Update
।। आचार्यश्री की मंगल विहार अपडेट ।। अतिशय क्षेत्र श्री पपौरा जी की ओर बढ़ते कदम।
◆ *आज रात्रि विश्राम-* दलीपुर ग्राम 11 किमी ।
◆ *कल की संभावित आहार चर्या-* *घुवारा।*
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केंद्रीय जेल सागर के बंदियो द्वारा बनाया गया सिंहासन.. आचार्य श्री हुएविराजित #महत्वपूर्ण_सूचना • #share_it_maximum 🙂
अभी सागर जेल के बंदियों द्वारा जो सिंहासन बनाया है उसके संबंध में कई लोगों ने मुझ से जानकारी मांगी कि उन्हें अपने शहर में साधु संतों के लिए सिंहासन की आवश्यकता होती है बन जाएंगे क्या? तो आपको जानकारी दे रहे हैं सागर जेल के बंदियों द्वारा जो सिंहासन बनाया जा रहा है बहुत कुशल कारीगर हैं आप जो भी तस्वीर उनको देंगे बनाने वह हूबहू लकड़ी में उकेर देते हैं लकड़ी का जो भी रेट वर्तमान में चलता है उस हिसाब से लकड़ी लगती है और बंदियों को मजदूरी दी जाती बनाने की अब यह जो सिंहासन हम ने बनवाया है जेल अधीक्षक महोदय से हमने इसका एस्टिमेट मांगा था उन्होंने ₹19000 लागत बताइ जेल विभाग प्रॉफिट नहीं लेता है वह आपका मटेरियल लेता है और बंदियों को जो मजदूरी मिलती है वह बंदियों को देता है मेरा जैन समाज के लोगों से कहना है कि इस समय आचार्य भगवन हथकरघा, कालीन, दरी, कारपेट्स और साथ ही जेल के बंदियों के लिए उनके हित में करुणा भाव के कारण बहुत कुछ सोच रहे हैं कल गुरुदेव के पास जब सब अधिकारियों के साथ बैठी थी और आचार्य भगवन की चिंता हम उनके चेहरे पर दिख रही थी ऐसा लग रहा था कि हम जैन भाई बहन अर्घ्य तो बहुत चढ़ाते हैं कि *एक ही जीवन क्या सौ-सौ जीवन गुरुवर तुम्हें समर्पित है* लेकिन सच्चाई में वास्तविकता में हम अपने जीवन का एक छोटा सा अरघ भी नहीं चढ़ा पाते आप सभी से निवेदन है की बंदियों के लिए यदि आपके मन में करुणा भाव है जिन्हें भी सिंहासन बनवाना हो वे अपना आर्डर सीधा जेल अधीक्षक महोदय सागर को भी सकते हैं या मुझे दे सकते हैं जो फोटो आपको बनवानी है वह आप भेज देंगे और रकम दे देंगे तो सिंहासन बन जाएंगे अब जब *मन की बात हम कह रहे हैं मेरा आप सभी समाज के लोगों से कहना है जेल के बंदी जब आचार्य श्री जी के के बारे में इतना सोच रहे है कि वे गुरुदेव की भावनाओं को पूर्ण करने के लिए अपनी आपराधिक भावनाओं का त्याग करके हथकरघा चला रहे हैं तो क्या हम आप उन कैदियों की बनी हुई साड़ियों को नहीं खरीद सकते आम जनता का एक प्रश्न है की साड़ियां महंगी है मेरा जनता से कहना है कैदियों के बीच और आपके बीच कोई वेरियर नहीं है जो धागा हम उपयोग कर रहे हैं वह हमें भी सस्ता मिलने लगेगा तो आने वाले समय में साड़ियां सस्ती हो जाएंगी अभी हम 50 किलो का धागा ले रहे हैं जब हमारे जेल में 108 हाथकरघे चलेंगे तब हम क्विंटल और टन में धागा लगेगा तब हम कुछ रेट कम कर पाएंगे l दूसरा यह महेश्वरी लू्म की साड़ियां हैं 2 दिन में एक बन रही है सौ प्रतिशत कॉटन धागा है कॉटन धागा है इसकी परीक्षण का एक ही तरीका है कि आप एक धागे को जलाइए वह तत्काल जल जाएगा और यदि कहीं धागे में मिलावट है कोई और धागा मिला है धागा का जलने के पहले एक गुठली बन जाती है धागा जलते-जलते एक काली गठान का सिरा छोड़ देता है दूसरा पावर लूम की साड़ियों में और हाथकरघा की