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2 विद्यासागर जी एक साथ.. आचार्य विद्यासागर जी तथा मुनि विद्यासागर जी... 😊
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आशा फिर से हुई बलवती
बुन्देली बयार की
चलो करें अगवानी अब तो
अपने तारणहार की
देव दुन्दुभियां बजा रहे हैं
गली गली में शोर है
चलते फिरते तीर्थ को पाकर
कण कण भाव विभोर है
तोरण द्वारे सजे हुए हैं
रंगोली सत्कार की
चलो करें अगवानी अब तो
अपने तारणहार की
आँख मिचौली धूप खेलती
मौसम भी बलिहारी है
बुंदेलखंड कब गुरुवर पहुँचे
यह सबकी तैयारी है
सूरज की गति मद्धिम पड़ गई
देख चाल सरकार की
चलो करें अगवानी अब तो
अपने तारणहार की
ऊसर भूमि जन्हा गुरु ने
चलते फिरते सुमन खिलाये
"बुंदेलखंड में प्रतिभास्थली"
सबके सोए भाग जगाये
नई इबारत फिर लिखेगी
शिक्षा और संस्कार की
चलो करें अगवानी अब तो
अपने तारणहार की
✍जैन ब्रजेश सेठ,पाटन
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News in Hindi
इस युग के भगवान का हुआ उस युग के भगवान से महा मिलन जिसने भी देखा वह आश्चर्यचकित रह गया ऐसे अनोखे और पुलकित कर देने वाले नयनाभिराम दृश्यों को
_जी हाँ यहां बात हो रही है कल जब आचार्य भगवन का मंगल प्रवेश जबलपुर हनुमानताल जैन मंदिर में हुआ तो जैसे ही उनकी नजर भगवान के मुख की ओर हुई तत्काल ही उन्होंने अपने दोनों हाथों में अपनी पिच्छिका उठाकर नमन निवेदित किया और आंखों को बंद कर मन ही मन आपसी संबाद करने में लग गए देखने वालों को तो ऐसा ही लगता रहा कि वह स्तुति कर रहे है किंतु उतने वक़्त में तो अपने मन की सारी बातों का आपस मे कहना सुनना हो गया तत्पश्चात संघ के अन्य साधुओ को अपने हाथों के इशारे से विराजमान भगवान के रूप लावण्य और उनकी विशेषतम विशेष गुणों को अलंकृत करते हुए बताने लगे_ ।
*कभी भगवान के जिनबिम्ब को दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करते तो कभी सिर को उनके चरणों मे झुकाते हुए तीन लोक के नाथ के श्री चरणों मे अपनी श्रद्धा भक्ति अर्पित करते तो कभी भगवान से उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा को संग्रहण करते और फिर माध्यम बन कर सभी समाजजनों को आशीर्वाद रूप प्रेषित कर धन्य धन्य भी करते जा रहे थे उनकी मन मोहनी मुस्कान को देखने वालों की भीड़ इतनी अधिक थी कि यदि सामने सरोबर ना बना होता तो वहां खड़े प्रत्येक व्यक्ति के मात्र मस्तिष्क के शीर्ष भाग के मिलने से एक मैदान सा दिखाई देता जो सड़क के दोनों और खड़ी भीड़ को देखकर महसूस किया गया*
_जबलपुर की समस्त जनता ने कल अपनी अखियन से अपने आराध्य के दर्शन किये और भावना भाई की गुरुदेव का प्रवास संस्कारधानी में ही हॉवे किन्तु गुरुदेव तो गुरुदेव है उनके मन की थाह लेना बड़ा ही कठिन है अब कल निश्चित होगा कि अगली मंजिल किस ओर है हमारे कयास लगाने से कुछ नही होने वाला बस भावना भाना हमारा कर्तव्य है जिसमे हम एक भी चूक नही करना चाहते और इसी भावना को निरन्तर भाये जा रहे है कि *कभी ना कभी तो आओगे जरूर*_
*भगवान तो नही परंतु भगवान सम दिखाई देने वाले पुरुदेव जिनके निज नगर आगमन में पलक पावड़े बिछाकर इंतजार कर रहा हूँ ऐसे आचार्य भगवान विद्यासागर जी महाराज के चरणों मे सत सत वन्दन*
*श्रीश ललितपुर*
🔔🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩🔔
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