Update
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🌈 *04/05/2018 मुनि वृन्द एवं साध्वी वृन्द के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना* 🌈
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*साहूकारपेट,चेन्नई*
☎ *8910991981*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2 का प्रवास*
*Vijay matriculation school*
*Vannankulam*
*(तिरुवन्नामलाई-वेलूर रोड)*
☎ *9602007283,9787375611*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*लक्ष्मीलाल जी पवनकुमार जी कोठारी निवास स्थान पर,* D/N-14th main road,3rd block Rajajinager Bangalore
☎ *9448385582, 9845947910*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*नेमीचंद जी चौधरी के निवास स्थान पर*
*तेलार*
*(वंदवासी - मेलचीतामुर रोड)*
☎ *8107033307,9865002758,. 9344656645*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ. मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*जैन स्थानक*
*सतवाचार्य, वैलूर*
☎*9566296874,9655246521*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*सुबह का प्रवास*
*CRF Camp*
*शाम एवं रात्रि प्रवास*
*Kirtidas Kalidas Farm House,Opp.Shankar Timber Merchant,Thudiyalur,Coimbatore*
☎ *9629588016,7200690967*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*जैन स्थानक*
*आरकोणम*
☎ *8072609493*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा ५ का प्रवास*
*अशोक जी लुणावत के निवास स्थान पर*
*Pattalam,Chennai-10*
☎ *7010319801*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4 का प्रवास*
*अशोकजी लुणावत के निवास स्थान पर*
*पट्टालम, चैनैइ* 10
☎ *7044937375,9841098916*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५ का प्रवास*
*लक्ष्मीपत जी दुगड़ के निवास स्थान पर* राजराजेश्वरीनगर, बेंगलुरु
☎ *9784755524*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमलप्रज्ञा जी ठाणा 6 का प्रवास*
*अशोक जी लुणावत के निवास स्थान पर*
*Pattalam,Chennai-10*
☎ *9051582096,9123032136, 9884444955*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी आदि ठाणा का प्रवास*
*अशोक जी लुणावत के निवास स्थान पर*
*Pattalam,Chennai-10*
☎ *8428020772,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*Terapanth Sabha bhavan*
*kv kuppam*
*(बेंगलुरु- चेन्नई रोड)*
☎ *9488921371*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*गौतम जी नाहर के निवास स्थान पर*
*सिंधनूर*
☎ *8830043723*
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*Mandya*
☎ *9844474113*
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी आदि ठाणा का प्रवास*
*सुरेश जी भुतेडा के निवास स्थान पर*
*Upahar Darshini Hotel Ke Samne*
*3RD Block Jaynagar,*
*Bangalore (कर्नाटक)*
☎ *7798028703*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".
👉 गदग: महासमिति अध्यक्ष द्वारा 'गदग' में "अणुव्रत समिति का गठन"
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👉 विजयनगर - जैन संस्कार विधि प्रगतिमान प्रयोग
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👉 इंदिरानगर, (बेंगलुरु): जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
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Update
*नवीन चतुर्मास घोषणा*:
पूज्य गुरुदेव *आचार्य श्री* *महाश्रमण जी* ने महती कृपा कर *साध्वी श्री शिवमाला जी* का आगामी *2018 का चतुर्मास 'परवतपाटिया, सूरत'* फरमाया है।
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 चेन्नई: तेरापंथ कन्यामण्डल के द्वारा "My Vision - My Mission" Vision Board For a Futuristic Me प्रतियोगिता का आयोजन
👉 दुर्ग-भिलाई - युवा दिवस पर अहिंसा रैली का आयोजन
👉 साकरी (महा) - युवा दिवस का आयोजन
👉 गाँधीनगर, (बेंगलुरु): युवा दिवस पर रैली एवं कार्यक्रम का आयोजन
👉 साकरी (महा) - घर को स्वर्ग कैसे बनाये विषयोक्त कार्यशाला
👉 नोहर - अहिंसा रैली का आयोजन
👉 बेहाला - युवा दिवस पर भव्य रैली का आयोजन
👉 बेहाला - रक्त दान शिविर का आयोजन
👉 मंड्या (कर्नाटक) - महाश्रमण का 45 वां दीक्षा दिवस "युवा दिवस" पर कार्यक्रम
👉 रायपुर - "थीम मार्केट एंड माइंडसेट के साथ निवेशक जागरूकता कार्यक्रम"
👉 कोयम्बत्तूर - रक्तदान शिविर का आयोजन
👉 ईरोड - पूज्यप्रवर का जन्मोत्सव,पट्टोत्सव, दीक्षा दिवस का आयोजन
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News in Hindi
👉 *तेरापंथ नेटवर्क* के जरिए तेरापंथ समाज में अब जीवनसाथी चुनना हुआ आसान.......
