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अपने प्रणेता संग #अहिंसा_यात्रा पुनः पहुंची बंग धरा पर
-#महातपस्वी #आचार्य_श्री_महाश्रमण ने फिर किया लगभग #19_किमी का प्रलंब विहार
-#झारखंड के बोकारो से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला महातपस्वी के ज्योतिचरण से हुआ पावन
-प्रलंब विहार कर पुरुलिया के #बेलाकुड़ी स्थित #रामकृष्ण_विवेकानंद_मिशन_गर्ल्स_स्कूल पहुंचे आचार्यश्री
-#स्वाध्याय की बाधाओं को पार कर ज्ञान सम्पन्न बनने की आचार्यश्री ने दी पावन #प्रेरणा
-बदला मौसम का मिजाज कल से छाए बादलों से आज हुई हल्की बूंदाबांदी
10.12.2017 बेलाकुड़ी, पुरुलिया (पश्चिम #बंगाल)ः जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी रविवार को अपनी अहिंसा यात्रा व धवल सेना संग एकबार पुनः खनिजों की धरती झारखण्ड के बोकारो जिले को छोड़ बंग धरा पर पधारे तो मानों बंग धरा पुलकित हो उठी। अखंड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने एकबार पुनः अपनी परिव्राजकता की अखंडता को वर्धमान रखा और लगभग 19 किलोमीटर का विहार कर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बेलाकुड़ी स्थित रामकृष्ण विवेकानंद मिशन गल्र्स स्कूल में पधारे।
शनिवार से ही आसमान में छाए बादलों ने मौसम से मानों ठंड को गायब कर दिया है। रविवार की प्रातः हल्के बादल पूरी तरह सघन हो चुके थे और उनकी सघनता इतनी बढ़ी थी कि उन्होंने सूर्य को ढंग रखा था, किन्तु धरती पर अध्यात्म के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी स्व-परकल्याण को अपने निर्धारित समय पर गतिमान हुए। यह महातपस्वी आचार्यश्री अपनी अखंड परिव्राजकता को बरकरार रखते हुए लगभग 19 किलोमीटर की यात्रा को निकल पड़े। कुछ किलोमीटर की यात्रा के बाद ही आचार्यश्री ने झारखंड की सीमा को अतिक्रांत कर बंग धरा पर चरण टिकाए।
रास्ते में आने वाले रूद्रा नामक गांव में आचार्यश्री ने अल्प विराम लिया। इस दौरान आचार्यश्री ने अमर पाण्डेय नामक व्यक्ति के स्थान में प्रातराश किया। ऐसे महापुरुष का अल्प समय का प्रवास प्राप्त कर रूद्रा गांव और पाण्डेय परिवार अपने आपको धन्य महसूस कर रहा था। आचार्यश्री वहां उपस्थित ग्रामीणों को अपने आशीष से आच्छादित कर आगे की ओर विहार किया। गंतव्य स्थल से कुछ दूरी थी की बादलों ने रिमझिम बूंदे गिरानी आरम्भ कर दी। ऐसा लग रहा था मानो ये रिमझिम बूंदे महातपस्वी का महाभिषेक कर रही थीं।
लगभग बारह बजे रामकृष्ण विवेकानंद मिशन गल्र्स स्कूल में पधारे महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अपनी मंगलवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आदमी के जीवन में स्वाध्याय का बहुत महत्त्व है। तीन ऐसी बाधाएं हैं जो स्वाध्याय मंे बाधक होती हैं। इनमें पहली बाधा है निद्रा की। आदमी को ज्यादा निद्रा लेने से बचने का प्रयास करना चाहिए। जो आदमी ज्यादा सोएगा, उसके पास भला स्वाध्याय के लिए कितना समय बचेगा। आदमी को निद्रा को बहुमान नहीं देना चाहिए। नींद आवश्यक है, किन्तु महत्त्वपूर्ण नहीं। आदमी को ज्यादा हंसी-मजाक से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। इससे भी स्वाध्याय में बाधा उत्पन्न होती है। हास्य का विवेक रखने का प्रयास करना चाहिए। तीसरी बाधा है मैथुन कथा में रस लेना। आदमी को इन्द्रियों का संयम करना चाहिए और मैथुन कथा से बचने का प्रयास करना चाहिए।
आदमी इन तीनों से सदैव बचने का प्रयास और यथावसर, यथानुकूलता निरंतर स्वाध्याय करने का प्रयास करना चाहिए। आगम का स्वाध्याय उच्च और स्वच्छ सामग्री है। स्वाध्याय से ज्ञान का विकास होता है। ज्ञान प्रकाश करने वाला होता है। यह अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करने वाला होता है। आदमी को सुपात्र को देख ज्ञान को बांटने का भी प्रयास करना चाहिए। यह एक ऐसा खजाना है तो बांटने से समाप्त नहीं होता, बल्कि निरंतर बढ़ता जाता है। आदमी स्वाध्याय के द्वारा स्वयं को ज्ञान सम्पन्न बनाने का प्रयास करे और उसके उपरान्त ज्ञान से विपन्न लोगों को भी ज्ञान से सम्पन्न बनाने का प्रयास करे तो यह एक कल्याण की बात हो सकती है।
संप्रसारक: जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा
10.12.2017
प्रस्तुति > #तेरापंथ मीडिया सेंटर
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News in Hindi
🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 10-12-2017
तिथि: - #पौष कृष्ण #आठम (08)
#रविवार त्याग/#पचखाण
★आज #जमीकंद खाने का #त्याग करे।
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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏तेरापंथ मीडिया सेंटर🙏
🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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