Update
*23/11/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2का प्रवास
*श्री सुसवाणी माताजी मंदिर*
अत्तिबेले होसुर रोड
बैगलौर
https://goo.gl/maps/29DQqJUqj5A2
☎ 8105066401,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Gherilal Ji Katariya*
Nakoda nivas
Gannagara Street
Pandavpura taluk
Mandya Dist
☎9964524973,8792614459
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Jain terapanth bhawan*
Chitappa avenue
Rayapuram extn
*Tirupur -1*
☎ 8107033307,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*सुदर्शन जी पारख की फेक्ट्री*
*औरगडम*
☎9840045108
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*”J G Complex,SBI से प्रातः 6:40 बजे विहार करके "Bagrecha Glass House, Konjikode kerala पधारेंगे*
☎ 7200690967
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*प्रकाश चन्द जी आच्छा*
मारूती सेवा नगर
बंगलौर
☎8890788494,9886182854
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Mukeshji Chandreshji Mandoth*
#337,15th Cross
Mahalakshmi Layout
Bangalore
☎.9945613370,9964310421
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*रामायण पेट स्कुल*
*हैदराबाद- नागपुर रोड*
☎9959037737
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*पूनमचंद जी माँड़ोत* के निवास स्थान से प्रातः7.30 am विहार कर
*मुकेश कुमार जी मुणोत*
EMR tower no11 door no 104 के निवास स्थान *तण्डियारपेट* पधारेगे
☎:9840244468,9884200325
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*नौरतनमल डागा*
का निवास स्थान
४५, वैलायुदम रोड(VSV नगर)
मेहता स्कूल के पास,
*सिवाकासी*
☎91 9443327831
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*शंकर जी पटेल के निवास स्थान*
*तेरापंथ भवन*
*हासन*
☎7798028703
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*आचार्य श्री महाश्रमणजी* की सुशिष्या *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास
Sri jain swethamber Terapanth trust (S H G Terapanth bhavan)
38/ New No 50 Singarachari street near Krishna sweets Triplicane chennai -5
☎ 9840143333
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Sri Suswani Mataji Temple
Arisinakunte, Karnataka 562107, India
Update
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 204* 📝
*जैन आगम निधि-संरक्षक*
*आचार्य देवर्द्धिगणी क्षमाश्रमण*
गतांक से आगे...
मुनि कल्याणविजयजी ने नंदी स्थविरावली को गुरु-शिष्य परंपरा नहीं माना है। उनकी समीक्षा के मुख्य बिंदु हैं। नंदी स्थविरावली युगप्रधानाचार्यों की स्थविरावली है। अपने-अपने गुरुजनों की क्रमांक प्रशस्तियां ग्रंथ के अंत में देने की परंपरा रही है। ग्रंथ के आदि में उत्तम पुरुषों का विघ्नविनाशक के रूप में स्मरण किया गया है। देवर्द्धिगणी ने नंदी में अनुयोगधरों का मंगल रुप में वंदन किया है। अनुयोगधरों का गुरु-शिष्य का संबंध होना आवश्यक नहीं था। किसी भी परंपरा, गण, गच्छ से संबंधित होने पर भी युग प्रभावकता के कारण उनको कालक्रम के अनुसार अनुक्रम से इस स्थविरावली में वंदन किया गया है।
गुरु-शिष्य परंपरा में आचार्य संभूतविजय के बाद शिष्य स्थूलभद्र का, महागिरि के बाद बलिस्सह का उल्लेख होना चाहिए। आचार्य सुहस्ती की शाखा में आचार्य स्थूलभद्र के बाद सुहस्ती और सुहस्ती के बाद सुस्थित-सुप्रतिबद्ध का क्रम है। इस स्थविरावली में संभूतविजय के बाद भद्रबाहु का, महागिरि के बाद सुहस्ती का उल्लेख है तथा आगे के क्रम में स्कंदिल आदि आचार्यों का उल्लेख है, जो सुहस्ती की परंपरा के विद्याधर आम्नाय से संबंधित थे। अतः अनुयोगधरों की इस परंपरा में दूष्यगणी के बाद देवर्द्धिगणी का नाम होने मात्र से वे उनके शिष्य सिद्ध नहीं होते। कल्प स्थविरावली में गुरु-शिष्य परंपरा के क्रम से आचार्यों के नाम हैं। कल्प स्थविरावली के गद्य भाग में अंतिम नाम षाण्डिल्य का है। देवर्द्धिगणी के नाम का उल्लेख नहीं है पर स्थविरावली के अंत में गद्य भाग पूर्ण होने के बाद एक पद्य है जो देवर्द्धिगणी की विशेषताओं को प्रकट करता है। इस स्थविरावली में आदि से अंत तक आचार्य सुहस्ती से संबंधित गुरु-शिष्य परंपरा प्रस्तुत की गई है। इस आधार पर देवर्द्धिगणी सुहस्ती की परंपरा के आचार्य षाण्डिल्य के शिष्य सिद्ध होते हैं। मुनि कल्याणविजयजी की यह समीक्षा अधिक शोधपूर्ण और साधार प्रतीत होती है।
