Update
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*05 /04/2018 *आचार्य श्री महाश्रमण*एवं चारित्रात्माओं के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना*
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🔹 *अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी का अपनी धवल सेना के साथ आंध्रप्रदेश राज्य के विजयनगरम जिले के सीथापुरम् में स्थित Z.P.H. स्कूल में प्रवास होगा। संभावित विहारपथ लगभग 9 किलोमीटर का होगा।*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4* का प्रवास
*श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट भवन*
*ट्रिप्लीकेन* चैनैई
☎9884200325
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*गोतम कुमार जी सेठीया*
43/1 गोपाल पिल्लैयार कोइल स्ट्रीट
*तिरुवन्नामलाई*
☎9108075692,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*सुरेशचन्द जी दक*
NO 778 दुसरा मेन केगेरी सेटेलाइट टाउन नीयर ललिता H.P. गैस *उपनगर केगेरी* बैगलौर
☎9448374522,9448383315
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*साहुकारपेट* चेन्नैइ
☎8107033307,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*धर्मीचन्द जी बांठिया के निवास स्थान पर*
*पोलुर*
(तिरूवन्नामलाई- वेलूर रोड)
☎9566296874,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*राजेश जी श्यामसुखा के निवास स्थान पर*
*विजयवाड़ा*
(विशाखापट्टनम -चेन्नई रोड)
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*इन्द्रचन्द जी बुच्चा*
KALPAVRIKSH
22/23-LIC Colony, Robertson Road,
R.S.Puram, *Coimbatore* -02 ☎9672039432,7200690967
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा ५* का प्रवास
*श्री मदनचन्दजी राकेशकुमारजी बाफ़ना*
*185 Strhans road (babu st corner*)
*Pattalam ch* 12
☎8890788494,9444049706
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*SRS कल्याण मंडप से 8.8 km का विहार करके 72 Jinalaya Akampeda पधारेंगे*
☎9290516171,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*ग्रेनाईट फेक्ट्री*
*नमकलपालम* (विशाखापट्टनम- विजयवाड़ा रोड)
☎9959037737
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमलप्रज्ञा जी ठाणा 10* का प्रवास
*Hrinkar Tirth Tempal से 14.5 km का विहार करके *तेरापंथ भवन गुंटुर padharenge*
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रमिला कुमारी जी ठाणा 5* का प्रवास
*लक्ष्मीपत जी कोठारी*
Kothari nivas Lalithanagar Nager
*Visakhapatnam*
☎:9014491997,8290317048
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*श्री कन्हैया लाल जी नवीन जी बोथरा*
32/5B manonmaniammal street *kilpauk -Chennai*
(opposite to motcham theatreAdjacent road to Aiyssha hospital)
☎8428020772,9840252251
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*Vellar School*
तोपुर टोलगेट के पास
(सेलम - कृष्णगिरि रोड)
☎9629840537,9443348582
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पारस गार्डन रायचुर*
☎9845123211,8830043723
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*Jain Bhavan* *OTTY* से 12 km विहार करके *कलहटी* पधारेगे
☎9442251218,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*सुरेश जी भुतेड़िया के निवास स्थान पर*
UD Hotel ke Samne
3RD Block Jaynager
Bangalore* (कर्नाटक)
☎7798028703,9448385582
