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13-20 पंथवाद पर आचार्य श्री का अनूठा उपदेश!.. भगवन बाहुबली एकता का सन्देश देते हैं.. पंथवाद के कारन पहले ही बहुत बर्बादी हो चुकी हैं, आचार्य श्री गिरनार के लिए भी बोल चुके हैं.. दिगंबर व् स्वेताम्बर लोग साथ आकर इनके लिए काम करे तो जरुर इसका हल निकलेगा!! इन प्रवचनों के पढने के लिए बाद कम से कम जो पंथवाद में पड़े हुए हैं उन्हें सोचना चाहिए और अपनी कषाय कम करने का सोचना चाहिए.. और अगर कोई साधूजन भी पंथवाद का पोषण करते हैं तो उनसे भी हमें बचना चाहिए... पंथवाद जहर का काम कर रहा हैं हमारी society में! चाहिए 13 पंथ की अति हो या 20 पंथ की अति क्योकि पन्थ्वादी व्यक्ति धर्मं को नहीं देखता और अपना विवेक खोकर पंथ को मानने लग जाता हैं और इससे जो कषाय उत्पन्न होती हैं उसमे ही ख़ुशी मानने लग जाता हैं और धर्मं का आनंद खो जाता हैं!
please share maximum this pravachan ''श्रवणबेलगोला स्थित गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक में शामिल होना सभी का कर्तव्य'' - #आचार्य_विद्यासागर जी महाराज
गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली महामस्तिकाभिषेक की प्रभावना रथ यात्रा अतिशय क्षेत्र चंद्रगिरि ड़ोंगरगढ़ में संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी महराज के आशीर्वाद हेतु पहुँची। परम पूज्य आचार्य श्री ने ससंघ पहुँच कर रथ में विराजमान सभी प्रतिष्ठित प्रतिमाओं के दर्शन किये एवं रथयात्रा के राष्ट्रीय संयोजक पं. श्री सुरेश जैन “मारौरा” इंदौर एवं उनकी पूरी टीम तथा समस्त समिति को अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान किया ।
दोपहर में आयोजित धर्मसभा में पू, आचार्य श्री ने कहा कि गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली की प्रतिमा 1000 वर्षों से त्याग और एकता का संदेश समस्त विश्व को दे रही है। दूरी काफी होने की वजह से महमस्तकाभिषेक में शामिल होना हमारे लिए संभव नही है। आचार्य श्री ने आगे कहा कि दिगम्बर जैन धर्म की एकता के प्रतीक भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक में सभी श्रावकों को अपना कर्तव्य समझ कर शामिल होना चाहिए और सभी को अभिषेक करना चाहिए।
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स्फटिक मणि की चंदा प्रभु की प्रतिमा चंदा प्रभु जो फ़िरोज़ाबाद (UP) में विराजमान है। आज भी ये प्रतिमा दिन में कई बार अपना रंग बदलती है। कहते हैं लंकापति रावण इस प्रतिमा की पूजा करता था ओर वहाँ से श्री राम इसे अयोध्या लेकर आए थे। उसके बाद चंदवार के राजा इसको अपने यहां लेकर आए थे और मुगल काल में जब जैन मंदिर ओर प्रतिमा को खंडित किया जा रहा था तब राजा ने इस प्रतिमा को यमुना नदी में विसर्जित कर दिया था। सैकड़ों वर्षों बाद एक बुढी माँई को एक स्वप्न आया कि हम यमुना में है हमें बहार निकालो बुढी माँई ने बोला भगवान इतनी बड़ी यमुना है भादो का महीना है। यमुना में सिर्फ पानी ही पानी है हम आपको कहाँ ढूंढेंगे? तो जबाव आया कि एक फूलों से भरी टोकरी नदी में छोड़ीये और जहाँ वो टोकरी रूक जाये बस वही हम हैं। इस। तरह श्री जी यमुना नदी से प्रकट हुए।
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श्रवणबेलगोला स्थित गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक में शामिल होना सभी का कर्तव्य- #आचार्य_विद्यासागर जी महाराज #SharePls
गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली महामस्तिकाभिषेक की प्रभावना रथ यात्रा अतिशय क्षेत्र चंद्रगिरि ड़ोंगरगढ़ में संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी महराज के आशीर्वाद हेतु पहुँची।
परम पूज्य आचार्य श्री ने ससंघ पहुँच कर रथ में विराजमान सभी प्रतिष्ठित प्रतिमाओं के दर्शन किये एवं रथयात्रा के राष्ट्रीय संयोजक पं. श्री सुरेश जैन “मारौरा” इंदौर एवं उनकी पूरी टीम तथा समस्त समिति को अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान किया ।
दोपहर में आयोजित धर्मसभा में पू, आचार्य श्री ने कहा कि गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली की प्रतिमा 1000 वर्षों से त्याग और एकता का संदेश समस्त विश्व को दे रही है। दूरी काफी होने की वजह से महमस्तकाभिषेक में शामिल होना हमारे लिए संभव नही है। आचार्य श्री ने आगे कहा कि दिगम्बर जैन धर्म की एकता के प्रतीक भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक में सभी श्रावकों को अपना कर्तव्य समझ कर शामिल होना चाहिए और सभी को अभिषेक करना चाहिए।
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