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गुरुदेव का आज का रात्रि विश्राम @: देव दूल्हा ग्राम
टेंट में.. today exclusive evening picture.. श्रमण सूर्य आचार्य विद्यासागर जी मुनिराज!!! 🙂🙂
मेरे गुरुवर निकल पड़े हैं
जंगल मंगल करने को
फूल पत्तियाँ कंकर पत्थर
मचल पड़े हैं तरने को
धुल धूसरित राहें कहती
गुरुवर हमको भी तारो
राह ताकते थे वर्षों से
पग धरकर अब उद्धारो
कांटे पथ के उछल उछलक़र
इधर उधर होकर बोलें
धन्य भाग गुरुवर है आये
चल अपने पापों को धोलें
खर खर करती सूखी झाड़ियाँ
मस्ती में झूमें गायें
देख छवि मेरे गुरुवर की
मन्द मन्द सब मुस्काएं
✍जैन ब्रजेश सेठ पाटन
देश की राजधानी दिल्लीें गुरुवर प्रणम्य सागरजी ससंघ मुनि श्री वीर सागर जी ससंघ पंच ऋषिराज के लिए बनी बुन्देलखण्ड जैसी #today_vihar_pic
🚩 *वर्तमान में सर्वत्र दिनकर सम जैन धर्म की रश्मियों को अपनी त्याग तपस्या से चारो तरफ बिखेर रहे आचार्य भगवन के कदम जब सर्वप्रथम इस बुंदेलखंड की धरा पर पढ़े थे तब यह वसुंधरा वीरान से लगती थी,धर्म तो सुदूर केवल दक्षिण प्रान्त में दिखाई देता था पर अपने अल्पवय उम्र में आचार्य भगवन के चरणरज पाने का सौभाग्य बुंदेलखंड वासियो को मिला तो धर्म प्रभावना के नित नए सोपान यहां रचते चले गए*🚩
📯 *कभी जीवंत चेतन कृतियों का निर्माण तो कभी बुंदेली के देवता कुंडलपुर के बड़े बाबा की छांव में भक्तो का सैलाब,तो कभी जन जन के मन मे त्याग के भावों का, तो कभी अनेकानेक क्षेत्रो का निर्माण में लाखों रुपये के दान तो कभी कभी गाँव-गाँव,डगर-डगर साधु-संतों के दर्शन सुलभ हो गए।* 📯
*ये कृपा प्रसाद था बुंदेली के बड़े बाबा का ओर पुरूषार्थ था बुंदेली के छोटे बाबा का जिन्होंने अपनी निर्दोष चर्या से जैन धर्म को विश्व पटल पर ला दिया*
*ऐसे ही वर्तमान में बुंदेली के छोटे बाबा के आज्ञानुवर्ती शिष्यो के कदम पहली बार देश की राजधानी दिल्ली में पढ़े तो मानो समूची दिल्ली बुंदेलखंड में परिवर्तित हो गयी,जहाँ देखो धर्म की गंगा प्रस्फुटित हो रही है.....* 🌿🌿
*पंच बालयति ऋषिराज पूज्य मुनि श्री प्रणम्यसागर जी,पूज्य मुनि श्री चंद्रसागर जी,पूज्य मुनि श्री वीरसागर जी,पूज्य मुनि श्री विशालसागर जी,पूज्य मुनि श्री धवलसागर जी के कदम धीरे-धीरे समूची दिल्ली को पवित्र कर रहे है जहाँ जहाँ मुनि संघ पंहुचता है वहाँ वहाँ भक्तो की भीड़ लग जाती है,आहार देने की लिए लंबी लाइन लग जाती है लोग नियम संयम को भी जीवन मे अपना रहे है,इतने व्यस्त भागदौड़ भरी जिंदगी के बाद भी भक्त पूज्य महाराज श्री के चरणों मे दौड़े आ रहे है।*
*भक्तो को लगता है जैसे स्वयं आचार्य भगवन् अपने सुकुमाल संघ को लेकर देश की राजधानी में आ गए हो,उसी श्रृंखला में 15 अप्रैल को आचार्य भगवन के संयम स्वर्ण महोत्सव पर अद्भुत कार्यक्रम राजधानीवासियों ने किया है।जो आचार्य भगवन के प्रति दिल्लीवासियों की विनयांजलि होगी*
*अब तो राजधानी अपने आचार्य भगवन के चरणों के इंतजार में है कब आचार्य भगवन के चरण उनकी ओर बढ़े......* 🏵
🌿🌿 *सच मे पंच ऋषिराजो ने दिल्ली जैसे महानगर में अपनी निर्दोष चर्या से जो धर्म की प्रभावना की है,उसे दुनिया सदियों तक याद रखेगी आचार्यश्री के इन मेधावी शिष्यो ने जन-जन में धर्म केे प्रति रुचि जगाने का कार्य किया है वह अभूतपूर्व है पूर्व में कई साधक दिल्ली में आए और उन्होंने श्रावक समुदाय को धर्म से जोड़ने का प्रयास किया पर दिल्ली वाले लंबे समय से प्रयासरत थे कि आचार्यश्री के संघ के मुनि हमारे यहाँ आए उनकी मनोभावना लंबे अर्से बाद सफल हुई और पंच ऋषिराजो का आगमन दिल्ली में हुआ, अब दिल्ली वालो को कमर कस लेनी चाहिए कि जितना हो सके उतना लाभ पंच ऋषिराजो का ले ताकि आचार्यश्री की कृपा दृष्टि हम पर पुनः पड़े।*