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Update
♦ *12) आचार्यश्री महाश्रमण के जीवन प्रसंग*
परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी अनी पश्चिम बंगाल की यात्रा के दौरान प्रतिदिन विहार कर रहे थे और गर्मी क्रमशः प्रखर बनती जा रही थी। एक दिन साध्वीप्रमुखाजी ने पूज्यप्रवर से निवेदन किया--‘गुरुदेव के सुबह प्रस्थान और गंतव्य तक पहुंचने में विलंब होता है। उस समय तक धूप काफी बढ़ जाती है। आचार्यप्रवर कुछ शीघ्रता करवाएं तो कुछ कष्ट टल सकता है।'
पूज्यप्रवर ने इस प्रसंग पर कुछ विस्तृत चर्चा की और सार स्वरूप फरमाया--‘इस आतापना को कष्ट का कारण मानने की अपेक्षा निर्जरा का साधन मानना चाहिए। प्राचीन समय में तो ऋषि ‘उड्ढं बाहु’ (खुले बदन हाथों को ऊपर की ओर उठाकर) आतापना लेते थे। मैं वैसे आतापना नहीं लेता। सहज रूप में थोड़ी-बहुत धूप सहकर कुछ तपस्या तो हो ही सकती है। प्रासंगिक रूप में सूर्य किरणों से शरीर भी स्वस्थ रह सकता है।’ आचार्यप्रवर की कष्ट सहिष्णुता और निर्जरार्थिता के सम्मुख उपस्थित लोग श्रद्धाप्रणत थे।
🌸 *अभिवन्दना के सुनहरे अवसर* 🌸
*आचार्यश्री महाश्रमण 57वां जन्मदिवस*
24 अप्रेल 2018
*आचार्यश्री महाश्रमण 9वां पदाभिषेक दिवस*
25 अप्रेल 2018
*आचार्यश्री महाश्रमण 45वां दीक्षा दिवस*
29 अप्रेल 2018
*वन्दन* 🙏🏼 *अभिवन्दन* 🙏🏼 *अभिनन्दन*
👉 *महावीर जयंती पर प्रभात रेली एवं अन्य कार्यक्रम-*
🔹 श्री गंगानगर
🔹 कानपुर
🔹सूजानगढ़
🔹राउरकेला
🔹 कुचविहार
🔹मंगलोर
🔹चूरू
🔹रतनगढ़
🔹जोरहाट
🔹इस्लामपूर
🔹 दालकोला एवं किशनगंज
👉 अहमदाबाद - गुजरात स्तरीय आंचलिक कन्या कार्यशाला में पर्वत पाटिया, सूरत की प्रस्तुति
👉 व्यारा (गुजरात) - अणुव्रत समिति का गठन
👉 मंडिया (कर्नाटक) - अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की संगठन यात्रा
👉 रायपुर - अ.भा.ते.म.म. के राष्ट्रीय अध्यक्षा एवं महामंत्री की संगठन यात्रा
👉 डेगाना -साध्वीवृंद का मंगल प्रवेश एवं अभिनंदन समारोह का कार्यक्रम
👉 ट्रिप्लिकेन, चेन्नई: "आध्यात्मिक मिलन समारोह" का आयोजन
👉 बेहाला (कोलकाता) - तत्वज्ञान एवं तेरापंथ दर्शन की द्वितीय कार्यशाला का आयोजन
👉 राजाजीनगर (बेंगलुरु) तेरापंथ दर्शन एवं तत्त्वज्ञान कार्यशाला आयोजित
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Update
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 296* 📝
*अमेय मेधा के धनी आचार्य हरिभद्र*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
आचार्य जिनभद्र द्वारा निर्देश पाकर एक सुदक्ष श्रावक कोपाविष्ट आचार्य हरिभद्र के पास पहुंचा और उसने प्रार्थना की "आर्य! मैं गुरुदेव जिनभद्र के पास प्रायश्चित्त लेने के लिए गया था। उन्होंने मुझे प्रायश्चित्त ग्रहणार्थ आपके पास भेजा है। मेरे से पंचेंद्रिय जीव की विराधना हो गई है। इससे मेरा मन बहुत खिन्न है। आप मुझे कृपा कर प्रायश्चित्त प्रदान करें।"
हरिभद्र उन्मुख होकर बोले "सुबहुप्रायश्चित्तमेष्यति" तुम्हें बहुत प्रायश्चित्त करना होगा। श्रावक बोला "मुझे इतना प्रायश्चित्त प्रदान कर रहे हैं, आपको इस हिंसा के लिए कितना प्रायश्चित्त वहन करना होगा?"
सुविज्ञ हरिभद्र ने समझ लिया यह प्रेरणा श्रावक के माध्यम से आचार्य जिनभद्र की है। उन्होंने लज्जा से अपना मुख नीचे कर लिया।
श्रावक पुनः बोला "गुरुदेव ने कहलाया है कि आपने समरादित्य चरित्र को पढ़ा या नहीं? वैर का कटु परिणाम जन्म-जन्मांतर तक भोगना पड़ता है। आप व्यर्थ ही रोषारूण होकर इतने बड़े वैर का बंध क्यों कर रहे हैं?"