साड़ियों में रेट का फर्क इसलिए होता है क्योंकि यहां एक एक साड़ी की बुनवाई देना पड़ती है पावर लूम में 8 घंटे में एक व्यक्ति 200 साड़ी बना लेता है यहां 8 घंटे में भी एक साड़ी पूरी नहीं बनती पावर लूम की साड़ियों में एक ही व्यक्ति धनवान बनता है हथकरघा की साड़ी में हर बुनकर को इतना रकम तो मिल जाती है वो अपना परिवार आनंद से चला सकता है भाइयों-बहनों जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है आज की भागमभाग की दुनिया में जब आप मंदिर नहीं जा पा रहे सामायिक नहीं कर पा रहे हैं पूजन पाठ नहीं कर पा रहे हैं तो कम से कम चलते फिरते उठते-बैठते अहिंसा के इस महायज्ञ में 1 साड़ियां खरीद कर ही अपनी अहिंसा की आहुति दें क्योंकि अब अहिंसा मंदिर में नहीं है अहिंसा हमारे आपके साथ है और उसे इस प्रकार से बढ़ाया जा सकता है आचार्य श्री जी वह काम कर रहे हैं जिससे आने वाले समय में इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा कि यदि अपराधियों के बारे में करुणा भाव से किसी ने सोचा और किया था तो वह जैन समाज थी और जैन समाज के साधु संत थे
मेरा सभी से निवेदन है कि जो वास्तव में गरीब है जो 1500 से 2000 की साड़ियां कभी नहीं खरीदता वह बिल्कुल न खरीदें लेकिन जो साड़ियां 1500, 2000, 3000, 10000 की खरीदते हैं उन्हें एक बार जेल में बनी हुई साड़ियों को अवश्य खरीदना चाहिए क्योंकि अब यह मैसेज पूरे विश्व में जाना चाहिए कि महावीर स्वामी ने और आचार्य विद्यासागर जी ने परस्परोपग्रहो जीवानाम् कहा था परस्परोपग्रहो जैनानाम् नहीं कहा अतः आचार्य श्री मात्र जैनियों के बारे में नहीं सोचते बल्कि जीवो के बारे में सोचते हैं हमें आपको अब WhatsApp से बाहर निकलकर विनर की मुद्रा🙏💪✌ इन सब को टाइप करने की अपेक्षा सहयोग करने की भावना से आगे आना पड़ेगा आप सभी को हम स्पष्ट कर दें कि मैं और हमारी जो भी टीम जेल के हथकरघे में काम कर रही है वो इस कार्य में और समाज के दान से एक भी पैसे का सहयोग नहीं चाहती सिर्फ मैंने नौकरी छोड़ दी है तो इसीलिए छोड़ी है कि जब तक आचार्य भगवन दीक्षा नहीं दे रहे हैं तब तक उनके दिए गए निर्देशों का पालन करती हुई उनकी भावना के अनुरूप कार्य करूं मुझे बेहद खुशी है कि जिसके लिए मैंने नौकरी घर द्वार छोड़ा वह मेरे भगवान गुरुदेव मेरे इन कामों से खुश हैं और आप सब को भी आचार्य श्री जी खुश रहें इसलिए उनके बताए गए अहिंसक सक्रिय सम्यक दर्शन प्राप्ति के उपाय हथकरघा के बने हुए उत्पादों को जो कि जेल के बंदी द्वारा बनाए जा रहे हैं माह में एक बार अवश्य लेना चाहिए निवेदक डॉ रेखा जैन DSP पूर्व 7000739351
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भगवान चन्द्रप्रभु के समवसरण जिनालय में विराजे संयम भूषण आचार्य श्री सुनिलसागर जी गुरुराज ससंघ,.. अपनी निस्पृहि, निराडम्बर,अनुशासित और श्रेष्ठ दिगम्बर विरतरागी चर्या के धनी सम्पूर्ण विश्व में अहिँसा -त्याग-संयम व सदभाव का शंखनाद करने वाले समाज मे व्याप्त आडम्बर-पंथवाद-एकगुरुवाद-कटुताओं को शर्मसार करने वाले धर्म के साथ साथ आपसी सहयोग-समन्वय-समर्पण की प्रेरणा देने वाले
