं शताब्दी का पूर्वार्द्धकाल संभव है।
*जैन आगम निधि-संरक्षक आचार्य देवर्द्धिगणी क्षमाश्रमण के प्रभावक चरित्र* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 26* 📝
*विजयचंदजी पटवा*
*एक लाख रुपया*
धर्मनिष्ठा के साथ-साथ पटवाजी में व्यवहार पटुता भी प्रचुर मात्रा में थी। छोटे दुकानदारों की कठिनाइयों को हल करना, समय-समय पर उन्हें आवश्यक सहयोग देना और उनके हितों की सुरक्षा करना वे अपना कर्तव्य समझते थे। इन्हीं कारणों से वे वहां के अग्रणी तथा जनप्रिय व्यापारी माने जाते थे। अपव्यय से वे जितनी घृणा करते थे, उतना ही अवसर आने पर बड़े से बड़ा व्यय करने की तत्परता भी रखते थे।
एक बार जोधपुर नरेश ने पाली के साहूकारों से एक लाख रुपए की मांग की। उस समय पाली में दो ही सबसे बड़े व्यापारी गिने जाते थे। एक पटवाजी और दूसरे एक माहेश्वरी साहूकार। राज्याधिकारी जब बाजार में पहुंचा तब पटवाजी कहीं बाहर गए हुए थे। राज्याधिकारी ने तब माहेश्वरीजी के सम्मुख ही सारी बात रखी। बाजार के अन्य व्यापारी भी बुलाए गए। सेठ के मुनीम ने सुझाव दिया कि प्रत्येक दुकान से उगाह कर यह रकम इकट्ठी कर ली जाए। सेठजी ने भी उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा— 'इसके अतिरिक्त तो और हो भी क्या सकता है?' कुछ लोगों का सुझाव था कि बड़े-बड़े व्यापारियों को ही इस रकम की पूर्ति करनी चाहिए। छोटे व्यापारियों के तो कमाई होती ही कितनी है? सेठजी ने राज्याधिकारी की ओर उन्मुख होते हुए कहा— 'आप ही कहिए, यह रकम कोई दो-चार व्यक्ति दे सकें ऐसा तो नहीं, इसमें तो सभी को देना होगा।'
राज्याधिकारी ने कहा— 'हमें तो एक लाख रुपयों की आवश्यकता है। वह कैसे एकत्रित किया जाए तथा कौन कितना दे, यह सब तो आप लोगों को ही निश्चय करना है।'
सेठजी के मुनीम ने तब प्रत्येक दुकान के नाम से पृथक-पृथक रकमें लिखनी प्रारंभ कर दी। लोगों ने एक दूसरे से तुलना करते हुए उसे अपने सामर्थ्य से अधिक बतलाना प्रारंभ किया। काम शीघ्रता से आगे बढ़ नहीं पाया। लोग कहने लगे— 'पटवाजी के आने पर ही आगे की रकमें लिखी जाएं।'
सेठजी बोले— 'क्या पटवाजी अकेले यह रकम दे देंगे? देना तो सभी को पड़ेगा। अभी दे दें तो वही बात है दो घंटे पीछे दें तो वही बात है।' आखिर यही निश्चय हुआ कि पटवाजी के आने पर रात को फिर इकट्ठा हुआ जाए और कोई निश्चय किया जाए।
पटवाजी जब सायंकाल के समय बाहर से आए तो लोगों ने उन्हें सारी बातें बतलाईं और कहा— 'छोटे व्यापारियों के पास तो रकम की मूलतः ही कमी रहती है। वे कुछ दे भी देंगे तो उससे कितना सहारा लगेगा? आखिर अधिकांश रुपया तो आप बड़े ही लोगों को देना होगा। तो फिर थोड़े से रुपयों के लिए सब को क्यों कसा जाए?'
पटवाजी को यह बात जंच गई। रात को जब सभी लोग इकट्ठे हुए तो पटवाजी ने छोटे व्यापारियों को इससे मुक्त रखने को कहा।
माहेश्वरी सेठ ने गरम होते हुए कहा— 'तो फिर रुपया कहां से आएगा?'
