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नेरुल: देशभक्ति, प्रभु भक्ति और भैरव भक्ति आयोजन
Edited BY: दिनेश कोठारी,PUBLISH DATE: January 27, 2018
नेरुल। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर श्री नाकोड़ा भैरव दरबार मंडल की ओर से आयोजित देशभक्ति, प्रभु भक्ति और भैरव भक्ति नेरुल के स्वामी नारायण मंदिर में संपन हुई। भक्ति की रमझट जैन संगीतकार विपिनजी पोरवाल(बेंगलोर) और मंच संचालन भरत एन. कोठारी(कोसेलाव) ने किया गया।सुबह 10.30 बजे से शुरू हुई भक्ति दोपहर 3.30 बजे तक चलती रही। इस भक्ति में सैकड़ो लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संगीतकार विपिन पोरवाल ने भक्ति का ऐसा समा बांधा की बच्चे,जवान,महिलाएं और बुजुर्ग सभी भक्ति में शुरू से लेकर अंत तक भक्ति में नाचते रहे। मंडल अध्यक्ष गणेश सिंघवी ने कहा कि इस तरह की भक्ति नेरुल के प्रागण में पहली बार हुई। इस अवसर पर नाकोड़ा दरबार(मंडल)लालबाग के अध्यक्ष मनोज शोभावत,सचिव श्री नवरत्न धोका, श्री नाकोड़ा दरबार मंडल नेरुल के अध्यक्ष गणेश सिंघवी,मंडल कार्यकर्ता उनकी टीम और भक्तजन उपस्थित रहे ।
Source: © Facebook
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Dinesh Kothari
जैन समाज विरोधी बोल और असंवैधानिक गतिविधियों पर अंकुश जरुरी
Edited BY: दिनेश कोठारी,PUBLISH DATE: January 27, 2018
एक विशेष जैन विरोधी समूह अनोप मंडल के बेलगाम बोल और गतिविधियों से यह स्पष्ट हो जाता है कि वो एक जैन विरोधी समूह है,जो जैन समुदाय विरोधी गतिविधियो में लिप्त है।अगर गौर करे तो 100 वर्ष पूर्व राजस्थान के जालोर में एक जैन साहूकार के हाथों आदिवासी अनूपदास प्रताड़ित हुआ था। बस एक जैन साहूकार से गुस्साए अनूपदास के अनुआइओ ने पूरे जैन समुदाय को ही प्रताड़ित करने की सोच कायम कर ली हो।इसी सोच
ग़लतफ़हमी और जैनों के विरोधी प्रचार के लिए धीरे-धीरे विकसित इस मुहीम अंतर्गत "जगत हितकारणी" नामक एक पुस्तक भी लिखी गई जो सोसिअल मीडिआ पर जैनो के विरुध्द आग उगलती है। जिसे वेब साईट jagathitkarni पर देखा समझा और नोट किया जा सकता है। सालो -साल से शुरू हुई इस जैन विरोधी मुहीम और कुप्रचार विशेषकर राजस्थान के सिरोही -पाली जिले के कुछ शहरो और गांवो में तीव्र वृद्धि देखी जा रही है। अनूप मंडल के अनुआई अब सरेआम सभाए आयोजित कर,रैली -जुलुस निकालकर अपने बेलगाम बोलो और गतिविधियों से जैनो समुदाय के विरुध्द आग उगल रहे हैं। उनके विवादित और रटे-रटाए असवैधानिक बोलो में मुख्य रूप से जैन, जिन्न के अनुयायी है जिनका मकसद सम्पूर्ण धन दौलत अपने कब्जे में करना है। जैन साधू बारिश होना रोक सकते है जिस से गरीबों को साहूकार लूट सकें।जैनो को राक्षस जाति और रावण के वंश का बताते है। इससे भी आगे बढ़ कर जैनो को रावण, कंस, कौरव सहित राक्षस जाति में रखते है।
जैन समुदाय को अब यह भी शक होने लगा है कि कहीं जैन समुदाय के साधू -भगवंतो पर पिछले लंबे समय से गुजरात और राजस्थान में हो रहे सड़क/ट्रक हादसे कही जैन समाज के खिलाफ बढ़ रही गतिविधियों का परिणाम तो नहीं? सोसिअल मिडिया,जैन विरोधी पुस्तकें,साहित्य और वीडियो दिखा कर जैनो के खिलाफ निरंतर कुप्रचार हो रहा है। जैन विरोधी समूह को भडकाया जा रहा है। पर जैन समाज के एक मच से समाज विरोधी इन गतिविधियों पर अंकुश हेतु कोई ठोस पहल या कार्यवाही क्यों नहीं हो पा रही?
इसमें सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जैन समाज कई संघो और गच्छो में बट सा गया या बाँट दिया गया है। ऐसे में अगर कई कोई दिक्कत या समस्या हो तो वो उस क्षेत्र या संप्रदाय/गच्छ तक ही सिमित हो कर रह जाती है बाकी सभी मौनी बाबा बन जाते है।
ऐसे कई कानूनो का सहारा लेकर हम सामूहिक रूप से इन असामाजिक और असवैंधानिक गतिविधियों और समूह पर अंकुश लगा सकते है। जिनका मकसद सिर्फ और सिर्फ जैन साधू -भगवन्तो और जैन समुदाय के विरुद्द भीड़ इक्कठा कर रैली -जुलुस निकालकर उसमे बेलगाम बोल और नारे बाजी कर जैन विरोधी कुप्रचार करना है। अमानवीय, असंवैधानिक एवं अधार्मिक गतिविधियों पर समय रहते अंकुश जरुरी है इसके लिए समय रहते सम्पूर्ण समाज को एकजुट होना होगा और समाज विरोधी बेलगाम बोल और असंवैधानिक गतिविधियों पर नियमित निरीक्षण, निगरानी के लिए कुशल और प्रभावी तंत्र स्थापित किया जाए।जैन समुदाय के वो सभी धार्मिक,सामजिक और राजनीतिक मंचो पर सक्रिय लोग वैमनस्य से लबालब जैन समुदाय विरोधी प्रचार पर संवैधानिक प्रक्रिया के तहत अंकुश लगाए जाने के बारे में सोचे।