अनावश्य नव निर्माणों व प्रदर्शनों में अपव्य्यो को रोककर प्राचीन तीर्थो के साथ समाज के जीर्णोद्धार व विकास हेतु बलदायी प्रेरणा देने वाले स्वाध्या की ज्योत जगाने वाले युवाचार्य जिनमें अनेक महान पूर्वाचार्यो के संस्कार प्रत्यक्ष झलकते है ऐसे परम्पपूज्य चतुर्थ पट्टचार्य श्री सुनिलसागर जी गुरुराज के पावन चरणों मे कोटि कोटि नमन
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News in Hindi
आखिर इसमे क्या #रहस्य है....🤔
जो भी आचार्यश्री के साक्षात दिव्य दर्शन करते है या उनसे जुड़ी खबर सुनकर, देखकर पढ़कर उन्हें, हमे कई बार लगता है आखिर इसमे क्या रहस्य है....🤔
● आचार्यश्री *रसविहीन अत्यंत, अल्प आहार* लेते है उनके नीरस एवम अल्प आहार में कोई *पौष्टिकता* भी नही होती, वे *अस्नान व्रत संकल्पी* है न तो शरीर पर *आलेपन, विलेपन, और न कोई सौदर्य वर्धक लेप* ही लगाते है और तो और आचार्यश्री तो भरी धूप, गर्मी में भी सैकड़ो मील लम्बा विहार करते है फिर भी उनकी काया, कामदेव के समान काँचनमय लगती है उनके मुखमण्डल के आभामय दिव्य प्रकाश दमकता ही रहता है_
_*आखिर इसमे क्या रहस्य है....🤔*_
_● आचार्यश्री की कीर्ति दिन प्रतिदिन शुक्ल पक्ष के चंद्रमा की भांति बढ़ती ही जा रही है, न केवल सम्पूर्ण जैन समाज बल्कि जैनेतर समुदाय भी गुरुवर के प्रति श्रद्धा भक्ति से नतमस्तक होता है। यहांतक कि वनांचल में रहने वाले मूल आदिवासी इनमे *भगवान राम, एवम शंकर* की छवि देख श्रद्धापूर्वक नमन वंदन भी करते है_
_*आखिर इसमे क्या रहस्य है....🤔*_
_● आचार्यश्री के साक्षात दर्शन, सानिध्य पाने देश के *महामहिम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायाधीश, शिक्षाविद, वरिष्ठतम वैज्ञानिक, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, वरिष्ठतम प्रशासनिक अधिकारी* सदैव अभिलाषी रहते है इन्हें सिर्फ आचार्यश्री के दर्शन मात्र से संतुष्टि नही मिलती बल्कि गुरुचरणों में बैठकर प्राचीन भारत की शासन व्यवस्था के अनुरूप वर्तमान व्यवस्था संचालन हेतु दिशा निर्देश लेकर उस पर अमल करके प्रशासन को सक्रिय रूप से संचालन हेतु आदेशित कर आनन्दित भी होते है।_
_*ऐसा क्या है आचार्यश्री में, जो अन्य में नही और आखिर इसमे क्या रहस्य है......🤔*_
_● 1978 में जब आचार्यश्री भगवान पार्श्वनाथ की समवशरण स्थली नैनागिर क्षेत्र में साधना तपश्चर्या हेतु विराजित थे उन्ही दिनों इस अंचल में दुर्दान्त खूंखार डाकुओं का आतंक था लोग दिन में भी निकलने में डरते थे_
_एक दिन उन कुख्यात डाकुओं का दल आचार्यश्री के दर्शन करने आया अपनी बंदूके अस्त्र शस्त्र एक ओर पटक कर गुरुचरणों में नमन किया और कुछ देर बाद उनके मुखिया ने आचार्यश्री के समक्ष हाथ जोड़कर निवेदन किया *"मालक आप इतइ नैनागिर में चोमासो करियो, हमाई तरफ से कोई खो कछु परेसानी नई हुइये "*_
_फिर तो इन *दुर्दान्त भक्तो* का गुरुचरणों में आना जाना लगा रहा 1981 और 1982 का नैनागिर में चातुर्मास भी सानंद सम्पन्न हुआ सुनते है इसी बीच इन डाकुओं का *हृदय परिवर्तन* भी हुआ_
_*आखिर इसमे क्या रहस्य है....🤔*_
_यदि आपको इन रहस्य की जानकारी हो तो कृपया सूचित अवश्य कीजियेगा, और यदि न भी तो भी सूचित करियेगा अपन सब मिलकर अगली कड़ी में *"इस रहस्य " को जानने का प्रयास करेंगे।*_
_आपका अपना_
*राजेश जैन भिलाई*
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