श्रावक के मुख से आचार्य जिनभद्र की शिक्षा को सुनकर आचार्य हरिभद्र का अंतर्विवेक जागा। वे हिंसा के कार्य से सर्वथा निवृत्त हुए। प्रायश्चित्त ग्रहण कर विशुद्ध हुए। उसके बाद उन्होंने आचार्य जिनदत्त द्वारा प्रेषित श्लोकों के आधार पर समरादित्य कथा की रचना प्राकृत भाषा में की।
ये हिंसात्मक प्रसंग आचार्य हरिभद्र के चरित्र निष्ठ व्यक्तित्व के साथ अप्रासंगिक लगते हैं।
कथावली के अनुसार आचार्य हरिभद्र के शिष्य जिनभद्र और वीरभद्र थे। चित्रकूट में आचार्य हरिभद्र के असाधारण प्रभाव से कुछ व्यक्तियों में ईर्ष्या का भाव पैदा हुआ और उन्होंने उनके दोनों शिष्यों को गुप्त स्थान पर मार दिया। यह प्रसंग आचार्य हरिभद्र के हृदय में सुतीक्ष्ण शस्त्र की तरह घाव कर गया। उन्होंने अनशन करने की सोची। उनकी निर्मल प्रतिभा से जैन शासन की प्रभावना की संभावना थी, अतः सबने मिलकर उन्हें इस कार्य से रोका।
आचार्य हरिभद्र ने संघ की बात को सम्मान प्रदान कर अपने चिंतन को मोड़ा। शिष्य संतति के स्थान पर वे ज्ञान संतति के विकास में लगे। उनकी वृत्तियों का शोध हुआ, पर शिष्यों की वेदना उनके हृदय में कम न हुई। प्रभावक चरित्र ग्रंथ के अनुसार गुरु द्वारा प्रेषित श्लोकों को पढ़कर हरिभद्र ने कोप का परित्याग किया। वे गुरु के पास प्रायश्चित्त लेकर शुद्ध हुए पर उनके भीतर में शिष्यों के विरह की ज्वाला शांत नहीं हुई। अंबादेवी ने प्रगट हो कर कहा "आर्य! शिष्य संतति का लाभ आपको प्राप्त होने वाला नहीं है। ग्रंथ संतति ही आपके नाम को दीर्घकाल तक उजागर करेगी।" देवी वचनों से प्रेरणा प्राप्त कर हरिभद्र ग्रंथ रचना में लगे। उन्होंने समरादित्य चरित्र आदि 1400 ग्रंथों का निर्माण किया। ग्रंथ के अंत में उन्होंने विरह शब्द का प्रयोग किया है, जो उनकी विरह-वेदना का सूचक था। आज हरिभद्र कृत ग्रंथों की पहचान अंत में प्रयुक्त विरह शब्द से होती है। आचार्य हरिभद्र के साधनाशील जीवन की भूमिका पर यह प्रसंग स्वाभाविक प्रतीत होता है।
*आचार्य हरिभद्र द्वारा रचित साहित्य* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 120* 📝
*माईदासजी गाधिया*
*क्रय-विक्रय का चक्र*
माईदासजी की दुकान पर माल बम्बई से आया करता था। उस युग में इतनी दूर से माल मंगाने में परिवहन की जो कठिनाइयां थीं, उन्हें आज का व्यक्ति शायद कठिनता से ही समझ पाएगा। आज जो माल घंटों में पहुंच सकता है, वह उन दिनों महीनों में पहुंचा पार पड़ता था। लंबे मार्ग के विभिन्न खतरों से बचकर माल व मालवाहकों का सकुशल अपने लक्ष्य तक पहुंच पाना सौभाग्य की ही बात मानी जाती थी। माईदासजी मुख्यतः कपड़े का व्यापार किया करते थे। बम्बई से कपड़े का क्रय किया जाता और वहां से स्टीमर द्वारा गोवा पहुंचाया जाता। वहां वह बैलगाड़ियों पर लादा जाता जो कि रेंगती हुई चाल से पहाड़ी मार्गों को पार करती हुई काफी लंबे समय के पश्चात सिमोघा पहुंच पाती थीं।
माल पहुंचते ही वे अपने सभी प्रकार के ग्राहकों में उसे विक्रय के लिए यथानुरूप विभक्त कर दिया करते। उनके ग्राहक उनकी शालीनता, सौहार्द और सहयोग भावना से प्रभावित होकर उन्हीं के पास आते रहते थे। इस प्रकार क्रय और विक्रय का चक्र संसार-चक्र की ही तरह अविरल गति से चलता रहता, जो कि स्व और पर दोनों की भलाई में लगता रहता। वे संग्रह करना भी जानते थे और व्यय करना भी।
*जीवन क्रम*
अपने जीवन के अंतिम वर्षों में वे मारवाड़ में अधिक रहने लग गए। धर्म-ध्यान में रुचि पहले भी थी, वृद्धावस्था में वह और परिपक्व होकर बढ़ती गई। साधु-साध्वियों का उधर के क्षेत्रों में बहुधा गमनागमन होता रहता था, अतः सेवा और दर्शन का लाभ उन्हें सहज ही मिल जाया करता था। आचार्यश्री के दर्शनार्थ समय-समय पर जाते रहते थे। ऋषिराय से लेकर माणकगणी तक चार आचार्यों का युग देखने का उन्हें अवसर मिला था। सैकड़ों व्यक्तियों को उन्होंने सम्यक् श्रद्धा की ओर उन्मुख किया था। आर्थिक क्षेत्र की ही तरह धार्मिक क्षेत्र में भी अपने युग के वे एक प्रभावशाली व्यक्ति माने जाते थे।