पटवाजी बोले— 'आधा हम दे देते हैं, आधा आप दीजिए।'
सेठ पहले तो काफी कसमसाए, परंतु जब सभी लोगों का दबाव पड़ा तो उन्होंने भी इस सुझाव को स्वीकार कर लिया। तत्काल ही दोनों व्यापारियों ने पचास-पचास हजार रुपया ला दिया। नगर के सभी व्यापारी पटवाजी का आभार मानकर प्रशंसा करने लगे।
जोधपुर नरेश के पास जब वह रकम पहुंची तो पता लगा कि केवल दो व्यक्तियों ने ही वह धन दिया है तो उन्होंने यह कहते हुए लौटा दिया कि हमें इस समय इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। हम तो पाली के साहूकारों कि केवल परीक्षा ही करना चाहते थे।
*जौहरियों के बादशाह हरचंदलालजी सिंधड़ के जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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👉 ट्रिप्लिकेन, चेन्नई: "बृहद सामायिक कार्यशाला - मैं हु सामायिक साधक" का आयोजन
👉 विजयवाड़ा - ते.म. म. द्वारा तत्वज्ञान की क्लास आयोजित
👉 कालू - "मधुर हो हमारा व्यवहार अपनाएं शिष्टाचार" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
👉 जयपुर - "Enter in new era' कैसे करे नये युग में प्रवेश कार्यशाला का आयोजन
👉 विशाखापट्टनम - स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम का आयोजन
👉 विजयनगर (बेंगलोर) - आचार्य तुलसी डायग्नोस्टिक सेंटर विजयनगर द्वारा निशुल्क मधुमेह जांच शिविर का आयोजन
👉 तिरुपुर: “जैन संस्कार विधि" से मनाया गया सामूहिक जन्मोत्सव कार्यक्रम
👉 आमेट - भक्ति संध्या का आयोजन
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*21/11/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2का प्रवास
*अशोक जी चिण्डालिया*
1st Main Road.
Hosa Road. Behind Chankeshwa School. Hosur Road.Bangalore
After piller no 140 take left
☎8105066401,9886807480
T++++++++++S+++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Gherilal Ji Katariya*
Nakoda nivas
Gannagara Street
Pandavpura taluk
Mandya Dist
☎9964524973
,8792614459
T++++++++++S+++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Jain terapanth bhawan*
Chitappa avenue
Rayapuram extn
*Tirupur -1*
☎ 8107033307,
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*वलाजावाद*
☎9500300212
T++++++++S+++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Vidyalaya Matric Hr.Sec.School,Near L&T Bypass,Ondipudur से प्रातः 6:40 बजे विहार करके “Karapgam Collage"Coimbatore पधारेंगे*
☎ 7200690967
T++++++++S+++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*महावीर जी धोका*
*वसन्तनगर* बैगलौर
☎8890788494,9844375544
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*G C Nahata*
#880 Near Pristine Hospital
Modi Hospital Road
Bangalore
☎9972381111,23226064
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*चेंगुंटा*
फक्शन हाल
*हैदराबाद- नागपुर रोड*
☎9959037737
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*समता भवन*
168, G. A. ROAD Tondiairpet chennai.
☎ 9380752141,9884200325
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*नौरतनमल डागा*
का निवास स्थान
४५, वैलायुदम रोड(VSV नगर)
मेहता स्कूल के पास,
*सिवाकासी*
☎91 9443327831
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर*
T++++++++++S+++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*
☎7230910977,8830043723
T++++++++S+++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*शंकर जी पटेल के निवास स्थान*
*तेरापंथ भवन*
*हासन*
☎7798028703
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमणजी* की सुशिष्या *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास
Sri jain swethamber Terapanth trust (S H G Terapanth bhavan)
38/ New No 50 Singarachari street near Krishna sweets Triplicane chennai -5
☎ 9840143333
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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *आर्ट आॅफ लिविंग आश्रम पधारे अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमण*
👉 *-सिमेंट पार्क से लगभग 15 किमी का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे कोजरा आर्ट आॅफ लिविंग आश्रम*
👉 *-स्वामी श्रद्धानंदजी ने आचार्यश्री की भावभीनी अगवानी, मंत्रोच्चार के साथ आचार्यश्री का हुआ मंगल पदार्पण*
👉 *-बहुश्रुत की पर्युपासना के द्वारा इस लोक के साथ परलोक का हो सकता है हित: आचार्यश्री महाश्रमण*
👉 *-आचार्यश्री के स्वागत में स्वामी श्रद्धानंदजी ने व्यक्त किए हृदयोद्गार*
दिनांक -20-11-2017
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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News in Hindi
👉 अहिंसा यात्रा के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "लक्ष्मीपुर" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - लक्ष्मीपुर
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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