*जन्म एवं परिवार*
देवर्द्धिगणी के गृहस्थ जीवन का परिचय प्रदान करने वाली प्रामाणिक सामग्री नहीं के बराबर है। कल्पसूत्र स्थविरावली के अनुसार क्षांत, दांत, मृदुता आदि गुणों से संपन्न सूत्रार्थ रत्नमणियों के धारक आचार्य देवर्द्धिगणी काश्यप गोत्रीय थे। लोकश्रुति के आधार पर वह सौराष्ट्र नरेश अरिमर्दन के राजसेवक कामर्द्धि क्षत्रिय के पुत्र थे। उनकी माता का नाम कलावती था। माता ने ऋद्धि संपन्न देव को स्वप्न में देखा था। उसी स्वप्न के आधार पर पुत्र को देवर्द्धि संज्ञा से अभिहित किया गया है। देवर्द्धि को मित्र देव द्वारा उद्बोध प्राप्त हुआ।
*आचार्य देवर्द्धिगणी द्वारा किए गए आगम सम्पादन कार्य* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 28* 📝
*हरचंदलालजी सिंधड़*
*स्वामीजी के चरणों में*
संवत् 1849 में स्वामी भीखणजी ने माधोपुर में चातुर्मास किया। वहां से विहार कर फाल्गुन मास में वे जयपुर पधारे। जौहरी बाजार की काली हाटों पर बनी मैंड़ियों में विराजे। जयपुर में स्वामीजी का वह प्रथम और साथ ही अंतिम पदार्पण था। वे वहां बाइस दिन रुके। लोगों का बहुत आवागमन रहा। अनेक व्यक्तियों ने धार्मिक तत्त्व को समझा परंतु उनमें से श्रद्धाशील बहुत थोड़े ही बने। क्योंकि उस समय तेरापंथी बनने वालों को सामाजिक बहिष्कार का भय रहता था।
स्वामीजी के आगमन से जयपुर में धार्मिक वातावरण में जो हलचल पैदा हुई उसे सामान्य से लेकर विशेष व्यक्तियों तक ने अनुभव किया। लाला हरचंदलालजी भी उस हलचल से परिचित हुए। उन्होंने धार्मिक क्षेत्रों में इतनी हलचल पहले कभी नहीं देखी थी। स्वभावतः ही वे स्वामीजी के व्यक्तित्व से आकृष्ट हुए और उनके संपर्क में आए। एक दिन आए तो दूसरे दिन अपने आप को रोक नहीं सके। इस प्रकार निरंतर संपर्क और तत्त्व चर्चा ने उनको नई दृष्टि प्रदान की। उन्होंने सारी बातें समझ लेने के पश्चात् स्वामीजी को गुरु धारण कर लिया।
उनके पिता कट्टर मंदिरमार्गी थे, अतः गुरु धारणा लेने के पश्चात् भी स्वामीजी से कहा आप इसे प्रकट न करें, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे किसी कार्य से पिताजी का मन खिन्न हो।
स्वामीजी को इसे प्रकट करने की कोई उत्सुकता नहीं थी, वे तो केवल तत्त्व समझाना ही चाहते थे। फिर भी हरचंदलालजी के साक्षी व्यक्तियों को तो उस बात का पता था ही।
*किसके द्वारा व किसको दी गई सामयिक प्रेरणा से जयपुर तेरापंथी क्षेत्र बना...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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👉 विजयवाड़ा - “निर्माण” एक नन्हा कदम स्वच्छता की और कार्यक्रम
👉 हुबली: शांतिनाथ इंग्लिश मिडियम स्कूल में "युवा दिवस" और "सोशल मिडिया कार्यशाला" का आयोजन
👉 पिंपरी - चिंचवड (पुणे) - शिलान्यास का कार्यक्रम जैन संस्कार विधि से सम्पन्न
👉 पिम्परी - चिंचवड (पुणे) - जैन संस्कार विधि के बढते कदम
👉 सेलम: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा "ENTER INTO THE NEW ERA (नए युग में करे प्रवेश..) कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
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👉 अहिंसा यात्रा के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "आनन्दपुर आश्रम" (आसनसोल) पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - आनन्दपुर आश्रम (आसनसोल)
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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