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today pravachan संघर्ष पक्ष से नहीं विपक्ष से करने से सफलता मिलती है | -आचार्य श्री विद्यासागर जी 🙂⚠️
चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की बांस काफी लम्बे होते हैं और ऊपर की ओर परस्पर तोरण द्वार की तरह लगते हैं | पंडित जी कहते हैं न की दोनों हांथों को ऊपर उठाओ और हांथ जोड़कर शिखर बनाकर जय कारा लगाओ उसी तरह बांस भी एक - दुसरे से जुड़े हुए रहते हैं, एक - दूसरे से गुथे हुए होते हैं | यदि कोई बांस को नीचे से काटे और खिचे तो उसे ऊपर से निकालना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि बांस एक - दूसरे से मिलकर गुथे हुए रहते हैं | इसी प्रकार यदि आप लोग भी एक - दूसरे के सांथ मिलकर रहेंगे तो कोई बाहर का भीतर घुस भी नहीं सकता और कोई झांक तक नहीं सकता की अन्दर क्या है| यदि संघर्ष विपक्ष से हो तो सफलता मिलना तय है परन्तु यदि संघर्ष पक्ष से हो तो उसकी घर्षण से अग्नि उत्पन्न होती है और सब कुछ जलकर ख़ाक हो जाता है | इसलिए यदि सफलता पाना है तो संघर्ष पक्ष से नहीं विपक्ष से करना चाहिए | इसी प्रकार हमें अपने कर्म को संघर्ष से काटते रहना चाहिये जिससे आप अपनी मंजील की ओर बढ़ सकें और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें | यह जानकारी चंद्रगिरि डोंगरगढ़ से निशांत जैन (निशु) ने दी है।
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