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प्रस्तुति: 🔅 *तेरापंथ नेटवर्क* 🔅
संप्रसारक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 139* 📝
*संतोषचंदजी सेठिया*
*रीड़ी के साहूकार*
संतोषचंदजी सेठिया रीड़ी के निवासी थे। यह गांव बीदासर और श्री डूंगरगढ़ के मार्ग पर लगभग मध्य में स्थित है। अब तो वह मात्र किसानों का गांव ही रह गया है। परंतु उस समय वहां ओसवालों के घर थे। सभी तेरापंथी थे। संतोषचंदजी ने जयाचार्य के पास ही गुरु धारणा की थी। वे बड़े भक्त, दृढ़ श्रद्धालु और उस क्षेत्र के मुख्य श्रावक थे। उनके 3 पुत्र थे— बुधमलजी, भूरारामजी और मोहनलालजी। वे वहां पर खेती तथा साहूकारी का कार्य किया करते थे। धन और जन की दृष्टि से उनका घर संपन्न था। पशुपालन में भी उनकी अच्छी रुचि थी। अच्छे से अच्छे ऊंट, घोड़े और बैल उनके यहां रहते थे। उस समय यातायात के लिए ये ही सर्वोत्कृष्ट साधन थे। स्थानीय ठाकुर से लेकर किसानों तक के साथ उनका अच्छा मेलजोल था।
*नरेश से संबंध*
बीकानेर नरेश डूंगरसिंहजी के साथ संतोषचंदजी के घनिष्ठ संबंध थे। इन संबंधों का प्रारंभ अनायास ही एक घटना विशेष के समय हो गया था। उस समय बीकानेर राज्य पर महाराजा सरदारसिंह का शासन था। उनके कोई पुत्र नहीं था। महाराजा के छोटे भाई लालसिंहजी के पुत्र डूंगरसिंहजी को उत्तराधिकारी बनाने की संभावना थी। परंतु निर्णीत कुछ भी नहीं किया गया था। ऐसी स्थिति में डूंगरसिंहजी का विवाह बीकानेर राज्य के ही एक छोटे ठिकाने कागलासर के ठाकुर की पुत्री के साथ होना तय हुआ। बारात बीकानेर से वहां गई। डूंगरसिंहजी एक लंबे कद के व्यक्ति थे। ढुकाव के समय 'बाजोट' पर खड़े हुए तब तिलक करने के लिए सास का हाथ वहां तक नहीं पहुंच पाया। पास खड़े व्यक्तियों ने तब उन्हें थोड़ा नीचे झुकने का संकेत करते हुए कहा— "थोड़े नीचे"। वे कुछ झुके, परंतु सास का हाथ फिर भी उनके ललाट तक नहीं पहुंचा। तब फिर कोई बोल पड़ा— "थोड़ा और नीचे"। महाराज के साथ आए चारण से नहीं रहा गया। उसने कहा— "नीचे से नीचे कागलासर तो आ गए हैं, अब और कितने नीचे हों?" चारों और हंसी फूट पड़ी। डूंगरसिंहजी थोड़े और झुके। सास ने तिलक किया और उसके पश्चात विवाह का सारा कार्य संपन्न हुआ। बारात वापस विदा हो रही थी उसी समय बीकानेर से समाचार आया कि नरेश सरदारसिंहजी अत्यंत रुग्ण हो गए। पारिवारिक समीपता के कारण गद्दी के अधिकारी डूंगरसिंहजी ही हो सकते थे, परंतु स्वयं वहां उपस्थित न हों तब पीछे से राज्य के लिए कोई षड्यंत्र हो सकता था। उस स्थिति में उन्हें अत्यंत शीघ्रता से बीकानेर पहुंच जाना आवश्यक था। वे लोग ताबड़तोड़ वहां से चले। मार्ग की भागमभाग से सभी पशु थक कर चूर-चूर हो गए थे। बीदासर के ठाकुर ने डूंगरसिंहजी को बतलाया की रीड़ी तक तो हमें इन्हीं वाहनों पर चलना होगा। उसके बाद वहां के सेठ संतोषचंदजी सेठिया के पास हमें कुछ वाहन मिल जाएंगे। उनके पास अत्यंत तेज गति वाला एक ऊंट है। आप उस पर बैठकर शीघ्रता से आगे पधार जाना। शेष लोग अपने-अपने वाहनों पर पहले पीछे पहुंच जाएंगे। सुझाव सभी को उपयुक्त लगा। रीड़ी पहुंचने पर संतोषचंदजी ने भावी नरेश का बड़ा स्वागत किया। अपने यहीं भोजन की व्यवस्था की। वाहनों के लिए चारे की व्यवस्था भी उन्होंने ही की।
*डूंगरसिंहजी के बीकानेर पहुंचने व उनके राज्य भार संभालने के घटनाक्रम* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 315* 📝
*जिनवाणी संगायक आचार्य जिनसेन*
*साहित्य*