✍🏻✍🏻शुभांशु जैन शहपुरा
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5 ऋषिराज आहारचर्या के लिएजाते हुए... today pics.. आचार्यविद्यासागर जी के 5 शिष्य श्री प्रणम्यसागर जी, श्री चंद्रसागर जी, श्री वीरसागर जी, श्री विशालसागर जी, श्री धवलसागर जी महाराज.. @ ऋषभ विहार, #दिल्ली!!! #AcharyaVidyasagar • #MuniPranamyasagar
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#आचार्यश्री बोले -दुर्लभ वस्तु मांगने पर नहीं मिलती है और जब मिलती है तो वर्षों के लिए फुर्सत हो जाते हैं
बुधवार की सुबह गहरा तिराहे से आचार्यश्री का संसघ विहार हुआ। लगभग 8 बजे नोहटा नगर में आचार्यश्री का मंगल प्रवेश हुआ। जिनकी एक झलक पाने के लिए नोहटा सहित आसपास के गांव से हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। आचार्यश्री की जयकारों से पूरा नगर गूंज रहा था।
आचार्यश्री ने नोहटा नगर पहुंचकर आदिश्वरगिरी के दर्शनों के बाद ससंघ मंगल प्रवचन हुए। प्रवचन सुनने के लिए जो मंच बनाया था वह श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के चलते छोटा पड़ गया, लेकिन लोगों को जहां जगह मिली वहीं खड़े होकर आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल प्रवचनों का श्रवण किया।
••• जो दुलर्भ है वह मांगने से नहीं मिलती •••
नोहटा में आचार्यश्री के मंगल प्रवचन हुए। उन्होंने कहा कि दोनों प्रकार के निमित्त मिलते हैं। शुभ निमित्त मिलने पर शुभ करें, अर्थात ध्यान न करें विकल्प करें क्योंकि जो दुर्लभ वस्तु होती है वह मांगने पर नहीं मिलती है और जब मिलती है तो वर्षो के लिए फुर्सत हो जाते हैं। ज्यादा मांग न किया करो क्योंकि न मांगने से क्वालिटी आती है। ज्यादा क्वालिटी पुण्य बंध करो, जिससे एकाध भव बीच में रह जाए। उन्होंने कहा मुक्ति मार्ग मिल जाए। किसान बहुत समझदार होता है। खरबूजे की खेती कर रहा था। एक खरबूजे को बीच में रख रहा था जिससे सुगंधी फूट रही थी, उसके बाजू में दूसरे भी रख रहा है क्योंकि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। इसलिए अपने को ज्यादा कसरत की जरुरत नहीं। जहां खरबूजा पक रहा हो वहां खिसक गए। ऐसे ही युक्ति से काम मोक्ष मार्ग मे होता है।
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~आचार्यविद्यासागर जी के 5 शिष्य श्री प्रणम्यसागर जी, श्री चंद्रसागर जी, श्री वीरसागर जी, श्री विशालसागर जी, श्री धवलसागर जी महाराज.. @ ऋषभ विहार, #दिल्ली!!! #AcharyaVidyasagar • #MuniPranamyasagar
Comment Box में 'नमोस्तु' के ज़रिए अपनी भावना तथा नमस्कार प्रकट करे... इन भगवान महावीर स्वामी की जीवंत प्रतिकृतियों के लिए.. अहोभाग्य हैं.. चलते फिरते सिद्ध आज दिल्ली में विराजित हैं.. भोगभूमि में भी आज इन वैरागियों के प्रभाव से वीतरागता की झलक दिख रही हैं!! #share
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Unholy Cattle of India: Exposing Cruelty in the Indian Dairy Industry I English Subtitles A poignant documentary which details the the exploitation and abuse...
This video gives a detailed account of the widespread exploitation and abuse of cattle in India due to the dairy industry.