सामाजिक क्षेत्र में भी अपने चोखले कि वह अद्वितीय व्यक्ति थे। सामान्य किसान से लेकर धनी तक, साधारण स्त्री-पुरुष से लेकर बड़े-बूढ़ों तक के मन में उनके प्रति आदरभाव था। जीवन के विविध उतार-चढ़ावों, मानापमानों और सुख-दुःखों ने उन्हें जो अनुभव प्रदान किए थे, उन्होंने जनहित के कार्यों में उनका भरपूर उपयोग किया। अर्थ क्षेत्र हो चाहे सेवा क्षेत्र अवसर मिलने पर दूसरों का सहयोग करने में उन्होंने कभी कृपणता नहीं की। उदारता उनके स्वभाव का जैसे अनिवार्य अंग बन गई थी। धार्मिक और सामाजिक दोनों ही क्षेत्रों में उन्होंने अपने समय और शक्ति का बड़े संतुलित प्रकार से उपयोग किया। ये ही कुछ कारण थे, जिनसे उनके समग्र जीवन में एक प्रकार की महनीयता व्याप्त हो गई और वे लोकप्रिय व्यक्ति बन गए।
*आचार्यश्री डालगणी ने गुढ़ा में अचानक साधु-साध्वियों के चातुर्मास करवाने बंद क्यों कर दिए...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 *विशाखापत्तनम (आ.प्र.) - अणुव्रत महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महामंत्री की संगठन यात्रा*
👉 *विजयनगरम (आ.प्र.) - अणुव्रत महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महामंत्री की संगठन यात्रा*
👉 कोलकाता - भगवान महावीर जयंती पर रैली एवं कार्यक्रम का आयोजन
👉 सेलम - राष्ट्रीय स्तर पर चेतना पुरस्कार से अलंकृत का सम्मान समारोह
👉 हिरियुर - श्री उत्सव मेला का आयोजन
👉 हासन - अभातेममं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य संगठन यात्रा पर
👉 सेलम - निर्माण एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर
प्रस्तुति: *🌻 संघ संवाद 🌻*
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News in Hindi
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "नरशीपुरम्" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - जनहित इंग्लिश मीडियम स्कूल,नरशीपुरम् जिला - विजयनगरम (आंध्रप्रदेश)
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
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♦ *11) आचार्यश्री महाश्रमण के जीवन प्रसंग*
सन् 2017 में कोलकाता चतुर्मास के दौरान एक दिन लोकसभा सांसद और पश्चिम बंगाल तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष श्री सुब्रत बक्सी ने आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन किए। आचार्यप्रवर की उपासना के दौरान श्री बक्सी बोले--‘गुरुजी! ऐसा आशीर्वाद दीजिए, जीवन में अच्छा काम करते रहें। परेशानी का सामना न करना पड़े। अच्छा काम करते हुए भी परेशानियां आ जाती हैं। बस, वे न आएं।’
आचार्यप्रवर: ‘अच्छा कार्य करते हुए कठिनाइयां आ सकती हैं, संघर्ष आ सकते हैं, विरोध हो सकता है, किन्तु उन स्थितियों में भी मनोबल का भाव रहना चाहिए। राजस्थानी में एक कहावत आती है--‘सीरो खातां दांत घिसे तो घिसण द्यो। मारग बहतां लोग हंसे तो हंसण द्यो।’ अर्थात् हलुआ खाते हुए दांत घिस जाए तो भी परवाह नहीं करनी चाहिए और सही मार्ग पर चलते हुए लोग हंसने लगे तो भी परवाह नहीं करनी चाहिए।’
श्री बक्सी: ‘आप यही आशीर्वाद दे दीजिए कि कठिनाइयों में भी हमारा मनोबल बना रहे। इसके लिए हमें शक्ति आपसे ही मिलेगी। क्योंकि कठिनाइयों में इंसान का मनोबल दुर्बल हो जाता है। ऐसी स्थिति में आपकी ऊर्जा ही मुझे तूफानों में भी खड़े रहने की ताकत देगी।’
आचार्यप्रवर ने मंद मुस्कान के साथ आशीर्वाद प्रदान किया।
🌸 *अभिवन्दना के सुनहरे अवसर* 🌸
*आचार्यश्री महाश्रमण 57वां जन्मदिवस*
24 अप्रेल 2018
*आचार्यश्री महाश्रमण 9वां पदाभिषेक दिवस*
25 अप्रेल 2018
*आचार्यश्री महाश्रमण 45वां दीक्षा दिवस*
29 अप्रेल 2018
*वन्दन* 🙏🏼 *अभिवन्दन* 🙏🏼 *अभिनन्दन*
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