अपने गुरु वीरसेन की भांति जिनसेन ने उच्च कोटि के साहित्य का सृजन किया। वर्तमान में उनकी तीन रचनाएं हैं। पार्श्वाभ्युदय काव्य, जयधवला टीका और आदिपुराण। इन तीनों ग्रंथों में जयधवला टीका आचार्य वीरसेन की अधूरी रचना थी, जिसे जिनसेन ने पूर्ण किया था। जिनसेन के ग्रंथों का परिचय इस प्रकार है—
*पार्श्वाभ्युदय काव्य* यह संस्कृत का खंडकाव्य है। इसमें मंदाक्रांता छंद का उपयोग किया गया है। यथार्थ में यह आचार्य जिनसेन की स्वतंत्र रचना नहीं है। महाकवि कालिदास रचित काव्य की समस्या पूर्ति है। इस काव्य में मेघदूत के प्रत्येक चरण को किसी न किसी प्रकार से कुशलता पूर्वक समाहित किया है। मेघदूत के अंतिम चरण की समस्या पूर्ति के रूप में कई काव्यों की रचना हुई। संपूर्ण मेघदूत को अपने में समाहित करने वाला यह समस्या पूर्ति काव्य साहित्य में एक ही है। जो भावना पत्नी के वियोग में आकुल यक्ष के मुंह से मेघदूत काव्य की पंक्तियों में प्रगट हुई है, उन्हीं पंक्तियों में श्री पार्श्वनाथ जीवन चरित्र की अभिव्यक्ति करना कवि का अनुपम कौशल है। श्रृंगार रस पूरित पद्यों में वैराग्य रस का संचार करना विलक्षण काव्य शक्ति है। इस काव्य के 364 पद्य हैं। काव्य रचना के प्रेरणास्रोत विनयसेन थे। विनयसेन वीरसेन के शिष्य थे। पुन्नाट संघीय जिनसेन ने हरिवंश पुराण में पार्श्वाभ्युदय काव्य का उल्लेख किया है। हरिवंश पुराण की रचना शक संवत् 705 में हुई थी। जयधवला कृति की संपन्नता शक संवत् 759 में हुई थी। इससे स्पष्ट है पार्श्वाभ्युदय काव्य की रचना जिनसेन की प्रथम रचना है।
*जयधवला टीका* आचार्य वीरसेन द्वारा प्रारंभ की गई जयधवला टीका को आचार्य जिनसेन ने पूर्ण किया था। जयधवला आचार्य गुणभद्र रचित कषाय प्राभृत ग्रंथ की विशिष्ट व्याख्या है। दिगंबर साहित्य में विविध सामग्री से परिपूर्ण साठ हजार श्लोक परिमाण इस ग्रंथ का महत्वपूर्ण स्थान है। आचार्य वीरसेन ने इस ग्रंथ के बीस हजार श्लोक रचे, अवशिष्ट चालीस हजार श्लोकों की रचना आचार्य जिनसेन ने की।
टीकाकार ने जयधवला टीका की प्रशस्ति में समाप्ति काल, स्थान तथा तत्कालीन नरेश के नाम का उल्लेख किया है। पाठकों की जानकारी के लिए वे पद्य उद्धृत हैं—
*इति श्री वीरसेनीया टीका सूत्रार्थदर्शिनी।*
*वाटग्रामपुरे श्रीमद्गुर्जरार्यानुपालिते।।6।।*
*फाल्गुने मासि पूर्वाह्ने दशम्यां शुक्लपक्षके।*
*प्रवर्धमानपूजोरुनन्दीश्वरमहोत्सवे।।7।।*
*अमोघवर्षराजेन्द्रराज्यप्राज्यगुणोदया।*
*निष्ठिता प्रचय यायादाकल्पान्तमनल्पिका।।8।।*
*एकोनषष्ठिसमधिकसप्तशताब्देषु शकनरेन्द्रस्य।*
*समतीतेषु समाप्ता जलधवला प्राभृतव्याख्या।।11।।*
वाटग्राम में राजा अमोघवर्ष के राज्यकाल में नन्दी महोत्सव के समय फाल्गुन शुक्ला दशमी के पुर्वाह्न में शक संवत् 759 में यह टीका संपन्न हुई थी।
जयधवला प्राकृत बहुल टीका है। धवला टीका की भांति गंभीर है। इसमें अनेक प्रकार की सैद्धांतिक चर्चाएं हैं। दार्शनिक दृष्टियां संस्कृत भाषा में निबद्ध हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से भी टीका महत्त्वपूर्ण है।
*जिनवाणी संगायक आचार्य जिनसेन द्वारा रचित आदिपुराण व आचार्य-काल के समय संकेत* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके *"नाकापाली"* पधारेंगे
दिनांक 03/05/2018
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*तनाव और ध्यान: वीडियो श्रंखला १*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 हिरियूर: अणुव्रत महासमिति अध्यक्ष श्री संचेती "कर्नाटक संगठन यात्रा" पर
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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